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जीएनएलएफ का खेल खत्म : गुरुंग

दार्जिलिंग : गोरखा जनमुक्ति मोरचा सुप्रीमो विमल गुरुंग ने कहा है कि जीएनएलएफ का राजनैतिक मुद्दा समाप्त हो गया. आरटीआइ ने जीएनएलएफ का राजनैतिक मुद्दा समाप्त कर दिया है.संवाददाताओं से बातचीत करते हुए विमल गुरुंग ने कहा कि छठीं अनुसूची की राजनीतिक मुद्दे को लेकर जीएनएलएफ पहाड़ के गांव–बस्तीयों में प्रचार कर रहा था. जिसे […]

दार्जिलिंग : गोरखा जनमुक्ति मोरचा सुप्रीमो विमल गुरुंग ने कहा है कि जीएनएलएफ का राजनैतिक मुद्दा समाप्त हो गया. आरटीआइ ने जीएनएलएफ का राजनैतिक मुद्दा समाप्त कर दिया है.संवाददाताओं से बातचीत करते हुए विमल गुरुंग ने कहा कि छठीं अनुसूची की राजनीतिक मुद्दे को लेकर जीएनएलएफ पहाड़ के गांवबस्तीयों में प्रचार कर रहा था. जिसे आरटीआई ने समाप्त कर दिया.

आरटीआइ में साफ जाहिर हुआ है कि छठीं अनुसूची ठंडा पड़ गया. उन्होंने कहा कि चेन्नई से लौटते वक्त सुभाष घीसिंग ने कहा था कि गोजमुमो खत्म होगा. अब गोजमुमो नहीं बल्कि गारोमुमो खत्म होगा. उन्होंने यह भी कहा कि जीएनएलएफ सुप्रीमो सुभाष घीसिंग की उम्र को देखते हुए इंसानियत के कारण सुभाष घीसिंग के पहाड़ लौटने पर मोरचा उनका स्वागत करेगी. मोरचा अपनी मांग को लेकर आगे बढ़ेगी.

उन्होंने कहा कि उनके हाथ में अभी और साढ़े तीन साल समय है. साढ़े तीन सालों में पहाड़ को चकाचक कर दिया जायेगा. सुभाष घीसिंग भी देखेंगे. विमल गुरुंग ने कहा कि आगामी 20 दिसंबर को राज्य की मुख्यमंत्री ने उन्हें बुलाया है. इसके लिए 19 दिसंबर को ही वे कोलकाता के लिए रवाना हो जायेंगे. 20 दिसंबर दोपहर तीन बजे कोलकाता के नये भवन में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ उनकी बैठक होगी.

बैठक में चर्चा के विषयों के बारे में पूछे जाने पर गुरुंग ने कहा कि इस बारे में उन्हें भी जानकारी नहीं है. उनके अनुसार पहाड़ के विकास के लिए चर्चा हो सकती है. जीटीए चीफ के बारे में सवाल पूछने पर उन्होंने कहा कि वह जब चाहे जीटीए चीफ बन सकते हैं.

लोकसभा चुनाव के बारे में उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव के बारे में पार्टी ने अभी तक कुछ सोचा नहीं है. बातचीत के क्रम में उन्होंने कहा कि वह भी दिल्ली के जंतरमंतर में आयोजित धरना प्रदर्शन में शामिल होने वाले थे, लेकिन कुछ काम रहने के कारण वह नहीं जा पाये.

माकपा पोलित ब्यूरो सदस्य सांसद सीताराम येचुरी के बयान पर उन्होंने कहा कि दार्जिलिंग को नॉर्थ ईस्ट काउंसिल में शामिल कराने की मांग मोरचा पहले से ही करती रही है.

इसके अलावा मोरचा ने गोरखा समुदायों के अन्य 10 समुदायों को जनजाति में शामिल करने का दावा किया. महेंद्र पी लामा के संबंध में उन्होंने कहा कि उन्होंने उनके दिल को चोट पहुंचाया है. जिसे वह कभी नहीं भूल पायेंगे.

उन्होंने यह भी सवाल किया पहाड़ की विभिन्न राजनीतिक पार्टियों ने गोरखालैंड की आवाज बुलंद करने का दावा किया था, लेकिन उनके वादे खोखले साबित हुए. संवाददाता सम्मेलन में विमल गुरुंग के साथ मोरचा केंद्रीय सहसचिव ज्योति कुमार राई, डॉक्टर आरवी भूजेल, विधायक त्रिलोक कुमार देवान, सतीश पोखरेल, काजीमान लुहागन उपस्थित थे.

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