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अंगरेजों के दमन के विरुद्ध लड़े बिरसा मुंडा

चक्रधरपुर : अंगरेजों के दमन के विरुद्ध लड़ने वाले आदिवासी नेता बिरसा मुंडा का 16वां शहादत दिवस मनाया गया. प्रखंड कार्यालय के समीप अवस्थित बिरसा स्मारक स्थल पर बड़ी संख्या में लोगों ने आदमकद प्रतिमा पर श्रद्धासुमन अर्पित किये. मुख्य रूप से विधायक शशिभूषण सामाड, खरसावां विधायक दशरथ गागराई, पूर्व विधायक बहादुर उरांव, झामुमो जिला […]

चक्रधरपुर : अंगरेजों के दमन के विरुद्ध लड़ने वाले आदिवासी नेता बिरसा मुंडा का 16वां शहादत दिवस मनाया गया. प्रखंड कार्यालय के समीप अवस्थित बिरसा स्मारक स्थल पर बड़ी संख्या में लोगों ने आदमकद प्रतिमा पर श्रद्धासुमन अर्पित किये. मुख्य रूप से विधायक शशिभूषण सामाड, खरसावां विधायक दशरथ गागराई, पूर्व विधायक बहादुर उरांव, झामुमो जिला अध्यक्ष भुवनेश्वर महतो, झारखंड आंदोलनकारी मांझी सोय, पंचायत समिति सदस्य बुधराम उरांव समेत दर्जनों ने श्रद्धांजलि अर्पित किये.
चक्रधरपुर से गिरफ्तार किये गये थे बिरसा
शहादत दिवस में शामिल होने आये आदिवासी नेताओं ने बताया कि कोल्हान में जब अंगरेजों की दमन नीति चल रही थी, तब आदिवासियों की सुरक्षा के लिए बिरसा मुंडा ने अंगरेजों का विरोध किया था. उन्होंने कोल्हान में अंगरेजी ताकत का खुल कर विरोध किया और उनसे कई लड़ाइयां भी लड़ी. उन्होंने आदिवासियों के धर्मातरण का भी विरोध किया.
तीन फरवरी 1900 को बिरसा मुंडा को चक्रधरपुर से गिरफ्तार कर अंगरेजों ने जेल में बंद कर दिया और खूब यातनाएं दी गयीं.
इस कारण नौ जून 1900 को रांची जेल में उनका निधन हो गया. उनके निधन के पहले और बाद में भी आदिवासियों ने बिरसा को अपना नेतृत्वकर्ता और लीडर माना. उन्होंने आदिवासियों का राजनीतिक व सामाजिक उत्थान किया.

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