कोलकाता : राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, गुजरात में विकास कार्यो के लिए नरेंद्र मोदी को श्रेय देने को राजी नहीं हैं. तृणमूल प्रमुख का मानना है कि उनका स्वयं का मॉडल कहीं बेहतर है और उससे अच्छे नतीजे मिले हैं. ‘विकास बनाम विकास’ बहस में उन्होंने कहा कि परिस्थितियों के चलते उनके व मोदी के मॉडलों में ‘भारी अंतर’ है.
उन्होंने कहा : मैं आपके सवाल का सीधे जवाब देती हूं. क्या श्रीमान अ या श्री ब को जंगल महल (नक्सल) समस्या सुलझानी पड़ी है. हमने वहां शांति कायम की. क्या श्रीमान अ या श्री ब को दाजिर्लिंग जैसी समस्या का हल करना पड़ा. दाजिर्लिंग आज मुस्कुरा रहा है. क्या श्रीमान अ या श्री ब के राज्य पर दो लाख करोड़ रुपये का कर्ज था. अगस्त 2011 में मुख्यमंत्री बनीं ममता बनर्जी ने कहा कि इन समस्याओं से पार पाने के बावजूद हम विकास के पथ पर आगे बढ़ रहे हैं.
उन्होंने यह बात इस सवाल के जवाब में कहा कि क्या वह मोदी और अपने स्वयं के विकास मॉडल में अंतर पाती हैं. अपने विकास के मॉडल को बेहतर करार देते हुए तृणमूल प्रमुख ने कहा : मैं तथ्यों की बात करती हूं और आपको बता देना चाहती दूं कि दोनों राज्यों (पश्चिम बंगाल व गुजरात) में तुलना नहीं की जा सकती. उन्होंने कहा कि गुजरात में निरंतर विकास हुआ और उसके सामने कोई समस्या नहीं थी, जबकि पश्चिम बंगाल को जमीन से ऊपर उठना पड़ा, क्योंकि वह 34 साल के कम्युनिस्टों के शासन से तबाह हो गया था. ममता ने कहा कि पश्चिम बंगाल हर मानक से नीचे आ गया था.
राज्य से ‘पूंजी पलायन’ हो गया था. 50 हजार कारखाने बंद हो गये थे और एक करोड़ लोग बेरोजगार हो गये थे. उन्होंने दावा किया : जब मेरी सरकार ने सत्ता संभाली, तो पश्चिम बंगाल की यह कहानी थी. अन्य राज्यों में दशकों से निरंतर विकास हो रहा था. मुख्यमंत्री ने कहा : पश्चिम बंगाल जो आज कर रहा है, वह कल भारत करेगा. ये खोखले शब्द नहीं हैं. उन्होंने अपने मत को सही साबित करने के लिए कुछ ठोस उदाहरण बताये, जिनमें उचित कीमतोंवाली दवा की दुकानें, दवाओं की वेब के जरिये खरीद और ‘कन्या श्री’ योजना शामिल हैं.
ममता ने कहा : मेरे राज्य में अब एक पीपीपी नीति, एक आइटी नीति, एक कपड़ा नीति है. हमने 34 माह में इतना अधिक काम किया है, जितना कम्युनिस्टों ने 34 वर्षो में नहीं किया था. उन्होंने कहा कि इन योजना को अन्य राज्यों में उनकी बेहतरी के लिए दोहराया जा सकता है. तृणमूल प्रमुख ने कहा कि उनके सत्ता में आने से पहले उनके राज्य में कार्य की संस्कृति तबाह हो गयी है. उन्होंने कहा : मेरी सरकार ने जब सत्ता संभाली, तो भारत में जितने कार्य दिवस खराब होते थे, उनमें आधे बंगाल में होते थे. 2008 और 2011 के बीच 70 लाख कार्य दिवस हड़ताल के कारण बर्बाद हुए. हम इस आंकड़े को घटाकर 5200 पर लाये हैं और इस साल यह शून्य रहा. ममता ने कहा : इसकी तुलना में गुजरात जैसे राज्यों में हमेशा अच्छी कार्य संस्कृति रही है.
लेकिन हमें पूरा रवैया बदलना पड़ा. उन्होंने कहा : लिहाजा बंगाल की अन्य राज्यों से तुलना करने से पहले, इसे समझना महत्वपूर्ण हो जाता है. हमने यह सब और इसे भी अधिक किया है, तभी लोग चुनाव दर चुनाव हम पर विश्वास जता रहे हैं. अपनी सरकार की पहल और उनसे निकलनेवाले परिणामों की चर्चा करते हुए ममता ने कहा : आपको यह जानकर प्रसन्नता होगी कि एमएसएमइ (सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्यम) में बंगाल में विकास 105 प्रतिशत रहा. कर्नाटक में यह 48 प्रतिशत और गुजरात में यह 20 से 30 प्रतिशत के बीच है. उन्होंने कहा कि बंगाल में कर वसूली पिछले तीन साल में 20000 करोड़ रुपये से दुगनी हो गयी है जबकि कोई भी कर नहीं बढ़ाया गया है. ममता ने कहा : मैं चुनौती दे सकती हूं और कह रही हूं कि बंगाल की नयी औद्योगिकी नीति दस्तावेज में विस्तृत प्रोत्साहन पैकेज है, जो किसी भी अन्य राज्य से बेहतर है.