एसीबी ने जांच रिपोर्ट में लिखा है कि चेक पीरियड के दौरान भानु प्रताप ने वेतन से कुल 56,41,527 रुपये अर्जित किये. लेकिन इस दौरान उन्होंने 3,01,66,919 रुपये व्यय किया. यह खर्च उनके आय से 2,45,25,392 रुपये अर्थात 435 प्रतिशत अधिक है. एसीबी की जांच रिपोर्ट के अनुसार भानु प्रताप अग्रवाल का कडरू में एक भवन है, जिसका मूल्य उन्होंने 95 लाख बताया था.
लेकिन भारत सरकार के सीपीडब्ल्यूजी नियमों के अनुसार कराये गये मूल्यांकन के अनुसार भवन का मूल्य 68,29,729 रुपये पाया गया है. भानु प्रताप अग्रवाल ने जांच के दौरान यह भी बताया था कि उन्होंने भवन निर्माण के लिए बैंक और सगे संबंधी से करीब एक करोड़ रुपये ऋण लिया था, लेकिन इससे संबंधित कोई साक्ष्य उन्होंने प्रस्तुत नहीं किया. भवन का मूल्यांकन वर्ष 2010 में निर्माण अवधि मान कर किया गया है, जबकि भवन का निर्माण वास्तव में वर्ष 2007 में किया गया है. प्रथम तीन तल्ला का निर्माण 2007 में हाे चुका था.
तकनीकी परीक्षण कोषांग के भवन से संबंधित मूल्यांकन रिपोर्ट में भी भवन की निर्माण अवधि 2007-08 और 2011- 12 के बीच किये जाने का उल्लेख है. एसीबी की जांच रिपोर्ट के अनुसार आरोपी ने जमीन क्रय करने और भवन निर्माण के लिए लिये गये कर्ज को अपनी आय में नहीं जोड़ा है.