रांची: राजधानी में ऐसे कई मामले सामने आये हैं, जिनमें जानकारी के अभाव में मरीजों ने चश्मे की दुकानों से ही हियरिंग एड खरीदा. बाद में जब उन्हें सुनने में परेशानी हुई, तो वे दोबारा चिकित्सकों के पास परामर्श लेने पहुंचे. जब उनकी जांच ऑडिलॉजिस्ट से करायी गयी, तो पता चला कि चश्मा दुकानदार ने उन्हें उनकी सुनने की जितनी क्षमता के हिसाब से मशीन नहीं दी है. अंतत: उन्हें ऑडियोलॉजिस्ट की देखरेख में उन्हें दूसरी मशीन लगायी गयी, तब जाकर मरीज को साफ सुनाई देना शुरू हुआ. एक्सपर्ट ऑडियोलॉजिस्ट बताते हैं कि अगर मरीज के कान में सही क्षमता वाली मशीन नहीं लगायी जाये, तो उसकी सुनने की क्षमता और घट सकती है.
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खेल मुनाफे का: चश्मे की दुकानों में बिक रही कान की मशीन
राजधानी के चश्मा दुकानदार कान के मरीजों (जिन्हें सुनने में दिक्कत होती है) के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. नियमानुसार हियरिंग एड (कान की मशीन) बेचने के लिए संबंधित दुकान पर एक्सपर्ट ऑडियोलॉजिस्ट का होना जरूरी है, लेकिन राजधानी की ज्यादातर चश्मा दुकानदार मुनाफा कमाने के लिए नियमों को ताक पर रख कर कान की […]
राजधानी के चश्मा दुकानदार कान के मरीजों (जिन्हें सुनने में दिक्कत होती है) के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. नियमानुसार हियरिंग एड (कान की मशीन) बेचने के लिए संबंधित दुकान पर एक्सपर्ट ऑडियोलॉजिस्ट का होना जरूरी है, लेकिन राजधानी की ज्यादातर चश्मा दुकानदार मुनाफा कमाने के लिए नियमों को ताक पर रख कर कान की मशीन बेच रहे हैं.
ऑडियोलॉजिस्ट हैं, तो बेंच सकते हैं मशीन : एक इएनटी रोग विशेषज्ञ ने बताया कि डॉक्टर के परामर्श के बाद ऑडियोलॉजिस्ट ही मरीज के कान की जांच कर यह बता सकते हैं कि उसकी सुनने की क्षमता में कितनी कमी आई है. उसकी के अनुसार वे मरीज को लगायी जानेवाली मशीन का चयन करते हैं. अगर चश्मा दुकानदार अपने यहां ऑडियोलॉजिस्ट रखते हैं, तो वे सुनने की मशीन बेच सकते हैं. बिना ऑडियोलॉजिस्ट के हियरिंग एड बेचना गलत है. क्योंकि अगर मरीज को सही क्षमता वाली मशीन नहीं दी गयी, तो उसकी परेशानी बढ़ जायेगी.
आरसीआइ से कई बार की गयी है शिकायत : इंडियन स्पीच एंड हेयरिंग एसोसिएशन झारखंड चैप्टर के सचिव डॉ विवेक मोहन ने बताया कि सभी ऑडियोलॉजिस्ट रिहैबिलिटेशन काउंसिल ऑफ इंडिया (आरसीआइ) के दायरे में आते हैं. आरसीआइ ही इस मामले में कार्रवाई के लिए अधिक्रित है. एसोसिएशन ने पहले भी कई बार चश्मा दुकानों पर हियरिंग एड बेचने की शिकायत संबंधी ई-मेल आरसीआइ को भेजा है. हालांकि, अब तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है. उन्होंने बताया कि एसोसिएशन के माध्यम से वे जिला प्रशासन को इस संबंध में शिकायत करेंगे.
अच्छा खासा मार्जिन कमाते हैं दुकानदार
बेहतर किस्म की हियरिंग एड की कीमत 8000 रुपये से शुरू होकर 2.5 लाख रुपये तक होती है. हियरिंग एड बेचनेवाली कंपनियां दुकानदार को 40 से 50 प्रतिशत की मार्जिन देती हैं. ऐसे में अगर दो-तीन मशीनें भी बिक गयीं, तो दुकानदार को अच्छा-खास मुनाफ हो जाता है. यही वजह है कि राजधानी के चश्मा दुकानदार भी हियरिंग एड का व्यापार करते हैं. आंकड़े बताते हैं कि राजधानी रांची के करीब 90 प्रतिशत चश्मा दुकानों में हियरिंग एड की बिक्री होती है. हालांकि, कुछ ने अपने यहां एक्सपर्ट ऑडियोलॉजिस्ट रखा हुआ है, लेकिन ऐसे दुकानदारों की संख्या काफी कम है.
राजधानी के अधिकांश चश्मा विक्रेता बिना ऑडिलॉजिस्ट के सुनने की मशीन बेंच रहे हैं. कुछ चश्मेवाले तो ऑडियोमेट्री टेक्निशियन को रख कर सुनने की मशीन बिकवाते हैं. हमारे पास कई ऐसे मरीज आते हैं, जो उनकी लापरवाही के कारण परेशान रहते हैं. अंत में सही मशीन लगाने के बाद मरीज की समस्या दूर हो पाती है.
डॉ विवेक मोहन, सचिव, इंडियन स्पीच एंड हेयरिंग एसोसिएशन झारखंड चैप्टर
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