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लाखों के वारे न्यारे करने में लगे हैं ठेकेदार, अस्पताल प्रबंधन को जरा भी भनक नहीं

सिलीगुड़ी : कहते हैं किसी भी इमारत की मजबूती के लिए जरूरी है कि उसकी नींव मजबूत होनी चाहिए. जबकि उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में बन रहे नर्सिंग ट्रेनिग स्कूल की बिल्डिंग को लेकर कई तरह के सवाल उठने लगे हैं. आरोप है कि इमारत की नींव ही मिट्टी से तैयार किया जा […]

सिलीगुड़ी : कहते हैं किसी भी इमारत की मजबूती के लिए जरूरी है कि उसकी नींव मजबूत होनी चाहिए. जबकि उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में बन रहे नर्सिंग ट्रेनिग स्कूल की बिल्डिंग को लेकर कई तरह के सवाल उठने लगे हैं. आरोप है कि इमारत की नींव ही मिट्टी से तैयार किया जा रहा है.
खोखली नींव पर बनने वाली जी प्लस थ्री बिल्डिंग कितने वर्षों तक खड़ी रहेगी इसका अंदाजा लगाया जा सकता है. उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल परिसर में ही बन रही इस बिल्डिंग के निर्माण कार्य पर प्रबंधन का ध्यान तक नहीं है. हैरानी की बात यह कि निर्माण कार्य राज्य लोक निर्माण विभाग(पीडब्ल्यूडी) कर रहा है.
जानकारी के मुताबिक उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल परिसर में ही सरकारी नर्सिंग ट्रेनिंग स्कूल है. प्रत्येक वर्ष नर्सिंग प्रशिक्षण के लिए 60 छात्राएं यहां दाखिला लेती है. तीन वर्ष के पाठ्यक्रम की वजह से यहां 180 छात्राएं लेती हैं. यहां 180 छात्राओं के लिए बुनियादी ढांचागत सुविधाओं में काफी कमी देखी गयी. इसके बाद मौजूदा नर्सिंग ट्रेनिंग स्कूल के ठीक सामने एक और बिल्डिंग बनाने का निर्णय लिया गया. राज्य स्वास्थ विभाग ने बिल्डिंग बनाने की अनुमति भी दी.
जी प्लस थ्री बिल्डिंग निर्माण के लिए करोड़ो रूपए भी आवंटित किये गये. बिल्डिंग का निर्माण कार्य राज्य पीडब्ल्यूडी को सौंपा गया. अभी हाल ही में इस बिल्डिंग का निर्माण कार्य शुरू कराया गया है. नर्सिंग ट्रेनिंग स्कूल का निर्माण शुरू होते ही कार्य पर सवाल उठने लगे हैं. आरोप है कि नींव खुदाई में निकाली गयी मिट्टी से ही नींव व पिलर की ढलाई की जा रही है. स्थानीय सूत्रों से जो जानकारी मिली है उसके अनुसार नर्सिंग ट्रेनिंग स्कूल बिल्डिंग बनाने के लिए नींव की खुदाई की गयी.
इससे जो मिट्टी निकली उसे निर्माण स्थल के आस-पास ही जमा छोड़ दिया. अब आरोप है कि बिल्डिंग की नींव व पिलर की ढलाई में उसी मिट्टी का उपयोग किया जा रहा है. सूत्रों ने बताया कि इससे काम करने वाले ठेकेदार को लाखों रूपए का फायदा हुआ. वह इस मिट्टी का उपयोग नींव भरने के लिए कर सकता था. लेकिन उसने ऐसा नहीं किया.
सूत्रों ने आगे बताया कि खुदाई में निकाली गयी मिट्टी का कोई रिकार्ड नहीं रखा जाताहै. इसलिए ठेकादार इसी मिट्टी से ढलाई कर लेते हैं और बिल में ढलाई के लिए बालू दिखाकर रूपये की बंदरबांट कर लेते हैं. इसके अलावा भराई के अलग से बालू व मिट्टी मंगाने के नाम पर एक्सट्रा बिल बनाते हैं. ऐसा करने से ठेकेदार को दोगुना फायदा हो गया.
जबकि बिल्डिंग की नींव खोखली रह गयी. जानकारों के मुताबिक मिट्टी के साथ सीमेंट की सेटिंग कभी हो ही नहीं सकती. बालू के बिना पत्थर और गिट्टी सेट नहीं होगें. बालू की जगह मिट्टी से ढलाई कर बनने वाली इमारत की उम्र अधिक नहीं होगी. सही तरीके से बिल्डिंग का निर्माण कार्य कराये जाने के लिए ही कार्यभार पीडब्ल्यूडी को सौंपा गया था.
आश्चर्य की बात यह है कि बिल्डिंग का निर्माण उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल परिसर में ही हो रहा है उसके बाद भी विभागीय अधिकारियों को इस गड़बड़झाले की भनक तक नहीं है. इस संबंध में नर्सिंग ट्रेनिंग स्कूल की प्राध्यापिका सुतपा दत्ता ने बताया कि मिट्टी से ढलाई नहीं हो सकती. फिर यह कार्य पीडब्ल्यूडी द्वारा कराया जा रहा है.
निर्माण कार्य में लापरवाही कैसे बरती जा रही है. वे निर्माण कार्य पर निगरानी रखेंगी. वहीं उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल अधीक्षक डॉ. कौशिक समाजदार ने बताया कि निर्माण कार्य में निम्न स्तर का निर्माण सामग्री उपयोग किये जाने की बात उनकी नजर में नहीं आया है. बल्कि शिकायत भी नहीं मिली है. वे मामले की तफ्तीश के साथ पीडब्ल्यूडी विभाग से भी जानकारी लेगें. उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज के प्राध्यापक डॉ. समीर घोष राय ने भी इस मामले की खोज-खबर लेने की बात कही है.

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