कोलकाता: चिटफंड कंपनियों के एजेंटों ने अपनी सुरक्षा की मांग की है. ऑल इंडिया स्मॉल डिपोजिटर्स एंड फील्ड वर्कर्स प्रोटेक्शन कमेटी के बैनर तले चिटफंड कंपनियों के देश भर के एजेंटों ने मंगलवार को महानगर के धर्मतल्ला में सभा कर अपनी सुरक्षा की मांग की.
सैकड़ों की तादाद में मौजूद एजेंटों का कहना था कि चिटफंड कंपनियों ने आम जनता के साथ-साथ उन्हें भी छला है. पैसे कमा कर वे तो गायब हो गयी हैं, लेकिन भुगतना उन्हें पड़ रहा है. जिन लोगों के पैसे लेकर उन्होंने जमा कराये हैं, वे सभी लोग उनके घरों में पहुंच रहे हैं. उन्हें मारा-पीटा जा रहा है. घरों में तोड़फोड़ भी हो रही है, लेकिन पुलिस की ओर से किसी प्रकार की मदद नहीं मिल रही.
कमेटी के संयुक्त सचिव चित्तरंजन दास ने कहा कि जब एजेंट थाने में मदद के लिए पहुंचते हैं, तो पुलिस कहती है कि पैसे लिये हैं, तो भुगतना भी पड़ेगा. इस स्थिति में कई एजेटों ने आत्महत्या कर ली है और कई उसी राह पर हैं. यह स्थिति केवल बंगाल की नहीं बल्कि बिहार, झारखंड, असम व समूचे उत्तर पूर्व की है. इन सभी राज्यों में एजेंटों की तादाद 35 लाख से अधिक है. श्री दास ने कहा कि चिटफंड कंपनियों के मालिकों के साथ राज्य सरकार के मंत्रियों की घनिष्ठता को देख कर ही आम लोगों के साथ-साथ वह भी भ्रमित हुए थे. आज मंत्री इससे पल्ला झाड़ रहे हैं. एजेंट अब जायें तो कहां जायें. मुख्यमंत्री से भी वह अपनी सुरक्षा की मांग कर चुके हैं. लेकिन अब तक ऐसा कुछ नहीं हुआ है.
श्री दास ने कहा कि कई छोटी-मोटी चिटफंड कंपनियां ऐसी हैं जिनके बारे में लोग जानते तक नहीं हैं. वह भी आम लोगों का पैसा लेकर गायब हो चुके हैं. वह चाहते हैं कि मामले की जांच के लिए सीबीआइ के साथ आरबीआइ, सेबी व इडी के प्रतिनिधि भी जुड़ जायें.
सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में मामले की जांच की जाये. जांच के बाद निवेशकों को उनका पैसा लौटाने की व्यवस्था की जाये. जब तक यह प्रक्रिया खत्म नहीं हो जाती तब तक एजेंटों को प्रशासन की ओर से सुरक्षा दी जाये. कई ऐसे एजेंट हैं जो दिन के उजाले में अपने घरों में नहीं जा सकते. रात के अंधेरे में उन्हें घर लौटना पड़ता है. यह स्थिति खत्म होनी चाहिए. एजेंटों की इस सभा में विधानसभा में विपक्ष के नेता सूर्यकांत मिश्र भी पहुंचे.