चाईबासा : कला और हस्तशिल्प से संबंधित कुटीर उद्योगों के लिए असम सदैव विख्यात रहा है. सिल्क व चाय के लिये विश्व में प्रसिद्ध इस राज्य की चाईबासा शिल्प उत्सव में लगे स्टॉल पहले ही दिन से विशेष आकर्षण का केंद्र रहा.
असम, गुवाहटी के बांसों से बनी वस्तुएं अपनी नक्कासी के लिए लोगों का ध्यान बरबस ही अपनी और खींच रहा है. मेले में असम के ग्रामीण परिवेश के बांस की कला को देख कर इस प्रदेश के सादगीपन का अहसास होता है. बांस के बने दीवालगीर, थैले, चाय छलनी, खिलौने, टोकरी, हेयरपिन, दिवार की सजावट के सामन जहां पुरानी सभ्यता से परिचय करवा रही है, वहीं बांस की बनी कुर्सी, सोफा सेट, डायनिंग टेबल, मोबाइल कवर, लेडिस पर्स, ट्रे आदि देश में हो रही प्रगति का अहसास करवाती नजर आती है.
बांस की कलाकृतियों से सजे उक्त स्टॉल को लगाने वाले अभिजीत वर्मा बताते है कि बांस की इन कलात्मक व सजावटी समानों को चाईबासा के लोगों द्वारा पसंद तो किया जा रहा है, लेकिन अभी उनके खरीदारी की रफ्तार थोड़ी धीमी है. हालांकि इसके बावजूद अब तक उनका व्यापार ठीक–ठाक रहा है.