UP Elelction 2022 : ओवैसी की रैली में लगाए गए विवादित पोस्टर, स्लोगन में संभल को बताया गाजियों की सरजमीं

यूपी के कुख्यात अतीक अहमद को पार्टी में शामिल करने के बाद मचे बवाल पर ओवैसी ने कहा, 'अतीक अहमद को क्यों लिया, तो क्या प्रज्ञा ठाकुर दूध की धुली हैं?'

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 23, 2021 8:44 AM

संभल : ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जोर लगाना शुरू कर दिया है. जगह-जगह आयोजित रैलियों को संबोधित कर रहे हैं. बुधवार को वे एक जनसभा को संबोधित करने संभल पहुंचे. ओवैसी की इस रैली में एक नया बखेड़ा हो गया. इस रैली के दौरान ओवैसी के स्वागत के लिए जो पोस्टर लगाए गए, उसमें संभल को गाजियों की धरती बता दिया गया.

मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, संभल की रैली में ओवैसी के स्वागत में पोस्टर मुशीर खां तरीन ने लगाए थे, जिसमें तरीन ने खुद पार्टी की ओर से संभल का प्रत्याशी लिखवाया है. रैली में ओवैसी के भाषण में भी तेवर तल्ख ही दिखे. अपने भाषण में वे विरोधी पार्टियों के साथ ही मतदाताओं पर भी जमकर बरसे. उन्होंने कहा कि 2017 के चुनाव में सभी पार्टियों ने चुनाव लड़ा, लेकिन सपा और बसपा के वोटर मोदी की गोदी में बैठकर चाय पीने चले गए. मुझ पर आरोप लगाते हैं कि मैंने वोटों का ध्रुवीकरण करके सपा की सरकार नहीं बनने दी.

उन्होंने आगे कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा एकसाथ मिलकर चुनाव लड़े, जिसमें इनके 15 प्रत्याशी ही जीते. बाकी कंडीडेट भाजपा के जीते. इस चुनाव में हमारा कोई कंडीडेट नहीं था, फिर भी हम पर आरोप लगाते हैं कि हमने वोट काटा. उन्होंने यह भी कहा कि हम पांच सीट जीत जाते हैं, तो भारत में तूफान आ जाता है. अखिलेश यादव की पार्टी को हिंदुओं का वोट नहीं मिलने पर वे हार गए, तो हमसे सवाल करते हैं.

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यूपी के कुख्यात अतीक अहमद को पार्टी में शामिल करने के बाद मचे बवाल पर ओवैसी ने कहा, ‘अतीक अहमद को क्यों लिया, तो क्या प्रज्ञा ठाकुर दूध की धुली हैं?’ यूपी में भाजपा के सौ विधायकों पर आपराधिक केस दर्ज हैं. खुद सीएम योगी पर कई केस दर्ज हैं, जिसमें उन्होंने अपना एक केस वापस ले लिया. उन्होंने कहा कि अब्बाजान कहते हैं कितने मुसलमानों को अंत्योदय अन्न योजना में कार्ड दिया? आज भी यूपी में 54 परसेंट मुसलमान गरीब है. हम कुछ कहते हैं, तो इनको तकलीफ होती है. बाराबंकी की मस्जिद शहीद हो गया, मुझ पर केस कर दिया गया. सरकार और वक्फ बोर्ड हाईकोर्ट क्यों नहीं गया?

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