झारखंड हाईकोर्ट ने लंबे समय से 67 मामलों में नहीं दिया फैसला, सुप्रीम कोर्ट हुआ नाराज
Supreme Court Strict on Jharkhand High Court Case Pendency: झारखंड हाईकोर्ट में फैसला सुरक्षित रखने के बाद 67 आपराधिक अपीलों पर फैसला नहीं सुनाने पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने सभी हाईकोर्ट से ऐसे मामलों की रिपोर्ट 1 महीने में देने के लिए कहा है. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने इसे ‘परेशान करने वाला’ व्यवहार करार दिया है. सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने कहा है कि वह इस मुद्दे पर अनिवार्य दिशा-निर्देश बनायेगी.
Supreme Court Strict on Jharkhand High Court Case Pendency: झारखंड हाईकोर्ट में आपराधिक मामलों में लंबे समय से फैसला लंबित रहने पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इस बात पर आश्चर्य जताया कि झारखंड हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखने के बाद 67 आपराधिक अपीलों पर फैसला नहीं सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने सभी हाईकोर्ट से कहा है कि ऐसे मामलों में एक महीने में रिपोर्ट दें, जिसमें फैसला सुनाना लंबित है. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने इस घटनाक्रम को ‘परेशान करने वाला’ करार दिया. खंडपीठ ने कहा कि वह इस मुद्दे पर कुछ अनिवार्य दिशा-निर्देश बनायेगी. कहा कि इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती.
सभी हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट ने 4 सप्ताह में मांगी रिपोर्ट
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने सभी हाईकोर्ट से 4 सप्ताह में उन मामलों पर रिपोर्ट मांगी है, जिनमें 31 जनवरी, 2025 को या उससे पहले फैसला सुरक्षित रखा गया है, लेकिन आज तक निर्णय नहीं सुनाया गया है. शीर्ष अदालत ने झारखंड हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल की ओर से दायर रिपोर्ट पर गौर करने के बाद यह निर्देश पारित किया, जिसमें कहा गया है कि जनवरी, 2022 से दिसंबर, 2024 तक खंडपीठ द्वारा सुनी गयी 56 आपराधिक अपीलों में आदेश सुरक्षित रखे जाने के बावजूद फैसला नहीं सुनाया गया है.
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उम्रकैद की सजा पाने वाले 4 दोषियों की याचिका पर हो रही थी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि एकल पीठ के न्यायाधीश के समक्ष आदेश सुरक्षित रखे जाने के बावजूद 11 आपराधिक अपीलों पर फैसला नहीं सुनाया गया है. शीर्ष अदालत आजीवन कारावास की सजा पाने वाले 4 दोषियों की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. इनकी पैरवी अधिवक्ता फौजिया शकील कर रहीं थीं. याचिका में दावा किया गया था कि झारखंड हाईकोर्ट ने वर्ष 2022 में दोषसिद्धि के खिलाफ उनकी अपील पर आदेश सुरक्षित रखा था, लेकिन फैसला नहीं सुनाया, जिसकी वजह से वे सजा में छूट का लाभ लेने में सक्षम नहीं थे.
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