लखनऊ: कांग्रेस आलाकमान ने पूर्व विधायक अजय राय को उत्तर प्रदेश कांग्रेस का नया अध्यक्ष बनाया है. अजय राय दो बार वाराणसी से पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ लोकसभा चुनाव में ताल ठोंक चुके हैं. 2014 में उनकी जमानत जब्त हो गयी थी. इसके बाद 2019 में भी उन्होंने पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ा था.
पूर्वांचल में अजय राय का दबदबा
कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव से पहले यूपी में अहम बदलाव किया है. इससे पहले बुंदेलखंड से आने वाले बृजलाल खाबरी को प्रदेश कांग्रेस की जिम्मेदारी दी गयी थी. गुरुवार शाम को एआईसीसी ने अजय राय के मनोनयन का पत्र जारी किया. इस पत्र में पूर्व प्रदेश बृजलाल खाबरी व उनकी टीम के योगदान की सराहना भी की गयी है.
यूपी कांग्रेस को खड़ा करने की चुनौती
पूर्व विधायक अजय राय को यूपी में कांग्रेस को फिर से खड़ा करने की चुनौतीपूर्ण जिम्मेदारी दी गयी है. निजी तौर पर देखें को अजय राय पांच बार विधायक रह चुके हैं. वाराणसी सहित आस-पास के जिलों में उनकी तूती बोलती है. वाराणसी की पिंडरा विधानसभा से वह निर्दलीय चुनाव जीत चुके हैं. पीएम मोदी के सामने लोकसभा चुनाव लड़ चुके अजय राय ने 2009 में भी बीजेपी के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी के खिलाफ भी चुनाव लड़ा था.
बीजेपी से की थी राजनीतिक कॅरियर की शुरुआत
अजय राय के राजनीतिक कॅरियर की शुरुआत 1996 में बीजेपी से हुई थी. वह 2009 तक लगातार विधायक रहे. पहली बार विधायक वह 1996 में वाराणसी की कोलअसला सीट से बने थे. कोलअसला को बाद में पिंडरा नाम दिया गया था. 2002 और 2007 में भी वह बीजेपी के टिकट पर यहां से जीते थे. मात्र 27 वर्ष की उम्र में उन्होंने भाकपा के बड़े नेता नौ बार के विधायक ऊदल को हराया था.
सपा के टिकट पर लड़ चुके हैं लोकसभा चुनाव
2009 में उन्होंने समाजवादी पार्टी का दामन थामा था. वह 2009 का वाराणसी लोकसभा चुनाव समाजवादी पार्टी के टिकट पर लड़े थे. जिसमें वह तीसरे नंबर पर रहे थे. लेकिन यहां उनका ज्यादा समय मन नहीं लगा और वह कांग्रेस में शामिल हो गये. 2012 में उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में विधानसभा चुनाव जीता था.
मुख्तार अंसारी को दिलायी सजा
अजय राय की पूर्वांचल के बड़े भूमिहार नेताओं में नाम लिया जाता है. हाल ही पूर्व विधायक अजय राय का नाम चर्चा में अपने बड़े भाई अवधेश राय के हत्यारे मुख्तार अंसारी को सजा दिलाने में आया था. अजय राय की पहचान जमीनी नेता के रूप में है.