-राजेन्द्र कुमार-
लखनऊः बहुजन समाज पार्टी का बुरा वक्त खत्म नहीं हो रहा है. लोकसभा चुनावों में मिली हार के बाद लगातार कोई ना कोई बुरी खबर पार्टी सुप्रीमों मायावती को सुनने को मिल रही है. इसी क्रम में उन्हें पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चन्द्र मिश्र की चचेरी बहन डा. दिव्या मिश्रा के भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने की सूचना मिली. दिव्या को मायावती ने राज्य समाज कल्याण बोर्ड का अध्यक्ष बनाया था. फिर भी उन्होंने बसपा के बुरे वक्त में पार्टी का साथ देने के बजाए भाजपा का दामन थाम लिया.
बहन के इस निर्णय पर सतीश चन्द्र मिश्र ने मीडिया से कुछ भी कहने से मना कर दिया है, वही दिव्या मिश्रा ने कहा है कि उनके भाजपा में जाने से उनके पारिवारिक रिश्तों पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. डॉ. दिव्या के इस दावे से बसपा के तमाम नेता इत्तेफाक नहीं रखते. इन नेताओं के अनुसार सतीश चन्द्र मिश्र अब पार्टी सुप्रीमों मायावती के लम्बे समय तक कृपापात्र नहीं रहेंगे, क्योंकि सतीश चन्द्र मिश्र बीते लोकसभा चुनावों में पार्टी प्रत्याशियों को सवर्ण वोट नहीं दिला सके. जबकि पार्टी ने उन्हें सवर्ण नेता के तौर पर जनता के बीच प्रचारित किया. उनके कहने पर 21 ब्राह्यण प्रत्याशियों को टिकट दिया गया, जिनमें उनके रिश्तेदार भी शामिल थे पर बसपा का एक भी ब्राह्यण उम्मीदवार लोकसभा चुनाव नहीं जीत सका.
इस करारी हार के बाद सतीश चन्द्र मिश्र की टोली के सक्रिय सदस्य बृजेश पाठक फर्जी टीए बिल का भुगतान लेने के मामले में फंसे पर बसपा सुप्रीमों मायावती ने सतीश चन्द्र मिश्र के दायित्वों में कटौती नहीं की. और उनको बसपा को मिले राष्ट्रीय दर्जे को बचाने की मुहिम में लगा दिया. पार्टी सूत्रों के अनुसार पार्टी में सतीश चन्द्र मिश्र को मिला यह महत्व बसपा के कुछ प्रमुख नेताओं को अखरा. पर सतीश चन्द्र मिश्र से खफा नेता उनके खिलाफ मायावती से कुछ कहते इसके पूर्व ही बसपा के दूसरे बड़े नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी आय से अधिक संपंति के प्रकरण में फंस गए. जिसके चलते उन्होंने सतीश चन्द्र मिश्र के खिलाफ आवाज बुलंद नहीं की परन्तु दिव्या मिश्रा के भाजपा में शामिल होने पर सतीश चन्द्र मिश्र से खफा नेताओं को मौका मिल गया है और इसे अब वह छोड़ने वाले नहीं है.
सतीश चन्द्र मिश्रा से खफा बसपा नेताओं का कहना है कि पार्टी सत्ता में रही हो या सत्ता के बाहर हर मौके पर सतीश चन्द्र मिश्र के परिवार और उनके नजदीकियों को महत्व मिलता रहा है. फिर भी संकट के समय सतीश चन्द्र मिश्र की बहन दिव्या ने बसपा का साथ नहीं दिया. जबकि मायावती ने मिश्र की बहन आभा अग्निहोत्री को राज्य महिला आयोग का अध्यक्ष और डॉ. दिव्या मिश्रा को राज्य समाज कल्याण बोर्ड का अध्यक्ष तथा उनके एक अन्य रिश्तेदार अनंत मिश्रा को स्वास्थ्य मंत्री बनाया था. मिश्र के कई अन्य नजदीकियों को भी मंत्री बनाकर मायावती ने उन्हें महत्व दिया था.
मायावती द्वारा सतीश चन्द्र मिश्र के परिवार पर की गई इस कृपा के बाद भी दिव्या मिश्रा ने मायावती का साथ छोड़ दिया. सतीश चन्द्र मिश्र भी अपनी बहन के इस निर्णय को बदलवा नहीं सके. जिसे लेकर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने बसपा पर तंज करते हुए कहा कि दिव्या मिश्रा का भाजपा में आना इस बात का साफ संकेत है कि भाजपा के पक्ष में हवा चल रही है, और बसपा अब हासिए पर चली गई है. सतीश चन्द्र मिश्र की चचेरी बहन दिव्या मिश्रा का यूं अचानक पाला बदलना मायावती के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. इससे बसपा की ब्राह्मणों के करीब पहुंचने की कोशिशों को पलीता लग सकता है. जिसका आंकलन करते हुए ही लखनऊ विश्वविद्यालय में राजनीतिक शास्त्र के प्रोफेसर आशुतोष मिश्र कहते हैं कि बसपा के बुरे दिन अभी खत्म नहीं हो रहे है.
भाजपा में उम्मीद दिखी : दिव्या
बहुजन समाज पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चन्द्र मिश्र की चचेरी बहन दिव्या मिश्रा कहती हैं कि महिलाओं और बच्चों के लिए बेहतर काम करने की उम्मीद उन्हें भाजपा में दिखी, इसीलिए उन्होंने भाजपा ज्वाइन की है. दिव्या अपने चाचा सतीश मिश्र से जुड़े सवालों का जवाब देने से बचती रहीं. उनका भाजपा ज्वाइन करना सतीश चन्द्र मिश्र के लिए राजनीतिक धर्मसंकट पैदा नहीं करेगा. वह कहती हैं कि हर दल में तमाम परिवार ऐसे हैं जिनके सदस्य अलग-अलग राजनीतिक दलों में है. मैंने कोई नई परंपरा तो नहीं डाली है. बसपा से उनका मोहभंग क्यों हुआ? इस सवाल पर कोई कोई टिप्पणी नहीं करती.