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तीन अवैध गुटखा फैक्टरी का खुलासा

डीजीसीइआइ की 50 सदस्यीय टीम ने की छापेमारी दो गिरफ्तार, अन्य की तलाश जारी कोलकाता : डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सेंट्रल एक्साइज इंटेलिजेंस (डीजीसीइआइ) हेडक्वार्टर (नई दिल्ली) की टीम ने हावड़ा में अवैध तरीके से गुटखा बना रही तीन फैक्टरी का भंडाफोड़ किया है. ये फैक्टरियां बिना सेंट्रल एक्साइज रजिस्ट्रेशन के चलायी जा रही थीं. इससे […]

डीजीसीइआइ की 50 सदस्यीय टीम ने की छापेमारी
दो गिरफ्तार, अन्य की तलाश जारी
कोलकाता : डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सेंट्रल एक्साइज इंटेलिजेंस (डीजीसीइआइ) हेडक्वार्टर (नई दिल्ली) की टीम ने हावड़ा में अवैध तरीके से गुटखा बना रही तीन फैक्टरी का भंडाफोड़ किया है.
ये फैक्टरियां बिना सेंट्रल एक्साइज रजिस्ट्रेशन के चलायी जा रही थीं. इससे डीजीसीइआइ को तकरीबन 100 करोड़ रुपये का चूना लगा है. अवैध फैक्टरी चलाने के आरोप में राकेश अग्रवाल और मनोज अग्रवाल को गिरफ्तार किया गया है. दोनों ने स्वीकार किया कि उन्होंने सरकार को 70 करोड़ के राजस्व का चूना लगा चुके हैं. शुक्रवार को सियालदह कोर्ट ने दोनों आरोपियों को पांच मई तक जेल हिरासत में भेज दिया. डीजीसीइआइ टीम ने तीनों फैक्टरियों को सील कर दिया है. आरोपियों से पूछताछ के आधार पर बाबूघाट बस स्टैंड से नौ लाख रुपये का गुटखा जब्त किया है. फैक्टरी चलाने वाले दो आरोपी फरार हैं.
कैसे हुआ खुलासा : डीजीसीइआइ हेडक्वार्टर के डिप्टी डायरेक्टर (इंटेलिजेंस) प्रवीण बाली ने बताया कि डीजीसीइआइ के 50 सदस्यों की टीम ने कोलकाता, हावड़ा और भुवनेश्वर में एक साथ छापेमारी की. हावड़ा में तीन अवैध गुटखा कारखाने का पता चला. यहां गुटखा व तंबाकू अवैध तरीके से बनाकर बंगाल के विभिन्न इलाकों में सप्लाई किया जाता था. पड़ोसी राज्य भुवनेश्वर व बिहार के कुछ हिस्से में भी सप्लाई की जाती थी.
कारखानों को किया सील :डीजीसीइआइ के अधिकारियों के मुताबिक गिरफ्तार फैक्टरी अधिकारियों से प्राथमिक पूछताछ के आधार पर बाबूघाट बस स्टैंड से नौ लाख रुपये के अवैध गुटखे जब्त किये गये.
साथ ही अवैध फैक्टरियों को सील कर दिया गया है. इस गिरोह का धंधा कहीं और फैला है या नहीं, इसका भी पता लगाने की कोशिश हो रही है.
क्या कहते हैं अधिकारी : प्रवीण बाली ने बताया कि तंबाकू, पान मसाला, गुटखा का धंधा करने के पहले कंपनी को सेंट्रल एक्साइज विभाग से रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है. इसके तहत कारखाना चलाने के दौरान कई तरह के नियम व शर्तों का पालन करना पड़ता है. सरकारी शुल्क देने के बाद कारखाना खोलने की इजाजत दी जाती है, लेकिन यहां पूरी तरह से अवैध तरीके से धंधा चलाया जा रहा था. इससे डीजीसीइआइ को तकरीबन 100 करोड़ के राजस्व का नुकसान हुआ. इस तरह की कंपनियों के खिलाफ अभियान आगे भी जारी रहेगा.

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