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गैंडा हत्या के मामले में तीन गिरफ्तार, पूछताछ जारी, प्राकृतिक विष देकर किया गया गैंडे का शिकार

जलपाईगुड़ी : उत्तर-पूर्व भारत के पेशेवर शिकारियों ने प्राकृतिक विष देकर गोरुमारा में गैंडे का शिकार कर किया है. पोस्टमार्टम में गैंडे के शरीर पर बुलेट के निशान नहीं मिले हैं. वनाधिकारियों एवं वन मंत्री विनयकृष्ण बर्मन ने यह जानकारी दी है. मंगलवार को चार घंटे तक बारिकी से गैंडे के शव का पोस्टमार्टम किया […]

जलपाईगुड़ी : उत्तर-पूर्व भारत के पेशेवर शिकारियों ने प्राकृतिक विष देकर गोरुमारा में गैंडे का शिकार कर किया है. पोस्टमार्टम में गैंडे के शरीर पर बुलेट के निशान नहीं मिले हैं. वनाधिकारियों एवं वन मंत्री विनयकृष्ण बर्मन ने यह जानकारी दी है. मंगलवार को चार घंटे तक बारिकी से गैंडे के शव का पोस्टमार्टम किया गया. इसके बाद वनाधिकारी निश्चिंत हुए कि उसकी हत्या गोली मारकर नहीं की गयी है. वन विभाग की ओर से गैंडे को किसी जानलेवा जहर देने की बात कही जा रही है.

गैंडे को किस तरह का जहर दिया गया था, इसकी जांच के लिए उसके देहांश के नमूने को कोलकाता के फॉरेंसिक लैब में भेजा जायेगा. घटना में शामिल होने के शक पर गड़ाती वन बस्ती इलाके के तीन निवासियों को गिरफ्तार किया गया है. आरोपियों के नाम धूपझोड़ा निवासी हरेन राय, गोपिनाथ राय एवं बुधुराम राई चालसा का निवासी है.

वनाधिकरियों का मानना है कि जहर खिलाकर गैंडे की हत्या करने में समय लगता है. क्योंकि इसके लिए गैंडे पर लगातार नजर रखनी पड़ती है. लेकिन शिकारी गैंडे के पीछे ज्यादा देर तक जंगल में नहीं ठहरते है. लेकिन सिर्फ ‘इमोबिलन’ नामक दवा से गैंडे को बेहोश किया जाता है. यह दवा काफी कीमती और खुले बाजार में मिलना लगभग असंभव है. इसे सिर्फ अमेरिका या विश्व के विभिन्न देशों को जरुरत के हिसाब से बनाता है और जटिल प्रक्रिया के माध्यम से भेजता है.

इसे देखते हुए वन विभाग को शक है कि उत्तर-पूर्व भारत के कुछ आदिवासी जनसमूह जड़ी-बूटी की मदद से ‘एकोनिटम’ नामक एक जहर बनाते है. इसका प्रयोग हाथी या गेंडे जैसे विशालकाय जीवों को मारने में किया जाता है. वन विभाग व व नमंत्री को शक है कि शिकारी ने इसी दवा का प्रयोग किया होगा. हालांकि यह अभी तक प्रमाणित नहीं हुआ है. क्योंकि असम व उत्तर बंगाल के शिकारी गोली मारकर गैंडे की हत्या करते है. इससे दूर-दूर तक गोली की आवाज सुनाई देने व पकड़े जाने का खतरा रहता है.

लेकिन मणिपुर के शिकारी एकोनिटम जैसे घातक दवा के प्रयोग से गैंडे की हत्या करने के पेशेवर हैं. पिछले साल जलदापाड़ा में गेंडे की हत्या के बाद इलाके से एकोनिटम मिश्रित सिंरिंज मिला था. उत्तर बंगाल के वन्यप्राण शाखा के मुख्य वनपाल उज्ज्वल घोष ने बताया कि गड़ाती इलाके में गोली चली तो आवाज जरुर सुनाई देती है. पोस्टमार्टम के दौरान मेटल डिटेक्टर से खोजा गया. लेकिन बुलेट का निशान नहीं मिला. बाकी फॉरेंसिक जांच में पता चलेगा.

फॉरेंसिक जांच के लिए कोलकाता भेजा गया देहांश, जलदापाड़ा नेशनल पार्क में रेड अलर्ट

मदारीहाट. वन विभाग की ओर से जलदापाड़ा नेशनल पार्क में रेड अलर्ट जारी कर दिया गया है. मंगलवार को गोरुमारा जंगल में एक गैंडे को मारकर शिकारियों ने उसका सिंग काट लिया. घटना के मद्देनजर जलदापाड़ा अभयारण्य में रेड अलर्ट जारी किया गया है. वन विभाग, पुलिस व एसएसबी संयुक्त रूप से जलदापाड़ा अभयारण्य व आसपास के वनबस्ती इलाकों में गश्ती व तलाशी अभियान चला रहे है. बुधवार सुबह कालचीनी ब्लॉक के कोदालबस्ती रेंज के विभिन्न इलाके संयुक्त बल ने गश्त लगाया. कोदालबस्ती के रेंजर धीराज कामी ने बताया कि उत्तर पूर्व भारत से शिकारियों का दल इस इलाके में घुस चुका है. उच्चाधिकारियों के आदेश पर विभिन्न स्थानों में पहरेदारी चल रही है.

वयस्क मादा तेंदुए का शव बरामद

कालचीनी. वयस्क मादा तेंदुए का शव बरामदगी को लेकर बुधवार सुबह लंकापाड़ा रेंज में खलबली मच गयी. घटना अलीपुरद्वार जिले के बीरपाड़ा के गेरगांडा चाय बागान में घटी है. सुबह श्रमिकों ने चाय बागान के भीतर एक वयस्क तेंदुआ का शव देखकर वन विभाग को इसकी सूचना दी. सूचना पाकर वनकर्मी मौके से तेंदुए के शव को बरामद किया गया. जलदापाड़ा के अतिरिक्त वन्यप्राण अधिकारी विमल देवनाथ ने बताया कि लेपार्ड के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है. पोस्टमार्टम के बाद ही पता चलेगा की मौत कैसे हुयी.

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