सांतरागाछी कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड का मामला
हावड़ा : बैंक कर्मचारियों की मिलीभगत से नकली सोना गिरवी रख करोड़ों रुपये के घपले का मामला सामने आया है. हैरानी की बात यह है कि बैंक से मिलने वाला गोल्ड लोन बैंक कर्मचारी ही लेते थे.
मामला हावड़ा जिले के जगाछा थाने के षष्टी तल्ला स्थित दि सांतरागाछी कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड का है. घोटाले में पुलिस ने बैंक के एक कर्मचारी किशोर पाठक को गिरफ्तार किया है.
जबकि दो अन्य आरोपी मिलन मसाट व अरुण आस फरार हैं. मिलन बैंक का सुपरवाइजर व अस्थायी कर्मचारी है, जबकि अरुण पेशे से स्वर्ण व्यवसायी व बैंक का कर्मचारी भी है. अरुण ही बैंक में गिरवी रखे जाने वाले सोने का परीक्षण करता था. उसी के कहने पर ग्राहकों को गोल्ड लोन दिया जाता था.
डीसी सुमीत कुमार (गुप्तचर विभाग) ने बताया कि बैंक में तकरीबन डेढ़ करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है. घोटाले की जांच का जिम्मा सिटी पुलिस के गुप्तचर विभाग को सौंपा गया है. बताया जा रहा है कि इस घोटाले के पीछे बैंक के कुछ और कर्मचारी शामिल हैं. ये कर्मचारी आर्थिक रूप से कमजोर व कम-पढ़े लिखे लोगों को पहले बैंक का ग्राहक बनाते थे. इसके बाद उन्हें एक हजार रुपये का प्रलोभन देकर उन्हें नकली सोना बैंक में गिरवी रखने के लिए देते थे. इसके बाद बैंक से मिलने वाला गोल्ड लोन ये बैंक कर्मचारी ही हड़प लेते थे. मामले की जांच जारी है.
कैसे रची साजिश
शिकायतकर्ता तमाल कुमार रिट बेरोजगार युवक है. तमाल ने बताया कि पिछले सितंबर माह में एक चाय की दुकान में किशोर पाठक से उसकी मुलाकात हुई. किशोर ने उसे कहा कि वह उसे एक हजार रुपये की मदद कर सकता है लेकिन उसे उसकी मदद करनी होगी. किशोर ने तमाल से कहा कि उसके कुछ दोस्तों को गोल्ड लोन की जरूरत है लेकिन पहले से दो-तीन गोल्ड लोन लेने के कारण उसके दोस्तों को अब लोन नहीं मिलेगा.
तमाल ने बताया कि किशोर ने उसे 500 रुपये दिये और कोऑपरेटिव बैंक में अकाउंट खुलवा दिया. अकाउंट खोलने के कुछ दिन बाद किशोर ने तमाल को कुछ गहने दिये और बैंक में गिरवी रखवा दी. हालांकि गहने नकली थे लेकिन अरुण आस ने उस नकली गहने को असली बता कर गोल्ड लोन पास करवा दिया. लोन पास होते ही किशोर ने तमाल को एक हजार रुपये देकर भेज दिया. बैंक से तमाल को मिलने वाला गोल्ड लोन किशोर व उसके साथियों ने रख ली.
तमाल ने बताया कि किशोर के कहने पर उसने चार दफा बैंक में गोल्ड गिरवी रखी थी. बैंक से किशोर व उसके साथियों ने तमाल के नाम पर नौ लाख रुपये लिये हैं, जबकि उसे कुल चार हजार रुपये मिले थे. बताया जा रहा है कि सैकड़ों लोगों को इसी अंदाज में बैंक का ग्राहक बना कर नकली सोना गिरवी रखवा कर लोन पास किया गया है.
कब हुआ पर्दाफाश
अगस्त के प्रथम सप्ताह में बैंक की ओर से तमाल को एक चिठ्ठी मिली. बैंक ने तमाल को ब्याज सहित लोन वापस कर सोना लेने को कहा. उसने किशोर को इस जानकारी से अवगत कराया. किशोर ने कहा कि वह इस मामले को देख लेगा. कुछ दिन बाद बैंक के तीन कर्मचारी तमाल के घर पहुंचे व रुपये लौटाने की बात कही. तमाल ने उनको घटना की जानकारी दी.
इसके बाद उसने बैंक के सचिव सुशांत दत्ता से मुलाकात की. सचिव ने अरुण आस को तीन दिनों के अंदर गोल्ड लोन के नाम से ली गयी सभी लोन को जमा करने को कहा. तमाल ने बताया कि अरुण आस ने सचिव से कहा कि स्थानीय विधायक व बैंक के चीफ एडवाइजर जोटू लाहिड़ी से बात हो गयी है.
रुपये दो महीने के अंदर जमा होंगे. हालांकि सचिव सुशांत दत्ता ने उसकी बातों को दरकिनार करते हुए तीन दिनों के अंदर रुपये जमा करने का आदेश दिया. शुक्रवार को बैंक की इस घटना की जानकारी स्थानीय ग्राहकों को मिली. ग्राहकों ने किशोर पाठक को सड़क पर पकड़ लिया. घटना की खबर मिलते ही पुलिस पहुंची व किशोर को अपनी हिरासत में लिया. इसके बाद बीती रात तमाल ने जगाछा थाने में चारों के खिलाफ शिकायत दर्ज करायी.