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नयी शिक्षा नीति लागू : रिपोर्ट बनाने में दो साल लगे, 10 लाख लोगों की राय ली गयी

देश में लगभग 34 साल बाद नयी शिक्षा नीति लागू की गयी है. सौभाग्य से मैं इस नीति के निर्माण के लिए केंद्र सरकार द्वारा बनायी गयी आठ सदस्यीय कमेटी का सदस्य रहा. कमेटी के अध्यक्ष इसरो के पूर्व प्रमुख के कस्तूरीरंगन थे.

देश में लगभग 34 साल बाद नयी शिक्षा नीति लागू की गयी है. सौभाग्य से मैं इस नीति के निर्माण के लिए केंद्र सरकार द्वारा बनायी गयी आठ सदस्यीय कमेटी का सदस्य रहा. कमेटी के अध्यक्ष इसरो के पूर्व प्रमुख के कस्तूरीरंगन थे. कमेटी की अोर से मुझे उच्च शिक्षा से संबंधित ड्राफ्टिंग का कार्य मिला. नयी शिक्षा नीति का प्रारूप तैयार करने में दो साल लगे.

24 जून 2017 से कमेटी ने काम शुरू किया. इस दौरान 24 बैठकें हुईं. जबकि, देश के 36 हजार लोगों से परामर्श व लगभग 10 लाख लोगों की राय (विचार) लेने के बाद एक निष्कर्ष के आधार पर इसे तैयार किया गया. कमेटी ने अपनी रिपोर्ट 31 मई 2019 को ही जमा कर दी थी. कमेटी की अोर से 384 पेज की रिपोर्ट तैयार की गयी. काफी अध्ययन के बाद इसका समरी (सारांश) 54 पेज में तैयार किया गया और इसे कैबिनेट में लाया गया. खुशी है कि इसे लागू करने के बाद केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ने फोन कर मुझे बधाई दी.

साथ ही कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी इच्छा थी कि कमेटी के सभी सदस्यों को इसके लिए उनकी तरफ से भी बधाई दें. नयी शिक्षा नीति में विद्यार्थियों के हितों को ध्यान में रखा गया है. बच्चों को पढ़ने के साथ-साथ सीखने पर जोर दिया गया है. सिर्फ ज्यादा अंक पाने के लिए रटने से अच्छा है कि बच्चे के विकास के लिए उन्हें कई जरूरी चीजें सिखायी जायें. सरकारी स्कूलों में भी प्राइवेट स्कूलों की तरह शिक्षा की व्यवस्था करने का लक्ष्य है.

कॉमन इंट्रेंस टेस्ट के आधार पर नामांकन पर जोर : ज्यादा अंक वाले को ही अच्छे कॉलेजों में नामांकन हो पाता था, जबकि कम अंक वाले पिछड़ जा रहे थे, इस बात का ख्याल रखते हुए कॉमन इंट्रेंस टेस्ट के आधार पर नामांकन पर जोर दिया गया है. चार साल के स्नातक के पीछे विद्यार्थियों को किसी विषय की गहराई से जानकारी हासिल करना है. विद्यार्थियों को 10वीं व 12वीं के बोर्ड परीक्षा का तनाव कम करने के लिए ही कक्षा नौ से 12वीं तक की शिक्षा व्यवस्था को आठ सेमेस्टर में बांटा गया है.

शिक्षा में वैज्ञानिक सोच, व्यावसायिक शिक्षा, प्रावैधिकी शिक्षा व रोजगार उन्मुख शिक्षा प्रणाली को प्राथमिकता दी गयी है. उच्च शिक्षा में वर्ष 2022 तक सभी विवि के सभी शिक्षकों के लिए संबंधित विषय में पीएचडी की अर्हता पूरी करना होगा. वर्ष 2035 तक पूरे देश में 100 प्रतिशत साक्षरता को पूरा करने पर जोर दिया गया है.

डॉ आरएस कुरील, बीएयू के पूर्व वीसी सह नयी शिक्षा नीति निर्माण कमेटी के सदस्य

देश की नयी शिक्षा नीति

  • नयी शिक्षा नीति में रखा गया है विद्यार्थियों के हितों का ध्यान, सीखने पर ज्यादा जोर

  • रटने से अच्छा है कि बच्चे के विकास के लिए उन्हें कई जरूरी चीजें सिखायी जायें

  • सरकारी स्कूलों में भी प्राइवेट स्कूलों की तरह शिक्षा की व्यवस्था करने का है लक्ष्य

खास बातें

  • 24 जून 2017 से कमेटी ने काम शुरू किया, 24 बैठकें हुईं

  • 31 मई 2019 को ही कमेटी ने जमा कर दी थी अपनी रिपोर्ट

  • 54 पेज में इसका सारांश तैयार कर इसे कैबिनेट में लाया गया

मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में गठित होगा 25 सदस्यीय राज्य शिक्षा आयोग : शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में 25 सदस्यीय राष्ट्रीय शिक्षा आयोग तथा राज्यों में मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में 25 सदस्यीय राज्य शिक्षा आयोग का गठन किया जायेगा. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्द्धा के लिए शोध व उच्च शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने पर जोर दिया गया है. राष्ट्रीय स्तर पर अनुसंधान के लिए धन की उपलब्धता के लिए अनुसंधान प्रतिष्ठान गठित होगी, जो केंद्र सरकार, राज्य सरकार व काॅरपोरेट जगत से धन संग्रह कर सभी विवि को राशि उपलब्ध करायी जायेगी.

शिक्षण के लिए चार वर्षीय बीएड होगी न्यूनतम अर्हता : चार वर्षीय समन्वित बीएड डिग्री 2030 से शिक्षण कार्य के लिए न्यूनतम अर्हता होगी और निम्न स्तर के स्वचालित शिक्षक शिक्षा संस्थानों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जायेगी. नयी शिक्षा नीति में इसका खाका पेश किया गया है. नयी शिक्षा नीति में कहा गया है कि 2022 तक एनसीटीइ शिक्षकों के लिए एक साझा राष्ट्रीय पेशेवर मानक तैयार करेगी.

इसके लिए एनसीइआरटी, एससीइआरटी, शिक्षकों और विशेषज्ञ संगठनों के साथ परामर्श किया जायेगा. नीति के अनुसार, पेशेवर मानकों की समीक्षा एवं संशोधन 2030 में होगा और इसके बाद प्रत्येक 10 वर्ष में होगा. इसमें कहा गया है कि शिक्षकों को प्रभावकारी एवं पारदर्शी प्रक्रियाओं के जरिये भर्ती किया जायेगा.

पदोन्नति योग्यता आधारित होगी, जिसमें कई स्रोतों से समय-समय पर कार्य-प्रदर्शन का आकलन करने और कैरियर में आगे बढ़ कर शैक्षणिक प्रशासक या शिक्षाविशारद बनने की व्‍यवस्‍था होगी. केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को नयी शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी है, जिसमें स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक कई महत्वपूर्ण बदलाव किये गये हैं.

राष्ट्रीय सलाह मिशन की होगी स्थापना : एक नयी एवं व्यापक स्कूली शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा ‘एनसीएफएसइ 2020-21’ एनसीइआरटी द्वारा विकसित की जायेगी. एक राष्ट्रीय सलाह मिशन की स्थापना की जायेगी. इसमें उत्कृष्टता वाले वरिष्ठ/सेवानिवृत्त संकाय का एक बड़ा पूल होगा, जिसमें भारतीय भाषाओं में पढ़ाने की क्षमता वाले लोग शामिल होंगें.

Post by : Pritish Sahay

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