संस्कृत साहित्य जीवन प्रबंधन की कला सिखाता है : प्रो शैलेंद्र

रांची : आइआइएम के निदेशक प्रो शैलेंद्र सिंह ने कहा है कि संस्कृत भाषा में भारतीय संस्कृति का भव्य निदर्शन प्राप्त होता है. इस सुसमृद्ध भाषा में विविध तथ्य वर्तमान काल में भी प्रासंगिक हैं. संस्कृत साहित्य जीवन प्रबंधन की कला सिखाता है. प्रो सिंह शुक्रवार को रांची विवि अंतर्गत संस्कृत विभाग में वर्तमान संदर्भ […]

By Prabhat Khabar Print Desk | April 29, 2017 6:02 AM
रांची : आइआइएम के निदेशक प्रो शैलेंद्र सिंह ने कहा है कि संस्कृत भाषा में भारतीय संस्कृति का भव्य निदर्शन प्राप्त होता है. इस सुसमृद्ध भाषा में विविध तथ्य वर्तमान काल में भी प्रासंगिक हैं.
संस्कृत साहित्य जीवन प्रबंधन की कला सिखाता है. प्रो सिंह शुक्रवार को रांची विवि अंतर्गत संस्कृत विभाग में वर्तमान संदर्भ में संस्कृत की प्रासंगिकता विषयक परिचर्चा में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि ज्ञान-विज्ञान की ऐसी कोई शाखा नहीं, जिससे संबंधित सामग्री संस्कृत भाषा में नहीं मिलती. वर्तमान काल में इसके महत्व के कारण प्रबंधन एक स्वतंत्र विषय के रूप में स्थापित हो चुका है, जिसकी पढ़ाई के लिए रोज नये संस्थान अस्तित्व में आ रहे हैं.
इस अवसर पर संस्कृत भारती के पूर्व प्रमुख डॉ चांद किरण सलूजा ने संवैधानिक संदर्भों का उल्लेख करते हुए कहा कि सरकारों को संस्कृत के विकास के लिए कार्य करना चाहिए. संस्कृत का अध्ययन करने से रोजगार के विविध अवसर खुलते हैं. प्रो चंद्रकांत शुक्ल ने कहा कि ज्ञान-विज्ञान की विविध शाखाएं संस्कृत साहित्य का आश्रय लेकर स्वयं को समृद्ध कर सकती हैं. कार्यक्रम में विभागाध्यक्ष डॉ मीना शुक्ल, डॉ दीपचंद कश्यप, डॉ उषा किरण, डॉ शैलेश कुमार मिश्र आदि मौजूद थे.

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