अब तक इस तरह का काम माओवादियों द्वारा किया जाता रहा है. उल्लेखनीय है कि पिछले चार-पांच सालों से लातेहार, गुमला व लोहरदगा में भाकपा माओवादी के नक्सलियों द्वारा बच्चों को संगठन में शामिल कराने के मामले सामने आये. इससे संबंधित खबरें प्रकाशित होने के बाद हाइकोर्ट ने मामले में स्वत: संज्ञान लिया था. हाइकोर्ट ने झारखंड पुलिस को कई आदेश दिये हैं, जिनमें बच्चों को मुक्त कराने का भी आदेश दिया गया है.
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बच्चों को जबरदस्ती संगठन में किया जा रहा है शामिल
रांची: डीजीपी के समक्ष सरेंडर करनेवाले नौ में से आठ उग्रवादियों ने पुलिस से कहा है कि पीएलएफआइ के उग्रवादी उन्हें जबरदस्ती संगठन में ले गये थे. जब उनके परिवार के लोगों ने इसका विरोध किया था, तब पीएलएफआइ के कमांडरों के द्वारा उनके घरवालों को जान से मारने की धमकी दी जाने लगी थी. […]
रांची: डीजीपी के समक्ष सरेंडर करनेवाले नौ में से आठ उग्रवादियों ने पुलिस से कहा है कि पीएलएफआइ के उग्रवादी उन्हें जबरदस्ती संगठन में ले गये थे. जब उनके परिवार के लोगों ने इसका विरोध किया था, तब पीएलएफआइ के कमांडरों के द्वारा उनके घरवालों को जान से मारने की धमकी दी जाने लगी थी. इससे परेशान सभी युवक संगठन में शामिल हो गये थे.
सशस्त्र दस्ता में सदस्य रह कर एरिया कमांडर मंगरा लुगुन व अमर गुड़िया के दस्ते में काम करने लगे थे. यह पहला मौका है, जब यह बात सामने आयी है कि पीएलएफआइ संगठन के द्वारा भी बच्चों को जबरदस्ती संगठन में शामिल कराया जा रहा है. पुलिस के सीनियर अफसर बताते हैं कि बच्चों को संगठन में ले जाने के मामले में पुलिस के लिए माओवादी के बाद पीएलएफआइ नयी चुनौती बन कर उभरी है.
सरेंडर करनेवाले नौ उग्रवादी
नाम थाना-गांव कितने दिन से संगठन में थे
सामु लुगुन बंदगांव-जलासार तीन साल
मिट्टू लुगुन बंदगांव-जलासार तीन साल
अचु हेरेंज बंदगांव-टुटीकेल तीन साल
दाडु उर्फ गंजु लुगुन बंदगांव-जलासार तीन साल
बिरसा लुगुन बंदगांव-जलासार तीन साल
जिरगा लुगुन बंदगांव-जलासार तीन साल
गोमा लुगुन बंदगांव-जलासार तीन साल
सादो लुगुन बंदगांव-जलासार तीन साल
लाल बिहारी सिंह आनंदपुर-हरता ढाई साल
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