उन्होंने कहा कि पारिवारिक झगड़ा होने पर कभी-कभी आवेश में लोग थाना चले जाते हैं. ऐसे मामले यदि परिवार परामर्श केंद्र को रेफर किये जायें, तो उन्हें परामर्श के माध्यम से सुलझाया जा सकता है़ विभिन्न विभागों की आपसी तालमेल से ज्यादा से ज्यादा लोगों की मदद कर सकते हैं. झारखंड हाइकोर्ट के वकील सुमित प्रकाश ने कहा कि सीपीसी सेक्शन 89 में परामर्श का प्रावधान है़ हर व्यक्ति को न्याय पाने का अधिकार है़ यदि कोई व्यक्ति कानूनी मदद लेने में असमर्थ है, तो वह सरकार से कानूनी मदद की मांग कर सकता है़ राज्य में झालसा, डालसा सहित प्रखंड स्तरीय समितियां मुफ्त कानूनी सेवा देती हैं. थाना के प्रतिनिधि ने कहा कि अनेक मामलों में व्यक्ति परिवार से लड़ना नहीं चाहता, पर न्याय पाने के लिए थाना आता है़ ऐसे परिवारों को परामर्श केंद्र से लाभ मिल सकता है़.
परामर्शी आशा कुमारी ने बताया कि केंद्र में प्रतिमाह औसतन 15 से 18 मामले आते हैं. अधिकतर मामले घरेलू हिंसा, पारिवारिक संपत्ति विवाद व नशापान के कारण मारपीट से जुड़े होते हैं. परिवार परामर्श केंद्र से मदद पाने के लिए 80519-11115 पर संंपर्क कर सकते हैं. आयोजन में रवींद्रनाथ श्रीवास्तव, रोमा कुमारी, शब्बू खातून ने अहम भूमिका निभायी़.