राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा है कि अगर नीति नहीं होती, तो सत्ता विकार बन जाती है. अभी हम देख रहे हैं कि रूस ने यूक्रेन पर हमला बोल दिया. रूस की ओर से किये जा रहे हमले का लोग विरोध कर रहे हैं, लेकिन कोई भी यूक्रेन में जाकर रूस को रोकने की कोशिश नहीं कर रहा है. इसकी वजह यह है कि रूस के पास शक्तियां हैं और वह धमकी देता है. संघ प्रमुख ने ये बातें बृहस्पतिवार को नागपुर में शिक्षा संवर्ग तृतीय वर्ष 2022 के समापन समारोह में कहीं.
क्या हम विश्व विजेता बनना चाहते हैं?
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि क्या हम विश्व विजेता बनना चाहते हैं? नहीं, हमारी ऐसी कोई आकांक्षा नहीं है. हमें किसी को जीतने की जरूरत नहीं है. हमें सभी लोगों से जुड़ना है. संघ भी सभी लोगों से जुड़ना चाहता है. उन्हें जीतना नहीं चाहता. भारत की संस्कृति ही यही रही है कि हम किसी को जीतते नहीं, सबसे जुड़कर रहते हैं.
रूस-यूक्रेन युद्ध में भारत सच बोल रहा है
रूस-यूक्रेन युद्ध के बारे में मोहन भागवत ने कहा कि भारत सच बोल रहा है, लेकिन उसे संतुलित रुख अपनाना है. किस्मत से भारत ने संतुलित रुख अपनाया है. भारत ने न तो रूस के हमले का समर्थन किया है, न ही रूस का विरोध किया है. यूक्रेन को युद्ध में इससे कोई मदद नहीं मिली, लेकिन भारत यूक्रेन को मानवीय मदद उपलब्ध करा रहा है. इतना ही नहीं, भारत बार-बार रूस से कह रहा है कि वह यूक्रेन के साथ बातचीत करे.
यूक्रेन का समर्थन करने वालों के इरादे नेक नहीं
दूसरी तरफ वो लोग हैं, जो रूस के हमले का विरोध कर रहे हैं. विरोध कर रहे लोगों के इरादे नेक नहीं हैं. वे लोग यूक्रेन को हथियार की सप्लाई कर रहे हैं. संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि यह ठीक उसी तरह है, जैसे पश्चिमी देशोें ने भारत और पाकिस्तान को एक-दूसरे के खिलाफ उकसाया और दोनों देशों की लड़ाई में अपने हथियारों की टेस्टिंग की. रूस-यूक्रेन के मामले में भी ऐसा ही कुछ हो रहा है.
यूक्रेन संकट में लाभ देख रहा है चीन
संघ प्रमुख ने कहा कि अगर भारत इतना शक्तिशाली होता, तो वह युद्ध रोकने की स्थिति में होता, लेकिन अभी वह ऐसा नहीं कर सकता, क्योंकि वह इस वक्त विकासशील देश है. शक्तिशाली बनने की राह पर है, लेकिन शक्तिशाली बना नहीं है. चीन उन्हें क्यों नहीं रोकता? इसलिए क्योंकि उसे इस युद्ध में कुछ लाभ दिखाई दे रहा है. इस युद्ध ने भारत जैसे राष्ट्रों के लिए सामरिक और आर्थिक चुनौतियां पेश की है. मोहन भागवत ने कहा कि हमें खुद को मजबूत करने की कोशिशों को तेज करना होगा. हमें शक्तिशाली राष्ट्र बनना होगा. जिस दिन भारत इतना शक्तिशाली हो जायेगा, दुनिया को ऐसे हालात नहीं देखने पड़ेंगे.