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झारखंड : जैविक खादों से सोना उगल रही धरती

रांची : रासायनिक उर्वरकों के अंधाधुंध प्रयोग से बंजर होती धरती और महंगी होती खेती-बारी के दोहरे नुकसान के बीच जैविक खादों ने किसानों को संजीवनी दी है. उर्वरकों की कालाबाजारी और ऊंची कीमतों ने किसानों की कमर तोड़ दी है. ऐसे में कर्ज में अक्सर डूबे रहनेवाले अन्नदाता किसान भाई-बहनों के लिए सस्ती खेती और अच्छी उपज के लिए जैविक खाद सबसे बेहतर विकल्प हैं. झारखंड के कई जिलों के किसान जैविक खाद का उपयोग कर कम लागत में अच्छी उपज प्राप्त कर रहे हैं. पढ़ें गुरुस्वरूप मिश्रा की रिपोर्ट.

रांची : रासायनिक उर्वरकों के अंधाधुंध प्रयोग से बंजर होती धरती और महंगी होती खेती-बारी के दोहरे नुकसान के बीच जैविक खादों ने किसानों को संजीवनी दी है. उर्वरकों की कालाबाजारी और ऊंची कीमतों ने किसानों की कमर तोड़ दी है. ऐसे में कर्ज में अक्सर डूबे रहनेवाले अन्नदाता किसान भाई-बहनों के लिए सस्ती खेती और अच्छी उपज के लिए जैविक खाद सबसे बेहतर विकल्प हैं. झारखंड के कई जिलों के किसान जैविक खाद का उपयोग कर कम लागत में अच्छी उपज प्राप्त कर रहे हैं. पढ़ें गुरुस्वरूप मिश्रा की रिपोर्ट.

गोबर खाद तैयार करने के लिए नहीं खोदें गहरा गड्ढा

आप केंचुआ खाद, गोबर खाद व नाडेफ खाद खुद घर पर तैयार कर सकते हैं. केंचुआ खाद महज 45 दिनों में ही तैयार हो जाती है. गांवों में अक्सर गोबर खाद तैयार की जाती है, लेकिन वैज्ञानिक तरीके से तैयार नहीं की जाती है. इस कारण इसका विशेष लाभ किसानों को नहीं मिल पाता है. आप इसे तैयार करने के लिए गहरा गड्ढा कभी नहीं खोदें. जमीन के ऊपर ही इसे बनाएं. इसमें डिकंपोजर का प्रयोग करेंगे, तो 8-9 महीने की जगह पांच महीने में ही ये खाद तैयार हो जायेगी. इसे 15-20 दिनों में पलटते रहें, तो एक महीने पहले ही तैयार हो जायेगी.

10 दिनों में बनता है तरल जैविक खाद शस्य गव्य

तरल जैविक खादों में शस्य गव्य, पंच गव्य और बीज संजीवनी को आप घर पर तैयार कर सकते हैं. शस्य गव्य को तैयार करने के लिए सबसे पहले प्लास्टिक या मिट्टी का बर्तन लेंगे. इसमें एक भाग खर-पतवार व सब्जियों के छिलके लेंगे. एक भाग गोमूत्र लेंगे और दो भाग पानी लेकर मिला देंगे. 8-10 दिनों तक इसे प्लास्टिक या मिट्टी के बर्तन में रखकर सड़ायेंगे. प्लास्टिक या बर्तन का मुंह सूती कपड़े से बंधा होगा. इस दौरान सुबह-शाम इसे डंडे से चलाते भी रहना है. इस तरह ये शस्य गव्य 10 दिनों में तैयार हो जायेगा. ध्यान रखें कि जब भी तरल जैविक खादों का प्रयोग करें, तो सबसे पहले तैयार होने पर उसे छान लें.

नाडेप खाद किसानों के लिए काफी कारगर

झारखंड के किसानों के लिए नाडेप सबसे उपयुक्त खाद है. एक किलो गोबर से 40 किलो नाडेप खाद बनती है. इसे तैयार करने के लिए सबसे पहले बांस या ईंट से 10 फीट लंबी, पांच फीट चौड़ी व तीन फीट ऊंची संरचना बनानी है. ये हवादार होगी. पहले परत में छह इंच खर-पतवार लेंगे. इसके ऊपर पांच किलो गोबर को 100 लीटर पानी में मिलाकर घोल तैयार कर भींगने भर छीड़केंगे. इसके ऊपर मिट्टी (उपजाऊ) की परत देंगे. इसी प्रोसेस से करीब चार फीट ऊंची संरचना बनायेंगे, ताकि तीन फीट की संरचना तैयार हो सके. तब ये नाडेफ खाद तीन-चार माह में तैयार हो जायेगी.

