सिमडेगा : सजायाफ्ता नेताओं को चुनाव लड़ने से वंचित रखने एवं सदस्यता रद्द करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरुद्ध कैबिनेट द्वारा अध्यादेश को मंजूरी दिये जाने को लोगों ने सिरे से खारिज कर दिया है.
कैबिनेट ने कोर्ट के फैसले के विरुद्ध यह निर्णय लिया है कि सजायाफ्ता व्यक्ति भी चुनाव लड़ सकता है तथा सजायाफ्ता विधायक व सांसद की सदस्यता भी रद्द नहीं होगी. अधिवक्ता तेजबल शुभम कहते हैं कि कोर्ट का फैसला बिल्कुल सही था. दागी लोगों से कोई उम्मीद नहीं की जा सकती है. उन्होंने कहा कि कैबिनेट के फैसले से राजनीतिक अपराधीकरण को बढ़ावा मिलेगा.
शौंडिक संघ के जिला अध्यक्ष गरजा निवासी विजय कुमार का कहना है कि कोर्ट का निर्णय बिल्कुल सही था. इससे संसद व विधान सभा की गरिमा बची रह सकती थी. उन्होंने कहा कि सजायाफ्ता लोगों से कोई उम्मीद नहीं की जा सकती है.
अधिवक्ता प्रभात कुमार श्रीवास्तव कहते हैं कि कैबिनेट का यह फैसला तानाशाह का परिचायक है. अपने फायदे के लिये ऐसे नियम बनाये जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि सजायाफ्ता लोगों को लोक सभा व विधान सभा में जगह देना प्रजातंत्र के लिए घातक है.
अरशद हुसैन का कहना है कि सजायाफ्ता विधायकों व सांसदों को खुद से इस्तीफा दे देना चाहिए. उन्होंने कहा कि अच्छे छवि के लोगों को लोक सभा एवं विधान सभा में भागिदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए. कपड़ा व्यवसायी संजय अग्रवाल उर्फ पप्पू ने कहा कि सजायाफ्ता लोगों को किसी भी कीमत में चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए. बल्कि सजायाफ्ता लोगों को सरकारी सुविधाओं से भी वंचित कर दिया जाना चाहिए.
दवा व्यवसायी सपन कुमार साहा कहते हैं कि कोर्ट के आदेश का सम्मान किया जाना चाहिए. कोर्ट द्वारा काफी सोच समझ कर फैसला लिया जाता है. जनहित में लिया गया फैसला ही सही फैसला होता है. कैबिनेट द्वारा लिया गया फैसला गलत है.