ट्रैफिक एसपी संजय रंजन सिंह को इस अवैध वसूली की जानकारी मिली, तब उन्होंने डीएसपी दिलीप खलखो को मामले की जांच कर रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा है़ आलाेक मिश्रा ने वाट्सएप पर अपनी बातें शेयर की और मीडिया में वायरल हो गया़ उसने बताया है कि मेन रोड से वापस आ रहा था. सीट बेल्ट लगा कर कार चला रहा था. पीछे की सीट पर प्लास्टिक के तीन छोटे-छोटे प्लास्टिक के बोरे रखे हुए थे, जिनमें घरेलू उपयोग के सामान थे. किशोरी यादव चौक पर सिपाही खान साहब ने रोका. वह एएसअाइ राय साहब के पास मुझे ले गये. पेपर सही मिलने पर उन्होंने बताया कि निजी गाड़ी का व्यावसायिक उपयोग हो रहा है. कम से कम 20,000 रुपये फाइन देना होगा और कोर्ट से गाड़ी छुड़ानी होगी. किस तरह यह व्यावसायिक उपयोग है, ये वह नहीं बता सके. किस नियम के तहत फाइन लगेगा, उन्हें भी नहीं मालूम था. मेरे पास 1200 रुपये थे.
बड़ी आरजू-मिन्नत करने पर उन्होंने इसे स्वीकार किया. मेरे मोबाइल पर मैसेज आया कि मुझे धारा-177 के तहत 100 रुपये का फाइन किया गया है़ आलोक मिश्रा का कहना है कि मैं उन दयालु पुलिस वालों की उन्नति की कामना करता हूं, जो हमारी सेवा में रातू रोड चौक और अन्य चौक पर अपनी ड्यूटी करते है. वैसे उन्होंने पहले बताया कि चौक पर सीसीटीवी लगा हुआ है. फाइन काटने में कोई गड़बड़ी नहीं कर सकते़