इनमें दो आदिम जनजाति की हैं. जबकि लिट्टीपाड़ा के रमेश मुरमू (15), निपनिया गांव के जरमन बास्की के पुत्र रसका बास्की (5) व पुत्री धनमुनी बास्की (2) और मखनी गांव के स्वीटी मालतो (4 वर्ष) की भी मौत सेरेब्रल मलेरिया से हो गयी. मृत बच्चों के पिता जरमन ने बताया कि गांव में बेहतर चिकित्सा व्यवस्था नहीं होने के कारण अपने बच्चों का झोलाछाप डॉक्टर से इलाज करा रहे थे.
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मलेरिया से सात बच्चों की मौत
लिट्टीपाड़ा: लिट्टीपाड़ा में दो िदन में सेरेब्रल मलेरिया से चार बच्चों की मौत हो गयी. किसी के परिजन के पास इलाज के पैसे नहीं थे, तो किसी को समय पर एंबुलेंस नहीं मिलने के कारण अपने बच्चे को खोना पड़ा. गढ़वा के धुरकी प्रखंड के करवा गांव में मंगलवार को तीन बच्चियों की मौत बेहतर […]
लिट्टीपाड़ा: लिट्टीपाड़ा में दो िदन में सेरेब्रल मलेरिया से चार बच्चों की मौत हो गयी. किसी के परिजन के पास इलाज के पैसे नहीं थे, तो किसी को समय पर एंबुलेंस नहीं मिलने के कारण अपने बच्चे को खोना पड़ा. गढ़वा के धुरकी प्रखंड के करवा गांव में मंगलवार को तीन बच्चियों की मौत बेहतर इलाज के बिना हो गयी.
स्थिति में सुधार नहीं होने पर दोनों बच्चे को सदर अस्पताल ले गया, जहां इलाज के क्रम में दोनों की मौत हो गयी.
तीनों बच्चियां मलेरिया से पीड़ित : गढ़वा जिले के धुरकी प्रखंड के करवा पहाड़ गांव में मलेरिया से मृत तीनों बच्चियों में कृष्णा कोरवा की पुत्री अनिता कुमारी (12 साल), बाबूलाल परहिया की पुत्री रूपा कुमारी (डेढ़ साल) एवं शिव कुमार भुइंया की पुत्री सरिता कुमारी(छह साल) शामिल है. मृतकों के परिजनों के अनुसार अस्पताल में समुचित इलाज नहीं होने के कारण उनकी स्थिति बिगड़ने लगी. चिकित्सकों ने उन्हें बेहतर इलाज के लिए बाहर ले जाने की सलाह दी. परिजन पैसे के अभाव में बच्चों को इलाज के लिए बाहर नहीं ले पाये और गांव लौटने लगे. इसी क्रम में रास्ते में ही उनकी मौत हो गयी.
डॉक्टर ने कहा कि जहां जाना है जाओ
कृष्णा कोरवा ने कहा कि बेटी अनिता को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र धुरकी में भरती कराया गया. जांच में मलेरिया निकला तो उसे गढ़वा रेफर कर दिया गया़ शुक्रवार को उसे गढ़वा सदर अस्पताल में भरती कराया गया. मंगलवार सुबह बेहोश हो गयी़ इसकी जानकारी चिकित्सक को दी. चिकित्सक ने कहा कि जहां जाना है, ले जाओ. बाहर इलाज कराने के पैसे नहीं थे़ वह अनिता को घर ला रहा था़ रास्ते में उसकी मौत हो गयी़
एंबुलेंस नहीं िमली, मरीज ने दम तोड़ा
शिवकुमार भुइंया ने कहा कि उसने बुखार होने पर बेटी सरिता को नगरउंटारी रेफरल अस्पताल में भरती कराया. स्थिति बिगड़ने पर चिकित्सक ने बाहर ले जाने के लिए कहा. पैसे के अभाव में उसने डॉक्टरों से एंबुलेंस उपलब्ध कराने का आग्रह किया, जब एंबुलेंस नहीं मिली तो वह मजबूरीवश सरिता को लेकर घर लौट रहा था़ रास्ते में ही सरिता ने दम तोड़ दिया़ ऐसा ही वाकया बाबूलाल परहिया की पुत्री रूपा के साथ भी हुआ़
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