Jharkhand News, Ranchi News, Bihar Police रांची : अधिवक्ता व राज्य सरकार के अपर लोक अभियोजक रजनीश वर्धन को पटना पुलिस बिना सूचना दिये अपने साथ ले गयी थी. इस मामले में दायर हैवियस कॉरपस याचिका पर मंगलवार को सुनवाई करते हुए झारखंड हाइकोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की.
मामले को गंभीरता से लेते हुए जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने मौखिक रूप से कहा : पुलिस बिना प्रक्रिया का पालन किये किस आधार पर अधिवक्ता को अपने साथ ले गयी? यह जबरदस्ती का मामला प्रतीत होता है. यह न सिर्फ अधिवक्ता, बल्कि आम लोगों से जुड़ा गंभीर मामला है, जिसमें कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है. यह मानवाधिकार के उल्लंघन का मामला प्रतीत होता है.
खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान तत्काल रांची व पटना के एसएसपी को वर्चुअल माध्यम से उपस्थित होने का निर्देश दिया. आनन-फानन में रांची और दानापुर के एएसपी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से उपस्थित हुए. खंडपीठ ने पूछा कि अधिवक्ता को ले जाने के पूर्व प्रक्रिया का पालन क्यों नहीं किया गया? यदि यह गिरफ्तारी थी, तो बिना जमानत कैसे छोड़ दिया गया?
उन्हें शपथ पत्र के माध्यम से जवाब दायर करने का निर्देश दिया गया. इसके अलावा खंडपीठ ने प्रार्थी को बिहार के गृह सचिव को मामले में प्रतिवादी बनाने को कहा. मामले की अगली सुनवाई के लिए खंडपीठ ने 25 नवंबर की तिथि निर्धारित की.
बिना सूचना के पटना पुलिस आठ नवंबर को सुखदेवनगर थाना क्षेत्र निवासी झारखंड हाइकोर्ट के अधिवक्ता रजनीश वर्धन को अपने साथ ले गयी थी. श्री वर्धन की पत्नी श्वेता प्रियदर्शनी ने इसकी सूचना एडवोकेट एसोसिएशन झारखंड हाइकोर्ट को दी. दबाव पड़ने पर पुलिस ने अधिवक्ता को पूछताछ कर छोड़ दिया.
इस मामले में एसोसिएशन की पहल पर अधिवक्ता की पत्नी ने झारखंड हाइकोर्ट में हैवियस कॉरपस याचिका (बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका) ऑनलाइन दायर की. एडवोकेट एसोसिएशन की अोर से मामले की अविलंब सुनवाई के लिए विशेष मेंशन किया गया. इसके बाद झारखंड हाइकोर्ट की खंडपीठ ने अवकाश के बावजूद मंगलवार को तत्काल सुनवाई करने का निर्णय लिया.
Posted by : Sameer Oraon