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झारखंड के कोडरमा में बिहार पुलिस का सर्जिकल स्ट्राइक, आजसू लीडर रडार पर, जानिए क्या है मामला

घोटालों के बाद गोरखधंधे से बदनाम इलाका, कोडरमा जिले की अब यही पहचान बन गयी है. रविवार को एसटीएफ पटना की टीम ने अवैध शराब के ठिकानों पर छापामारी कर यहां की पुलिस प्रशासन की कार्य प्रणाली पर सवाल छोड़ गयी. डीसी के निर्देश पर बीते वर्ष प्रशासन ने भले ही नकली शराब की फैक्टरी […]

घोटालों के बाद गोरखधंधे से बदनाम इलाका, कोडरमा जिले की अब यही पहचान बन गयी है. रविवार को एसटीएफ पटना की टीम ने अवैध शराब के ठिकानों पर छापामारी कर यहां की पुलिस प्रशासन की कार्य प्रणाली पर सवाल छोड़ गयी. डीसी के निर्देश पर बीते वर्ष प्रशासन ने भले ही नकली शराब की फैक्टरी पकड़ी थी, पर इसके बाद मामला पूरी तरह शांत हो गया. एसटीएफ ने बिहार से आकर जिस तरह कोडरमा में सर्जिकल स्ट्राइक किया है, उससे साफ हो गया है कि शराब माफिया गिरोह को बड़ा राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है. शराब के अवैध कारोबार की पड़ताल करती रिपोर्ट…
विकास
कोडरमा : पहले माइका का अवैध कारोबार, फिर विस्फोटक व कीमती पत्थरों, स्टोन चिप्स का काला धंधा और अब अवैध शराब का गोरखधंधा में कोडरमा जिला लगातार सुर्खियों में है. सभी मामले में स्थानीय पुलिस प्रशासन की भूमिका पर इन गोरखधंधों व कारनामों के सामने आने के बाद सवाल उठती है, पर
समय के साथ बात दब भी जाती है. लेकिन बिहार पुलिस ने इस बार ऐसा सर्जिकल स्ट्राइक किया कि हर कोई अचंभित है. अवैध शराब के नेटवर्क को तोड़ते हुए एसटीएफ पटना की टीम ने कोडरमा के तिलैया थाना क्षेत्र में विभिन्न जगहों पर छापामारी की, तो हड़कंप मच गया. इसके साथ यह भी चर्चा सामने आयी कि यहां कि पुलिस क्या कर रही थी. क्या पुलिस पदाधिकारियों को इस बड़े गोरखधंधे की जानकारी नहीं थी. वह भी तब जब शराब के अवैध कारोबार का संचालन थाना से महज आधा किलोमीटर दूरी पर हो रहा हो.
कोडरमा जिला पुलिस की कार्रवाई पर पहले भी सवाल उठते रहे हैं और शनिवार की रात को हुई छापामारी के बाद यह सवाल और भी पुख्ता हो गया. हालांकि, पूरे मामले को लेकर स्थानीय पुलिस पदाधिकारियों को सही जवाब नहीं मिल रहा है. रविवार को बातचीत में एसटीएफ के पदाधिकारी ने अनौपचारिक रूप से स्पष्ट रूप से यहां तक कहा कि छापामारी में कोडरमा पुलिस का सहयोग नहीं मिला. यहां तक की टीम संजय यादव के नवादा बस्ती स्थित आवास पर छापामारी करना चाह रही थी, पर बाद में सूचना पर पहुंची स्थानीय पुलिस ने सर्च वारंट की मांग कर दी.
सर्च वारंट नहीं होने से आवास पर जाने नहीं दिया गया. एसटीएफ के पदाधिकारी ने बताया हमें पूरी सूचना थी कि उनके आवास पर एके-47 के साथ ही अत्याधुनिक हथियार व लाखों रुपये की नकदी है, पर स्थानीय पुलिस के सहयोग नहीं मिलने से आवास के अंदर जांच नहीं की जा सकी. एसटीएफ की टीम व कोडरमा पुलिस बाहर ही उलझ कर रह गयी और अंदर जांच नहीं हो सकी. टीम ने संजय यादव के घर के बाहर से एक ट्रक शराब जब्त की. टीम ताला फैक्ट्री भी गयी, लेकिन वहां कुछ नहीं मिला.
