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पड़ताल : झारखंड में आंगनबाड़ी केंद्र 38432, मगर खाने को कहीं कुछ नहीं

रांची: राज्य की करीब आठ लाख गर्भवती व धात्री महिलाअों तथा तीन वर्ष तक उम्र वाले करीब 17.5 लाख बच्चों को आंगनबाड़ी में पहले से तैयार खाना (पोषाहार) नहीं मिल रहा है. समाज कल्याण विभाग से तैयार पोषाहार (रेडी-टू-इट) बनानेवाली कंपनियों को दिसंबर माह का कार्यादेश अब तक नहीं मिलने से ऐसा हुआ है. विभाग […]

रांची: राज्य की करीब आठ लाख गर्भवती व धात्री महिलाअों तथा तीन वर्ष तक उम्र वाले करीब 17.5 लाख बच्चों को आंगनबाड़ी में पहले से तैयार खाना (पोषाहार) नहीं मिल रहा है. समाज कल्याण विभाग से तैयार पोषाहार (रेडी-टू-इट) बनानेवाली कंपनियों को दिसंबर माह का कार्यादेश अब तक नहीं मिलने से ऐसा हुआ है. विभाग राज्य के 38432 आंगनबाड़ी केंद्रों के जरिये बंटनेवाले पोषाहार के लिए हर माह कार्यादेश जारी करता है.

इधर, दिसंबर माह का कार्यादेश अब तक जारी नहीं होने से आंगनबाड़ी केंद्रों तक पोषाहार नहीं पहुंच सका है तथा गत 20 दिनों से पोषाहार की कमी है. सिर्फ तीन से छह वर्ष तक के बच्चों को प्रावधान के तहत खिचड़ी मिल रही है. नामकुम प्रखंड की एक सेविका ने इस बात की पुष्टि की है कि आंगनबाड़ी में महिलाअों व छोटे बच्चों के लिए खाने को कुछ नहीं है.

गौरतलब है कि तीन कंपनियां मेसर्स आदित्य फ्लोर मिल बोकारो, मेसर्स इंटरलिंक फूड्स प्रा. लि. दिल्ली व मेसर्स दाल मिल कोटा राजस्थान अलग-अलग जिलों में पैकेट बंद रेडी-टू-इट की आपूर्ति कर रही हैं. चालू वित्तीय वर्ष में पोषाहार का बजट करीब 48 करोड़ का है. बच्चों, गर्भवती व धात्री महिलाओं के लिए पैकेट बंद खाना क्रमश: नारंगी, गुलाबी व हरे रंग के पैकेट में वितरित होता है. इसमें 750 तथा 900-900 ग्राम पंजिरी तथा फोर्टिफाइड न्यूट्रो उपमा होता है. लाभुक बच्चों को रोज 125 ग्राम तथा गर्भवती व धात्री महिलाओं को 150-150 ग्राम प्रतिदिन के हिसाब से अधिकतम 24 दिनों के लिए हर माह चार-चार पैकेट उपलब्ध कराया जाता है.
किसकी कहां आपूर्ति
मेसर्स आदित्य फ्लोर मिल बोकारो : बोकारो, रामगढ़, कोडरमा, लोहरदगा, पलामू, गढ़वा व लातेहार.
मेसर्स इंटरलिंक फूड्स प्राइवेट लिमिटेड दिल्ली : रांची, खूंटी, गुमला, सिमडेगा, पू सिंहभूम, प सिंहभूम व सरायकेला.
मेसर्स कोटा दाल मिल राजस्थान : हजारीबाग, धनबाद, गिरिडीह, चतरा, दुमका, जामताड़ा, पाकुड़, गोड्डा, साहेबगंज व देवघर.
किसी महीने के लिए कार्यादेश उसके बाद के माह में दिया जाता है. अांगनबाड़ी केंद्रों में गत माह बच्चों व महिलाअों की उपस्थिति के आधार पर यह अादेश जारी होता है. दिसंबर का कार्यादेश जल्द ही दे दिया जायेगा.
एमएस भाटिया, सचिव समाज कल्याण

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