सिलीगुड़ी: पश्चिम बंगाल हिंसा की राजनीति पसंद नहीं करती. हिंसा की राजनीति की उम्र बहुत कम होती है. 70 के दशक में सत्ता पर काबीज होने के लिए 1400 लोगों को खून बहाया, 20 हजार लोग अपना घर-बार छोड़कर चले गये. ऐसी राजनीति फिर देखने को मिल रही है.
पंचायत व नगर पालिका चुनाव में अब तक वाम के आधा दर्जन नेताओं को खून कर दिया गया है. तृणमूल खरीद-फरोख्त की राजनीति पर अमादा हो गयी है. यदि कोई नेता बिका तो, ठीक है. वरना उसे धमकाया जाता है. अपहरण किया जाता है.
महिलाओं कार्यकत्र्ता के साथ अभद्र व्यवहार किया जाता है. यह कहना है विधान सभा, विरोधी दल के नेता सूर्यकांत मिश्र का. वें मंगलवार को हिलकार्ट रोड स्थित अनिल विश्वास भवन में पत्रकारों को संबोधित कर रहे थें. वाम नेता सूर्यकांत मिश्र से पूछे जाने पर भारतीय क्रिकेट के पूर्व कप्तान सौरभ गांगुली को लेकर बीजेपी और कांग्रेस खिंचतान कर रही है. सौरभ गांगुली परोक्ष रूप से वाम विचारधारा से प्रेरित है. ऐसे में वाम सौरभ को अपना उम्मीदवार बनाना चाहेगी? सवाल का जवाब देते हुये उन्होंने कहा कि सौरभ से मेरी बात हुई. उन्होंने बताया कि किस तरह बीजेपी और कांग्रेस उन्हें अपना उम्मीदवार बनाने के लिए दबाव बना रहे है.
सौरभ का कहना है कि वें राजनीति में आना नहीं चाहते. 2014 के लोकसभा चुनाव के संबंध में उन्होंने कहा कि हम सभी सीटों पर लड़ेंगे. दार्जिलिंग लोकसभा क्षेत्र में विकास और शांति हमारा मुद्दा रहेगा. उन्होंने कहा कि बंगाल में गणतांत्रिक अधिकारों का गला घोंठा जा रहा है. संगीन आरोपों के लिए चार दिन पर गये जिलाधिकारी गोदाला किरण कुमार एक दिन में छोड़ा जाए और पुलिस आयुक्त के जयरमण की प्रतिक्षा सूची में बैठाया जाए. ऐसे में प्रशासन, सरकार और पुलिस से क्या अपेक्षा रखा जा सकता है. यहां तक व्यवसायी समिति से लेकर नगर पालिका सरकारी, निजी सभी संगठन में अब एक ही पार्टी का कब्जा है. सोचने की बात है. यह तानाशाही व्यवस्था का स्वरूप है.