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पंचायत प्रतिनिधियों को मिलेगा प्रशिक्षण
रांची: पंचायती राज प्रतिनिधियों को सरकार प्रशिक्षण देगी, जो उनके रोजाना के आर्थिक व प्रशासनिक कामकाज के लिए होगा. प्रशिक्षण का फॉरमेट तैयार है तथा जल्द ही सभी जिलों में इसे शुरू किया जायेगा. फिलहाल, पंचायतों को विभिन्न विभागों की कई योजनाअों को क्रियान्वित करने का अधिकार प्राप्त है. वहीं, विकास कार्य के लिए वित्त […]
रांची: पंचायती राज प्रतिनिधियों को सरकार प्रशिक्षण देगी, जो उनके रोजाना के आर्थिक व प्रशासनिक कामकाज के लिए होगा. प्रशिक्षण का फॉरमेट तैयार है तथा जल्द ही सभी जिलों में इसे शुरू किया जायेगा.
फिलहाल, पंचायतों को विभिन्न विभागों की कई योजनाअों को क्रियान्वित करने का अधिकार प्राप्त है. वहीं, विकास कार्य के लिए वित्त अायोग सहित अन्य स्रोतों से राशि सीधे पंचायतों को मिल रही है. ऐसे में यह जरूरी है कि पंचायत स्तर पर मुखिया तथा प्रखंड व जिला स्तर के पंचायती राज प्रतिनिधियों को भी अार्थिक व प्रशासनिक कामकाज को अंजाम देने का गुर सिखाया जाये. इसी संदर्भ में राज्य सरकार ने उक्त निर्णय लिया है.
बढ़ रही हैं शिकायतें
गौरतलब है कि पंचायती राज विभाग ने पंचायतों में होनेवाले 33 कार्यों (आइटम) के लिए मॉडल गाइड लाइन पहले ही तैयार की है. यानी अब संबंधित कार्य उसके लिए तय फॉरमैट के अनुसार ही करने होंगे. दरअसल, एक ही काम अलग-अलग पंचायतों में अलग-अलग तरीके व मानकों से कराये जाते हैं. इससे वित्तीय अनियमितता की शिकायतें बढ़ रही हैं. सड़क से लेकर नलकूप व सोलर लाइट लगाने तक में यही हो रहा है. इसी वजह से विभाग ने तय किया है कि पंचायतों के काम तय तरीके व मानकों के अनुसार ही होंगे.
विभाग ने संवेदक गाइड लाइन भी किया तैयार
विभाग ने संवेदक गाइडलाइन भी तैयार की है. इसमें वैसे कार्य, जो निविदा के आधार पर किये जाते हैं, उसके संवेदकों के लिए नियम व शर्त होगी. खाता-बही व हिसाब सही रखने के लिए पंचायती राज विभाग ने अॉडिट, एकाउंट व बजट मैनुअल भी तैयार कर लिया है. पंचायतों को दिये दिशा-निर्देश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि जो विकास कार्य जिस विभाग से संबंधित हों, उसके लिए तकनीकी सहायता इसी विभाग से ली जाये. जैसे नलकूप लगाना है, तो इसकी तकनीकी जानकारी पेयजल व स्वच्छता विभाग से लें.
गड़बड़ी के लिए मुखिया जिम्मेवार
पंचायती राज विभाग ने अपने एक पूर्व के अादेश में साफ किया था कि सभी पंचायत प्रतिनिधियों को उनके दायित्वों की जानकारी होना आवश्यक है. मुखिया का दायित्व है कि वह ग्राम सभा की बैठक तीन माह में एक बार अवश्य करें, पंचायत समिति की बैठक निर्धारित तिथि व समय पर हो, सूचना प्राप्ति के सात दिनों के अंदर योजनाओं/लाभुकों का चयन कर इसकी सूची बीडीओ व डीडीसी को दें, कर्मचारियों पर प्रशासनिक नियंत्रण नहीं रखना व अन्य मामलों में शिथिलता मुखिया की प्रशासनिक विफलता मानी जायेगी. वहीं भविष्य में किसी प्रकार की जांच, सोशल ऑडिट व परफॉर्मेंस ऑडिट में अनियमितता मिलने पर मुखिया जवाबदेह होंगे.
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