किस ब्रांड की कितनी शराब बरामद
बरामद शराब में रॉयल स्टैग, मैकडॉवल, इंपेरियल ब्लू, ओल्ड फोक्स 3 एक्स रम का 180 एमएल, 360 एमएल व 750 एमएल शामिल हैं. बड़े ट्रक पर कुल 770 पेटी शराब लदी हुई थी. इसमें 600 पेटी रॉयल स्टैग (प्रति पेटी में 750 एमएल का 12 बोतल), 170 पेटी ओल्ड फॉक्स 3 एक्स रम (प्रति पेटी में 750 एमएल का 12 बोतल) शामिल हैं. इसके अलावा 407 ट्रक पर कुल 211 पेटी शराब लदी थी. इसमें 195 पेटी आरएस (प्रति पेटी में 180 एमएल का 48 पीस), 16 पेटी आरएस (प्रति पेटी में 360 एमएल का 24 पीस), पिकअप वैन पर कुल 41 पेटी शराब में 26 पेटी आरएस (प्रति पेटी में 750 एमएल का 12 पीस), 15 पेटी आरएस (प्रति पेटी में 360 एमएल का 24 पीस) शामिल हैं. वहीं गोदाम में 387 पेटी विभिन्न ब्रांड की शराब जब्त की गयी.
3000 रुपये के किराये पर था गोदाम
एसटीएफ ने कोरियाडीह स्थित जिस गोदाम में छापामारी की, वह बाहर से गोदाम जैसा प्रतीत ही नहीं होता. पुख्ता सूचना के बाद टीम ने जांच की, तो यहां से भारी मात्रा में शराब जब्त हुई. करीब 400 पेटी शराब इस गोदाम से बरामद हुआ. जिस गोदाम में शराब रखी थी, वह नवादा बस्ती निवासी चंदन यादव (पिता- उमाशंकर यादव) का है. टीम के पदाधिकारी ने बताया कि इस गोदाम को शराब माफिया के ग्रुप ने तीन हजार रुपये प्रतिमाह के किराये पर लिया था. यहीं नहीं बंगाली मोहल्ला स्थित जिस मकान से दो लोगों को गिरफ्तार किया गया, वह उन्हीं के ग्रुप से जुड़ा बताया जाता है.
100 से अधिक थे जवान
एसटीएफ की टीम ने पूरी तैयारी के साथ तिलैया में छापामारी की. टीम में नवादा के सदर डीएसपी संजय कुमार पांडेय के साथ ही एसटीएफ के तीन इंस्पेक्टर, एसआइ राज नंदन कुमार, मुश्ताक के अलावा तीन अन्य एसआइ शामिल थे. इसके साथ ही मुफ्फसिल थाना नवादा के इंस्पेक्टर संजय कुमार, हेसुआ थाना प्रभारी संजय कुमार, रजौली थाना की पुलिस टीम करीब 100 की संख्या में पुलिस फोर्स साथ में थी. टीम ने एक साथ इन जगहों पर छापामारी की.
जानकारों के अनुसार बिहार में एक अप्रैल 2016 को शराबबंदी कानून लागू होने के बाद सीमावर्ती इलाकों से शराब की तस्करी बढ़ गयी. सबसे अधिक शराब कोडरमा के रास्ते बिहार भेजी जाने लगी.
बीच में पुलिस प्रशासन की दबिश बढ़ी और नकली शराब की फैक्टरी पकड़ी गयी, तो यह धंधा कुछ दिन के लिए रूका, लेकिन इसके बाद शुरू हुए गोरखधंधे में कोडरमा के शराब माफिया ग्रुप ने करीब 100 ट्रक से अधिक शराब बिहार के विभिन्न इलाकों में खपाया गया. इसमें पटना के शराब माफिया रंजन सिंह, शराब तस्कर चंदन सिंह व अन्य ने इस गिरोह का साथ दिया. बिहार के इलाकों में कोडरमा के एसएम ब्रांड का जलवा है. इस गिरोह का गुप्त कोड है, जिसका इस्तेमाल कर शराब को बाजार में खपाया जाता रहा है. टीम के पदाधिकारी ने बताया कि यह गिरोह शराब का अरबों रुपये का अवैध कारोबार कर चुका है. ऐसी जानकारी सामने आयी है. इसमें कुछ सफेदपोश लोग भी शामिल हैं. सभी बिंदुओं पर जांच चल रही है.
