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हमने नहीं जारी किया फरमान
ग्रामीणों ने कहा, हमें तो बेवजह किया जा रहा है बदनाम चाईबासा : अंजतबेड़ा के जंगल से लकड़ी काटने पर हाथ-पैर काटने का कोई फरमान यहां के ग्रामीणों ने नहीं जारी किया है. जिन लोगों ने पहले ऐसी अफवाह फैलायी उन लोगों ने ही गांव के कुछ सीधे-साधे लोगों को असामाजिक तत्व ठहराकर पुलिस में […]
ग्रामीणों ने कहा, हमें तो बेवजह किया जा रहा है बदनाम
चाईबासा : अंजतबेड़ा के जंगल से लकड़ी काटने पर हाथ-पैर काटने का कोई फरमान यहां के ग्रामीणों ने नहीं जारी किया है. जिन लोगों ने पहले ऐसी अफवाह फैलायी उन लोगों ने ही गांव के कुछ सीधे-साधे लोगों को असामाजिक तत्व ठहराकर पुलिस में उनका नाम भी दे दिया. यह बड़ी साजिश है, जिसका खुलासा होना चाहिए.
लेकिन सच्चई पता करने की जगह आस-पास के गांव के मानकी-मुंडा, डाकुआ व मुखियाओं ने अंजतबेड़ा के ग्रामीणों को दोषी मानते हुए उनका सामाजिक बहिष्कार करने की चेतावनी दे दी है, जो महज गलतफहमी का परिणाम है. स्थिति ऐसी उत्पन्न हो गयी है कि एक ओर पुलिस, तो दूसरी ओर आसपास के गांव के लोग उन्हें परेशान कर रहे. अंजतबेड़ा के मुंडा विजय सिंह तामसोय के नेतृत्व में आये सैकड़ों लोगों ने इस तथ्य खुलासा मंगलवार को किया. इससे पूर्व ग्रामीणों ने डीएसपी से मिलकर अपनी बात रखी और न्याय कराने का अनुरोध किया
जिन पर आरोप, वह निदरेष
ग्रामीणों का कहना है कि पूरे मामले में सेवानिवृत शिक्षक डेविड तामसोय, प्रधान तामसोय, साहेब तामसोय, चंदरा लोहार, विजय सिंह तामसोय, हरीश, सुंदरी तामसोय को असामाजिक तत्व बताकर दोष मढ़ा जा रहा है. जबकि ये सभी निदरेष है. प्रधान तामसोय सामाजिक कार्यकर्ता होने के साथ-साथ शिक्षक है. यहां तक की गांव के मुंडा को भी असामाजिक तत्व बताकर पुलिस डायरी में उनका नाम चढ़ा दिया गया है.
ग्रामीणों ने नहीं किसी ओर से चस्पाया फरमान
हाथ-पैर काटने का फरमान अंतजतबेड़ा के ग्रामीणों ने नहीं बल्कि क्रांतिकारी किसान कमेटी की ओर से चस्पाया गया है. जो कि मुख्य रुप से माओवादी संगठन का अंग है. नक्सली से जुड़ा मामला होने के बावजूद पुलिस भी इसके लिए अंजतबेड़ा के ग्रामीणों पर दोष मढ़ रही है. पिछले दिनों पुलिस-सीआरपीएफ के साथ गांव गयी थी. लेकिन पुलिस ने पोस्टर के जरिये चस्पाये गये फरमान को जब्त नहीं किया था. जिसके कारण यह फरमान अभी पूरे क्षेत्र में चस्पा हुआ है.
पुलिस ने की अनदेखी, जनप्रतिनिधियों ने नहीं जानी सच्चई
मामले के समाधान को लेकर 16 मार्च को मुफ्फसिल थाना में आयोजित बैठक में अंजतबेड़ा के लोगों को नहीं बुलाया गया. बैठक की जानकारी अंजतबेड़ा के मुंडा विजय सिंह तामसोय समेत अन्य को नहीं दी गयी थी बैठक में अंजतबेड़ा के ग्रामीणों पर दोष मढ़ने वाले बड़ालागिया के मानकी हेमंतलाल सुंडी, मुखिया सावित्री सुंडी, पंड़ावीर की उपमुखिया जसमती बोयपाई, कबरागुटू के मुंडा गरदी सुंडी. जांगीदारू के मुंडा लोकन बोदरा, सिंबिया के मुंडा संजय बारी, गंजड़ा के मुंडा दुम्बी बोयपाई, पंडावीर के मुंडा कप्तान बोयापई, रोरो के मुंडा बीरसिंह सुंडी में से कोई भी मामले की सच्चई जानने गांव तक नहीं पहुंचा था. इन लोगों की कभी ग्रामीणों से बातचीत भी नहीं हुई. ऐसे में अंजतबेड़ा के ग्रामीणों के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई का निर्णय लिया जाना गलत है.
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