।। श्रीकांत शर्मा ।।
सीवान जंक्शन से बीवी और तीन बेटों ने ट्रेन पकड़ी, लेकिन नहीं पहुंचे कोलकाता स्टेशन
हावड़ा : जिले के बेलूर के रहने वाले और अंबिका जूट मिल के कर्मचारी उमाशंकर दुबे की हालत पिछले चार दिन से पागलों जैसी हो गयी है. उनकी पत्नी और तीन बेटे 29 जून को सीवान जंक्शन से पूर्वाचल एक्सप्रेस ट्रेन से कोलकाता के लिए रवाना हुए. ट्रेन को 30 जून को कोलकाता स्टेशन पहुंचना था. ट्रेन तो सही समय पर आयी. वह परिवार को लेने स्टेशन भी गये.
लेकिन उनका परिवार ट्रेन से नहीं उतरा. चार दिन से वह दर-दर की ठोकरे खा रहे हैं. लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हो रही है. रेलवे से लेकर पुलिस तक फरियाद कर चुके हैं. लेकिन कहीं से जवाब नहीं मिल रहा है कि आखिर उनका परिवार किस हालत में है.
30 जून को जब से वे चितपुर स्टेशन से खाली हाथ लौटे हैं उनकी स्थिति पागलों जैसी हो गयी है. पिछले पांच दिनों से वे हर दिन ठीक 8.30 बजे पूर्वाचल एक्सप्रेस के आने के समय पर कोलकाता स्टेशन पहुंच जाते हैं. ट्रेन के आने के बाद बोगी नंबर एस-6 के साथ पूरी ट्रेन का खाक छानते हैं लेकिन जब कुछ नहीं मिलता तो वे प्लेटफॉर्म के एक कोने में खड़े एकटक ट्रेन को निहारते हैं. स्टेशन पर हर आने-जाने वालों से वह अपने पत्नी व बच्चों के बारे में पूछते हैं लेकिन हर आने-जाने वालों से उन्हें एक ही उत्तर मिलता है नहीं जानता, नहीं जानता.
हावड़ा के बेलूर निवासी उमाशंकर बताते हैं कि 29 जून की रात उनकी पत्नी नीतू देवी (36) तीन बेटों अरुण (13), अमित (11) और अनमोल (9) के साथ सिवान जंक्शन से पूर्वाचंल एक्सप्रेस ट्रेन में सवार हुई थी. पत्नी को बैठाने के लिए उसका भाई भी स्टेशन आया हुआ था. उसने बहन व भांजों को ट्रेन के एस-6 बोगी के 66, 67, 69 और 70 नंबर आरक्षित बर्थ पर बैठा दिया. ट्रेन रवाना होने के बाद मेरी पत्नी के साथ उसके घर वालों की दो बार बात भी हुई. पहली बार खोजपुर व दूसरी बार जब बात हुई उस समय ट्रेन मुजफ्फरपुर पहुंचने वाली थी.
हावड़ा के अंबिका जूट मिल में काम कर के जीवन यापन करने वाले उमाशंकर 30 जून को किसी भी अनहोनी से बेखबर पूर्वांचल एक्सप्रेस के आने के समय 8.30 बजे से ठीक आधे घंटे पहले कोलकाता स्टेशन पहुंचे. ट्रेन तो अपने निर्धारित समय पर स्टेशन पहुंची, लेकिन कोई नहीं पहुंचता है तो उनका परिवार. उमाशंकर बताते हैं कि मैंने ट्रेन के हर एक बोगी को छान मारा. सब उतरे लेकिन कोई नहीं उतरा तो बस मेरी पत्नी व बच्चे. मैंने लोगों से भी बात की लेकिन किसी ने कुछ नहीं बताया.
उनकी तलाश में मैं बंडेल स्टेशन पर भी गया. कोलकाता व बंडेल स्टेशनों के जीआरपी, आरपीएफ थानों पर भी पता किया लेकिन वहां के अधिकारियों ने मुङो यात्र आरंभ करने के स्टेशन पर शिकायत करने को कहा. उमाशंकर बताते हैं कि मेरे रिश्तेदार सिवान व मुजफ्फरपुर के रेलवे राजकीय पुलिस व रेलवे सुरक्षा बल थानों में शिकायत दर्ज कराने गये लेकिन किसी ने उनकी नहीं सुनी. उमांशकर कहते हैं कि आखिर मेरी पत्नी व बच्चे उस ट्रेन से कहा गये. यदि वे अपने गंतव्य स्टेशन पर नहीं पहुंचे तो इसके लिए क्या रेलवे जिम्मेदार नहीं है.