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पिता का सर्विस बुक, पर नहीं बना स्थानीय प्रमाण पत्र

रांची: सरकार द्वारा स्थानीय निवासी प्रमाण पत्र बनाने के लिए नयी नीति घोषित करने के बाद भी प्रखंड में बिना खतियान के आवासीय प्रमाण पत्र नहीं बन रहा है. बेरोजगार युवक नियुक्ति के लिए आवेदन जमा नहीं कर रहे हैं. लोग सरकार द्वारा जारी संकल्प की कॉपी लेकर घूम रहे हैं, कोई सुनने वाला नहीं […]

रांची: सरकार द्वारा स्थानीय निवासी प्रमाण पत्र बनाने के लिए नयी नीति घोषित करने के बाद भी प्रखंड में बिना खतियान के आवासीय प्रमाण पत्र नहीं बन रहा है. बेरोजगार युवक नियुक्ति के लिए आवेदन जमा नहीं कर रहे हैं. लोग सरकार द्वारा जारी संकल्प की कॉपी लेकर घूम रहे हैं, कोई सुनने वाला नहीं है. स्थानीय निवासी प्रमाण पत्र बनाने के लिए 1932 का खतियान मांगा जा रहा है.
खतियान नहीं देने पर आवेदन रिजेक्ट किया जा रहा है. सुधीर कुमार पांडेय ने कांके प्रखंड में स्थानीय निवासी प्रमाण पत्र बनाने के लिए आवेदन जमा किया. सुधीर के पिता बिहार राज्य पथ परिवहन निगम के रांची कार्यालय में 1980 में नियुक्त हुए थे. राज्य गठन के बाद उनका कैडर झारखंड हो गया. अब वे राज्य सरकार में कार्यरत हैं. सुधीर का जन्म भी रांची में हुआ. स्कूल से लेकर विश्वविद्यालय स्तर की शिक्षा झारखंड के स्कूल-कॉलेज से प्राप्त की. वर्ष 2004 में राजकीय उच्च विद्यालय बरियातू से मैट्रिक की परीक्षा पास की. 2012 में स्नातक व 2017 में रांची विश्वविद्यालय से बीएड की डिग्री प्राप्त की. शिक्षक नियुक्ति में स्थानीय निवासी प्रमाण पत्र बनाने के लिए कांके प्रखंड में आवेदन जमा किया. उसने आवेदन के साथ में पिता के सर्विस बुक व अपने मैट्रिक का प्रमाण पत्र भी दिया. कांके प्रखंड के कर्मचारी ने एक माह तक आवेदन पेंडिंग में रखा. टोकन नंबर 1939352 को बाद में रिजेक्ट कर दिया.
सरकार के आदेश की भी परवाह नहीं
झारखंड सरकार द्वारा गत वर्ष स्थानीय प्रमाण पत्र बनाने को लेकर दिशा-निर्देश जारी किया गया था. जिसके तहत स्थानीय निवास प्रमाण पत्र बनाने के लिए जो मापदंड निर्धारित किया गया है, उसमें यह भी तय किया गया है कि आवेदक स्वयं अथवा उसके माता/पिता राज्य के सरकारी सेवक हो, आवेदक स्वयं अथवा उसके माता/पिता भारत सरकार के सेवक हो, आवेदक का जन्म झारखंड राज्य में हुआ हो और उसने अपनी मैट्रिक अथवा समक्ष तक की पूरी शिक्षा झारखंड राज्य स्थित मान्यता प्राप्त संस्थान से प्राप्त की हो तथा आवेदक स्वयं या उसके माता/पिता झारखंड राज्य में विगत 30 वर्ष से रह रहें हो और अचल संपत्ति अर्जित की हो. इन शर्तों के आधार पर भी स्थानीय निवास प्रमाण पत्र बनाया जा सकता है. सरकार के आदेश के बाद भी कई प्रखंड में स्थानीय निवास प्रमाण पत्र बनाने के लिए आवेदक से खतियान की मांग की जा रही है.
शिक्षक नियुक्ति के लिए जमा हो रहा आवेदन
राज्य में 17,572 हाइस्कूल शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू है. राज्य के 13 जिलों में आवेदन जमा करने के लिए सभी कोटि के अभ्यर्थी के लिए स्थानीय प्रमाण पत्र होना अनिवार्य किया गया है. 17572 पद में से 8,423 पदों पर केवल उस जिला के स्थानीय अभ्यर्थी की नियुक्ति की जायेगी. स्थानीय के लिए शत-प्रतिशत आरक्षित सीट अनुसूचित जिलों के तहत आता है. रांची, खूंटी, गुमला, सिमडेगा, लोहरदगा, पश्चिमी सिंहभूम, पूर्वी सिंहभूम, सरायकेला-खरसावां, लातेहार, दुमका, जामताड़ा, पाकुड़ व साहेबगंज जिला में केवल उस जिला के स्थानीय निवासी की नियुक्ति की जायेगी. इन जिलों में नियुक्ति के लिए संबंधित जिला के स्थानीय निवासी होने का प्रमाण पत्र देना अनिवार्य है. दूसरे जिला के अभ्यर्थी अनारक्षित कोटि में भी इस जिला में आवेदन नहीं दे सकते हैं. इस कारण काफी संख्या में अभ्यर्थी स्थानीय प्रमाण बनाने के लिए आवेदन जमा कर रहे हैं.

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