शराब तस्करी के सूत्रधार मनोज यादव और संदीप को खोज रही है एसटीएफ
कोडरमा : बिहार में शराब तस्करी कर ले जाने वाले पूरे गिरोह पर एसटीएफ पटना की नजर है. यहीं कारण है कि लगातार कोडरमा से भेजी गयी शराब की खेप पकड़ी जा रही है. इस गिरोह के मुख्य कर्ता-धर्ता के रूप में टीम ने तिलैया के मनोज यादव व विद्यापुरी निवासी संदीप भदानी को चिह्नित किया है. पटना के दीदारगंज थाना क्षेत्र में बीते दिन बरामद हुई शराब की बड़ी खेप के बाद एसटीएफ की टीम ने इन दोनों को पकड़ने के लिए दबिश भी बढ़ायी, पर दोनों फरार चल रहे हैं.
टीम के पदाधिकारी ने बताया कि संदीप भदानी पर दो व मनोज यादव पर अलग-अलग थानों में पांच मामले अवैध शराब की तस्करी के संबंध में दर्ज किये गये हैं. गिरफ्तार लोगों से हुई पूछताछ व जांच के क्रम में मिले साक्ष्य के बाद इन मामलों में आजसू नेता संजय यादव समेत कई लोगों का नाम सामने आया है. उन्हें भी आरोपी बनाया गया है. इसमें मुख्य रूप से राजू गांगुली, संतोष सिंह, सुनील यादव, विजय गोप, रिंकी व अन्य शामिल हैं. इस गिरोह ने अपना नाता शराब तस्कर चंदन सिंह व माफिया रंजन सिंह से जोड़ा, तो एसटीएफ ने जांच का दायरा बढ़ाया. एसटीएफ को यह पूरी जानकारी मिली है कि चंदन सिंह के बैंक खातों में लाखों रुपये हैं और इन खातों से लाखों रुपये का लेन-देन भी हुआ है. इस प्रकार की लेन-देन का शक मनोज यादव व संदीप भदानी के बैंक खातों पर भी है. इस बिंदु पर भी जांच चल रही है. गिरोह के लोग पटना में रहकर इस गोरखधंधे का संचालन कर रहे हैं.
पकड़े गये हैं गिरोह के पांच ट्रक
एसटीएफ ने बीते कुछ माह में पांच ट्रक अलग-अलग जगहों पर जब्त किया है, जिस पर शराब लदी थी. दो ट्रक नालंदा व हसुआ, एक ट्रक नालंदा, समस्तीपुर व सासाराम में पकड़े गये. शराब बरामदगी के इन सभी मामलों में कोडरमा का नाम सामने आया है. इसके अलावा सिर्फ नवादा जिला में शराबबंदी के बाद करीब 35 से 40 वाहन जब्त किये जाने की जानकारी है. पुलिस पदाधिकारी के अनुसार अवैध शराब को बिहार ले जाने का प्रमुख रास्ता कोडरमा बना हुआ है.
डोमचांच की नकली शराब फैक्ट्री से ही हो रही थी लोडिंग
कोडरमा के डोमचांच में बीते वर्ष अगस्त में जिला प्रशासन ने ढोढाकोला जंगल में नकली शराब बनाने की बड़ी फैक्ट्री का भंडाफोड़ किया था. मौके पर से एक युवक को गिरफ्तार किया गया था, जबकि भारी मात्रा में नकली शराब, खाली कार्टून रेपर बरामद किया गया था. बरामद रैपर रॉयल स्टैग, इंपेरियल ब्लू ब्रांड के थे. बाद में पुलिस प्रशासन की कार्रवाई दब गयी. सूत्रों के अनुसार डोमचांच इलाके से शराब की लोडिंग स्टोन चिप्स लदे वाहनों में की जा रही है. इसके बाद बिहार भेजा जा रहा है. इसकी सूचना एसटीएफ पटना की टीम को भी है.
