रांची : झारखंड में कार्यरत 1200 मनरेगा कर्मियों पर नौकरी जाने का खतरा मंडराने लगा है. क्यों कि ग्रामीण विकास विभाग ने इससे संबंधित एक आदेश जारी किया है. जिसमें कहा गया है कि दैनिक वेतनभोगी के रूप में विभिन्न प्रखंडों में कार्यरत कर्मियों की सेवा पर तत्काल रूप से रोक लगाने का फरमान जारी हुआ है. इससे धनबाद, बोकारो एवं गिरिडीह के 103 कर्मी प्रभावित होंगे.
सूत्रों के अनुसार, राज्य के ग्रामीण विकास विभाग के सचिव डॉ मनीष रंजन ने सभी उपायुक्तों एवं उप विकास आयुक्तों को पत्र भेज कर कहा है कि मनरेगा अंतर्गत रीट मॉडल के तहत विभिन्न जिलों में स्वीकृत पद के अतिरिक्त कर्मियों के लिए मनरेगा मद से राशि भुगतान की मांग की गयी है. जिसके बाद यह स्पष्ट हुआ कि जिला एवं प्रखंड स्तर पर स्वीकृत पदों के इतर भी कर्मियों से सेवा ली जा रही है.
साथ ही, बिना विभागीय अनुमति के ही उक्त पदों पर की गयी नियुक्ति तथा अनियमित भुगतान के संबंध में भी प्रतिवेदन की मांग की गयी थी. विभिन्न जिलों से प्राप्त रिपोर्ट से स्पष्ट है कि हर जिला के विभिन्न प्रखंडों में कंप्यूटर ऑपरेटर, चालक, अनुसेवक, सफाई कर्मी, जेनरेटर ऑपरेटर, रात्रि प्रहरी, आशुलिपिक सह टंकक आदि से सेवा ली जा रही है. दैनिक पारिश्रमिक से राशि का भुगतान भी किया जा रहा है. अतिरिक्त कर्मियों की नियुक्ति का कोई औचित्य नहीं है.
सचिव के अनुसार, विभिन्न प्रखंडों में इन पदों पर बहाली में जिला प्रशासन का कोई नियंत्रण नहीं रह गया है. सबसे ज्यादा गढ़वा जिले में 132, सिमडेगा में 55, लोहरदगा में 34, लातेहार में 51, रामगढ़ में 49, गुमला में 70 अतिरिक्त कर्मियों से सेवा ली जा रही है. इस आदेश से धनबाद जिला के 42, बोकारो के 21 तथा गिरिडीह में 42 कर्मी प्रभावित होंगे. सभी डीसी, डीडीसी को यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि बिना सृजित पद पर सक्षम प्राधिकार के आदेश के कोई काम नहीं करेगा. इनका वेतन भुगतान नहीं होगा.
सूत्रों के अनुसार, प्रखंडों में विभिन्न पदों पर कार्यरत लगभग 1200 कर्मचारियों को पिछले छह माह से वेतन नहीं मिला है. इस नये आदेश से ऐसे कर्मियों में हड़कंप मच गया है.
रिपोर्ट : संजीव झा, धनबाद.