कीटों से पौधों की रक्षा के लिए जैव कीटनाशी नीमास्त्र

तरल जैविक खाद ही नहीं, आप घर पर जैव कीटनाशी भी तैयार कर सकते हैं. जैव कीटनाशी नीमास्त्र और दसपर्णी आप इस विधि से तैयार कर सकते हैं. नीमास्त्र तैयार करने के लिए आपको पांच किलो नीम का पत्ता या टहनी, पांच किलो नीम का फल या बीज, पांच लीटर गोमूत्र और एक किलो गोबर लेते हैं. सभी को मिक्स करेंगे. प्लास्टिक या मिट्टी के बर्तन में रखकर सूती के कपड़े से मुंह ढंक देंगे. इसे दिनभर में तीन-चार बार चलाना है. महज 48 घंटे में ये तैयार हो जाता है. याद रखें कि तैयार होने के बाद इसे छानकर ही उपयोग में लाएं. रसचूसक कीट के नियंत्रण में नीमास्त्र काफी कारगर है.

ऐसे तैयार करें कीटनाशी दसपर्णी

जैव कीटनाशी दसपर्णी को तैयार करने के लिए समान मात्रा में 10 वैसे पत्तों को लिया जाता है, जो पत्ते जानवर नहीं खाते. 10 पत्ते नहीं मिलें, तो जो उपलब्ध हों, उन्हें समान मात्रा में लेंगे. इसमें सिंदवार, पुटूस, घाटो, करंज, नीम, थेथर, अकवन, पपीता, शरीफा, गाजर घास समेत अन्य पत्तों का उपयोग कर सकते हैं. इन्हें समान मात्रा में लेना है. इतनी ही मात्रा में गोमूत्र लेंगे. इसे मिक्स कर प्लास्टिक या मिट्टी के बर्तन में डालकर सूती कपड़े से बांधकर रखेंगे. इसे सुबह-शाम डंडे से चलाना भी है. इस तरह 8-10 दिनों तक चलायें. ये तैयार हो जायेगा. पौधों को कीटों से रक्षा करने में ये काफी मददगार है.

आसमान छू रहीं उर्वरकों की कीमतें

वक्त के साथ उर्वरकों की कीमतें आसमान छूने लगी हैं. खेती-बारी महंगी हो गयी है. लिहाजा लोग खेती-किसानी से मुंह मोड़ने लगे हैं. खेती घाटे का सौदा कही जाने लगी है. अगर आप भी ऐसा सोचते हैं, तो इस धारणा को बदलिए और जैविक खादों को अपनाइए. आज जीरो बजट की खेती का दौर है. कम लागत में अधिक मुनाफा. आप घर बैठे जैविक खाद बनाइए. आपकी बंजर जमीन भी सोना उगलेगी.

जैविक खाद से सवा तीन सौ एकड़ में हो रही जैविक खेती

राजधानी रांची के मोरहाबादी स्थित दिव्यायन कृषि विज्ञान केंद्र के वरीय वैज्ञानिक सह प्रधान डॉ अजीत सिंह बताते हैं कि झारखंड के किसानों के लिए नाडेप खाद सबसे बेहतर है. इसे खरीदने की जरूरत नहीं है, बल्कि घर पर खुद तैयार करें. कम लागत में अच्छी उपज के लिए जैविक खाद नाडेप खुद तैयार करें. रांची के अनगड़ा प्रखंड के छह गांवों धुरलेटा, बूढ़ाकोचा, नगड़ाबेड़ा, सिमराटोली, गुंदलीटोली, पिपराबेड़ा के 176 किसान नाडेफ, अजोला समेत अन्य जैविक खाद बनाकर अच्छी उपज प्राप्त कर रहे हैं. यहां करीब सवा तीन सौ एकड़ में खेती हो रही है.

खुद बनाएं तरल जैविक खाद एवं कीटनाशी

रांची के दिव्यायन कृषि विज्ञान केंद्र की वैज्ञानिक (पादप प्रजनन) नेहा राजन बताती हैं कि तरल जैविक खादों (शस्य गव्य, पंच गव्य व बीज संजीवनी) को आसानी से घर पर तैयार कर सकते हैं. शस्य गव्य 10 दिनों में तैयार हो जाता है. इसी तरह कीटों से पौधों की रक्षा के लिए जैव कीटनाशी दसपर्णी व नीमास्त्र को खुद तैयार कर सकते हैं. इसे तैयार करना काफी आसान है. ध्यान रखें कि तरल जैविक खादों को तैयार करने के बाद छानकर ही उपयोग में लायेंगे. इस तरह ऊंची कीमत पर रासायनिक उर्वरकों की खरीदारी की परेशानी से बचेंगे और जैविक खाद से बेहतर स्वास्थ्य के साथ कम लागत में अच्छी उपज भी मिलेगी.

posted by : sameer oraon

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