चतरा में पिकअप वैन से 150 पेटी शराब जब्त
चतरा. सदर पुलिस ने रविवार को डहुरी गांव में पिकअप वैन पर लदी 150 पेटी अंग्रेजी शराब बरामद की. पुलिस को सूचना मिली थी कि पिकअप वैन से शराब बिहार ले जायी जा रही है. पुलिस ने कार्रवाई करते हुए उक्त वाहन को जब्त कर लिया. साथ ही स्कॉट कर रहे काले रंग की बोलेरो को भी जब्त कर लिया. इस मामले में चालक सुधीर पासवान, बरही के विष्णुदयाल यादव व औरंगाबाद के रंजन कुमार को िगरफ्तार िकया गया.
स्टोन चिप्स की आड़ में बिहार जा रही शराब
कोडरमा : जिले का नाम अवैध शराब की बिक्री व सप्लाई में बड़े पैमाने पर सामने आया है. इस गोरखधंधे को लेकर अपनाये जा रहे रास्ते व किये जा रहे उपाय हैरान करने वाले हैं. खास कर पड़ोसी राज्य बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू होने के बाद सीमावर्ती इलाका कोडरमा के होने के कारण तस्करों के लिए यह एक उपयुक्त जगह बनी तो जरूर, पर इस अवैध धंधे के बीच सबसे बड़ी बात निकल कर यह सामने आयी है कि स्टोन चिप्स (गिट्टी) की आड़ में अवैध शराब की तस्करी बिहार भेजी जा रही है.
यहीं नहीं स्टोन चिप्स के अलावा कंटेनर, बिस्किट, दवा लोड वाहन से शराब की तस्करी कोडरमा के रास्ते किया जा रहा है. इस तरह का मामला बिहार के नवादा जिला व अन्य जगहों पर सामने आने के बाद कोडरमा में कार्रवाई को लेकर दबिश बढ़ी. एसटीएफ को सूचना मिली रही थी कि स्टोन चिप्स लदे वाहनों खासकर ट्रकों के जरिये अवैध शराब की खेप बिहार पहुंच रही हैं.
टीम को यह भी सूचना है कि शराब के बड़े गिरोह का संचालन कोडरमा का शख्स कर रहा है. इसके बाद विभिन्न थानों की पुलिस को बीते माह सूचना दी गयी है. बीते 25 दिसंबर को नवादा के भगन बिगहा थाना पुलिस ने सूचना के आधार पर एक ट्रक नंबर एचआर-38जे-8157 को जब्त किया. इस पर 121 कार्टून रॉयल स्टैग शराब लदी थी. पुलिस ने शराब के साथ पहले दो लोगों कोडरमा के दूधीमाटी निवासी प्रभात प्रकाश तिवारी, नालंदा निवासी रौशन कुमार को गिरफ्तार किया. इसके बाद उनकी निशानदेही पर बोलेरो नंबर जेएच-01एक्यूटी-3271 के साथ आजाद मोहल्ला तिलैया निवासी रोहित कुमार व छत्तरबर कोडरमा निवासी अखिलेश कुमार को पकड़ा गया. नवादा पुलिस ने इस संबंध में वहां पर एक मामला दर्ज किया है. जब्त ट्रक पर नीचे में शराब के कार्टून व ऊपर से स्टोन चिप्स लदा था.
गत दिन ही लौटी थी समस्तीपुर की टीम: अवैध शराब बरामदगी के मामले में समस्तीपुर बिहार के ताजपुर थाना की पुलिस गत दिनों ही तिलैया पहुंची थी. इस दौरान वहां शराब के साथ जब्त वाहन के सत्यापन की कोशिश की गयी. जब्त वाहन नंबर के मालिक से संपर्क किया गया, तो उसने बताया कि उनका ट्रक बरही में अभी है और सामान लोड कर रहा है. ऐसे में आशंका है कि बरामद ट्रक का नंबर फरजी था.
बिना वारंट घर पर रात में कैसे छापामारी कर देते : एसडीपीओ
एसटीएफ पटना की टीम ने आपके जिले में छापामारी कर भारी मात्रा में शराब बरामद की है, स्थानीय पुलिस पर सवाल नहीं उठता. बीच शहर में चल रहे इस गोरखधंधे की जानकारी पुलिस को नहीं थी क्या?
देखिए, छापामारी एसटीएफ पटना व कोडरमा पुलिस ने संयुक्त रूप से की है. बिहार में भारी मात्रा में शराब बरामद होने के बाद गिरफ्तार अभियुक्त से हुई पूछताछ के आधार पर टीम यहां पहुंची थी. स्थानीय पुलिस को इस गोरखधंधे की जानकारी नहीं थी. हमें सूचना क्यों नहीं मिली, इसकी जांच की जायेगी.
