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…और लुगनी व उसके पुत्र का संवर गया जीवन

गुड़ाबांदा: प्रभात खबर में एक सितंबर 2015 को छपी खबर और राज्यपाल के प्रयास से नक्सल प्रभावित गुड़ाबांदा के जियान गांव की दुष्कर्म पीड़िता दिव्यांग लुगनी (बदला हुआ नाम) और उसके मासूम पुत्र का जीवन संवर गया. मां-बेटे के जीवन को नया आयाम मिला. आज लुगनी का पुत्र जियान आंगनबाड़ी केंद्र में पढ़ता है. राज्यपाल […]

गुड़ाबांदा: प्रभात खबर में एक सितंबर 2015 को छपी खबर और राज्यपाल के प्रयास से नक्सल प्रभावित गुड़ाबांदा के जियान गांव की दुष्कर्म पीड़िता दिव्यांग लुगनी (बदला हुआ नाम) और उसके मासूम पुत्र का जीवन संवर गया. मां-बेटे के जीवन को नया आयाम मिला. आज लुगनी का पुत्र जियान आंगनबाड़ी केंद्र में पढ़ता है. राज्यपाल द्वारा भेजे गये उपहार अन्य बच्चों को दिखा कर चहकता है. हाथ में स्लेट लेकर पढ़ने के लिए आंगनबाड़ी केंद्र जाता है. इस बच्चे में भी अब पढ़-लिख कर अच्छा इनसान बनने की बातें हिलोरें मारती हैं. अपने पुत्र को इस तरह चहकते देख लुगनी भी मन ही मन खुश होती है.
उसकी इच्छा है कि उसका बेटा पढ़ लिख कर एक अच्छा इनसान बने. जब वह पांच साल का हो जायेगा, तो उसका एडमिशन लोयोला स्कूल में होगा, जहां उसे बेहतर शिक्षा मिलेगी. लुगनी का नाम तब चर्चा में आया, जब यह इलाका नक्सलवाद की आग में धधक रहा था. दोनों पांव से दिव्यांग और लाचार लुगनी अपने घर में थी. एक रात पास के गांव के ही नक्सली गुलाछ मुंडा( अब मृत) ने उसकी लाचारी का फायदा उठाया. घर से उठा कर पास के जंगल में ले गया और उसके साथ दुष्कर्म किया. इससे लुगनी गर्भवती हो गयी. उसने एक पुत्र को जन्म दिया. लोग उसे हेय नजरों से देखने लगे. इसके बाद गुलाछ मुंडा ने उससे शादी करने से इनकार कर दिया. लुगनी ने थाना में आवेदन देकर न्याय की गुहार लगायी. मामला दर्ज हुआ, लेकिन गुलाछ मुंडा पकड़ा नहीं जा सका. लुगनी को न्याय नहीं मिला. जीवन से निराश और हताश लुगनी ने गरीबी व लाचारी से अपने पुत्र को किसी को गोद देने की इच्छा प्रभात खबर से व्यक्त की. प्रभात खबर ने इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया.
पेंशन की राशि दाेगुनी होती, तो बेहतर होता : लुगनी
खबर छपने के बाद राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने लुगनी और उसके बच्चे को गोद लेने की घोषणा कर दी. इसके बाद प्रशासन हरकत में आया. लुगनी के घर पर पदाधिकारी दस्तक देने लगे. लुगनी के लिए विकलांग पेंशन रािश स्वीकृत हो गयी. राशन कार्ड बना और अनाज मिलने लगा. प्रशासन के प्रयास से उसकी सुविधा के लिए उसके घर के पास शौचालय का निर्माण हुआ. एक कुंआ व एक चापानल भी लगा. उसके जीवन में एक बदलाव आया. वहां के लोग उसे आदर की नजरों से देखने लगे. लुगनी को एक अदद इंदिरा आवास की जरूरत है. उसे भरोसा है कि इंदिरा आवास भी बन जायेगा. लुगनी कहती है कि पेंशन की राशि दोगुनी हो जाती तो और बेहतर होता.
राज्यपाल दीपावली में भेजती हैं उपहार, वस्त्र और मिठाई
लुगनी कहती हैं राज्यपाल महोदया हर साल दीपावली में उसे व उसके पुत्र के लिए मिठाई, वस्त्र और उपहार भेजती हैं. सरकारी महकमा भी उसका पूरा ख्याल रखता है. लुगनी कहती है कि उसका बेटा अब खुश रहता है. उसने बताया कि बीडीओ ने आश्वस्त किया है कि मकर पर्व के बाद उसके पुत्र का नामांकन लोयोला स्कूल में हो जायेगा. वह कहती है कि उसकी इच्छा यही है कि उसका पुत्र पढ़ लिख कर कुछ बन जाये. वह राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू के प्रति आभार जताते हुए कहती है कि आखिरकार एक महिला ने महिला का दर्द समझा.

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