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झारखंड हाइकोर्ट ने लगायी रघुवर सरकार को फटकार, कहा, ग्रामीण क्षेत्रों में 50 % लोगों को नहीं मिल रहा पानी
रांची : झारखंड हाइकोर्ट ने बुधवार को जलस्रोतों के अतिक्रमण, रखरखाव व गांवों में जलापूर्ति को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए अधिकारियों को कड़ी फटकार लगायी. सुनवाई के दौरान मुख्य सचिव राजबाला वर्मा कोर्ट में सशरीर उपस्थित हुई थी. चीफ जस्टिस प्रदीप कुमार मोहंती व जस्टिस आनंद सेन की […]
रांची : झारखंड हाइकोर्ट ने बुधवार को जलस्रोतों के अतिक्रमण, रखरखाव व गांवों में जलापूर्ति को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए अधिकारियों को कड़ी फटकार लगायी. सुनवाई के दौरान मुख्य सचिव राजबाला वर्मा कोर्ट में सशरीर उपस्थित हुई थी. चीफ जस्टिस प्रदीप कुमार मोहंती व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने मौखिक रूप से कहा : लोगों को रोज कम से कम एक बोतल पानी चाहिए. पानी स्लाइन की तरह है. स्लाइन नहीं मिलेगा, तो लोग मर जायेंगे. कोर्ट ऐसा होने नहीं देगा.
आदेश की अवहेलना : खंडपीठ ने कहा : कोर्ट के इंक्वायरी अफसरों की स्थलीय रिपोर्ट से यह साबित हो रहा है कि राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में 50% लोगों को ही पानी मिल रहा है, वह भी पर्याप्त नहीं है. 50 प्रतिशत लोगों को पानी नहीं मिल रहा है. सरकार ने शपथ पत्र में जो तथ्य दिया है, वह झूठ का पुलिंदा है. कोर्ट के आदेश की अवहेलना हो रही है. अधिकारियों पर अवमानना की प्रक्रिया भी शुरू की जा सकती है.
मुख्य सचिव से किये कई सवाल : खंडपीठ ने मुख्य सचिव से पूछा : क्या आपने किसी स्पॉट का विजिट किया है. अधिकारियों की मुखिया होने के नाते क्रॉस चेक करना आपकी ड्यूटी है. कोर्ट ने कहा था कि गांवों में प्रतिदिन कम से कम आधा घंटा पानी दिया जाये. क्या सभी लोगों को पानी मिल रहा है. झारखंड वेलफेयर स्टेट है या नहीं. पानी उपलब्ध कराना राज्य की ड्यूटी है. राज्य में कितने टैंकर हैं. कितने टैंकरों से आपूर्ति की जा रही है. गरमी शुरू होने के पहले ही कोर्ट ने गंभीरता दिखायी थी. गांवों में पेयजलापूर्ति सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था. पर सरकार 50 प्रतिशत लोगों को पानी नहीं दे पा रही है. खंडपीठ ने यह भी कहा : सरकार के पास बहुत सारी योजनाएं व पॉलिसी है. कागजी दावे व आंकड़े से कोई लेना-देना नहीं है. कागज पर काम दिखता है, धरातल पर नहीं. काम ग्रास रूट स्तर पर होना चाहिए.
मुख्य सचिव को अंडरटेकिंग देने का निर्देश : खंडपीठ ने मुख्य सचिव को निर्देश दिया : सच्चे अर्थों में काम हो, ताकि पब्लिक को लाभ मिल सके. गरमी में लोगों को हर हाल में पानी मिलना चाहिए. इस बाबत आप अंडरटेकिंग दाखिल करें. बिना बताये आप क्रॉस चेक करें. अफसर प्लेस-टू-प्लेस मूव करें. आपके पद से नहीं, काम से मतलब है. जो अधिकारी काम नहीं कर रहे हैं, उन्हें हटा दिया जाये. गांवों में सभी लोगों को पानी नहीं मिला, तो इसे कोर्ट के आदेश की अवहेलना मानी जायेगी. इससे पहले राज्य सरकार के शपथ पत्र में दिये गये तथ्यों की सच्चाई का पता लगाने के लिए कोर्ट की ओर से नियुक्त इंक्वायरी अफसरों वरीय अधिवक्ता आरएस मजूमदार, एके कश्यप, बीएम त्रिपाठी, पीपीएन राय, राजीव रंजन, एमएम पॉल, राजीव सिन्हा, अधिवक्ता राजीव कुमार, अनुभा रावत चाैधरी, प्रबीर चटर्जी, पवन कुमार पाठक ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की.
एमीकस क्यूरी का पक्ष
एमीकस क्यूरी अधिवक्ता इंद्रजीत सिन्हा ने खंडपीठ को बताया : सरकार को 31 मार्च तक गांवों में जलापूर्ति सुनिश्चित कराने समय दिया गया था. पेयजल व स्वच्छता विभाग के प्रधान सचिव को मॉनिटरिंग करना था. शपथ पत्र में चापानलों की मरम्मत करने आैर सभी लोगों को पानी देने की बात कही गयी है. सरकार ने यह भी कहा है कि पानी की कोई समस्या नहीं है. राज्य में पर्याप्त पानी उपलब्ध है, जो सही नहीं है. सरकार का शपथ पत्र झूठा है. शपथ पत्र में दिये गये आंकड़े सत्य पर आधारित नहीं हैं. सरकार का काम कागज पर ही दिख रहा है.
मुख्य सचिव को देखते ही चीफ जस्टिस ने कहा कोर्ट का सम्मान करें
सुनवाई के दौरान मुख्य सचिव राजबाला वर्मा कोर्ट में उपस्थित थी. चीफ जस्टिस प्रदीप कुमार मोहंती ने मुख्य सचिव को देखते ही कहा : क्या यही आपका ड्रेस कोड है. कोर्ट का सम्मान करें. मुझे नहीं. मुख्य सचिव साड़ी पहन कर आयीं थीं. सुनवाई पूरी होने के बाद कोर्ट ने 12.50 बजे मुख्य सचिव को जाने दिया.
क्या है इंक्वायरी अफसरों की रिपोर्ट में 50-60 प्रतिशत गांवों में ही लोगों को पानी मिल रहा है. वह भी पर्याप्त नहीं है गांवों में टैंकरों से आपूर्ति नहीं की जाती है.सरकार की ओर से चापानल की मरम्मत कराने का दावा झूठा कई गांवों में लोग कुछ तालाबों के पानी पर निर्भर हैं. कई गांवों के लोग चुआं से पानी निकाल कर जरूरतें पूरी कर रहे ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल संकट अधिकतर चापानल खराब पड़े हैं
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