एसटीएफ टीम ने रात में संजय यादव के आवास के पास से एक ट्रक शराब जब्त की. टीम उसके आवास पर छापामारी करना चाह रही थी. आप लोगों ने क्यों रोका?
शराब की गाड़ी संजय के घर से आगे लगी थी. हमने रोका नहीं. रात में हम किसी के घर में बिना वारंट के कैसे छापामारी कर सकते हैं.
चलिये, शराब की गाड़ी किसी के घर के पास मिली, पर एसटीएफ किसी खास घर में छापा मारना चाह रही थी, फिर क्यों रोका गया.
शराब से लदी ट्रक ई ऊ….नवादा बस्ती में वो…संजय के घर के आगे लगी मिली. वहां कोई राजेश का घर है, इधर अर्जुन का घर है, अनेक लोगों का घर हैं, किसी खास घर में छापामारी करने का उद्देश्य एसटीएफ का भी नहीं था. वैसे भी बिना वारंट किसी के घर में रात में छापामारी हम नहीं कर सकते थे.
खत्म नहीं हुआ माफिया-अफसर गंठजोड़
दिसंबर में सभी जिलों के क्लर्क से लेकर अधिकारियों तक का कर दिया गया था ट्रांसफर
नकली और अवैध शराब के धंधे पर लगाम लगाने में नहीं मिल रही है सफलता
रांची : उत्पाद विभाग के अफसरों से लेकर कर्मचारियों तक में किया गया व्यापक फेर-बदल भी अफसरों और शराब माफिया का गंठजोड़ नहीं तोड़ सका है. जिलों में शराब माफिया अब भी फल-फूल रहे हैं.
दिसंबर 2016 में ही राज्य के सभी जिलों में उत्पाद विभाग के क्लर्क, सिपाही, दारोगा से लेकर सहायक उत्पाद आयुक्तों का तबादला किया गया था. 21 दिसंबर को विभाग ने 82 सिपाही, 32 क्लर्क, आठ निरीक्षक, 25 अवर निरीक्षक और 24 सहायक उत्पाद आयुक्तों का तबादला किया था. शराब माफिया के साथ विभाग का गंठजोड़ समाप्त करने के लिए अपवादों को छोड़ कर राज्य के सभी उत्पाद कर्मचारियों और अफसरों का जिला या प्रमंडल बदल दिया गया था. बावजूद इसके राज्य में अवैध और नकली शराब के धंधे पर लगाम लगाने में सफलता नहीं मिल सकी है. शराब माफिया निर्भीक होकर धंधा कर रहे हैं. कोडरमा में बिहार और राज्य पुलिस द्वारा की गयी संयुक्त छापेमारी में पकड़ी गयी शराब की बड़ी खेप इसका ताजा उदाहरण है.
बेची जाती है हरियाणा और पंजाब की शराब
बिहार में शराबबंदी के कारण कोडरमा जैसे सीमा से लगे जिले शराब माफियाओं की पसंदीदा जगह बन गये हैं. बिहार से लगे सीमावर्ती जिलों में कई नकली शराब की फैक्टरियां भी खुल गयी हैं. झारखंड के सीमावर्ती क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर केवल हरियाणा और पंजाब में बिक्री के लिए तैयार की गयी शराब की कालाबाजारी की जा रही है. दरअसल, हरियाणा और पंजाब में शराब की कीमत झारखंड की तुलना में काफी कम है. उदाहरण के लिए रॉयल स्टैग की एक पेटी हरियाणा में 2400 रुपये में उपलब्ध हो जाती है. वहीं, झारखंड में इसकी कीमत 4100 रुपये है. कीमत में बड़ा अंतर होने की वजह से हरियाणा से अवैध शराब का ट्रांसपोटेशन करने के बाद भी शराब माफिया को झारखंड की तुलना में कम कीमत पर माल उपलब्ध हो जाता है. कम कीमत पर खरीदी गयी अवैध शराब के लिए माफिया को बिहार में मनचाही कीमत मिल जाती है. मुनाफे का बड़ा हिस्सा उत्पाद विभाग के अफसरों और कर्मचारियों की जेब में भी जाता है.

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