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उरुगुटू के हरि भी शिकार, दो डिसमिल में भी पटवन नहीं कांके के किसान भी फंसाये गये

रांची: कांके प्रखंड में पड़नेवाले उरुगुटू के हरि प्रसाद महतो को भी खेतों के पटवन के नाम पर शिकार बनाया गया है. 90 फीसदी सब्सिडी वाली योजना को सौ फीसदी सब्सिडी की योजना बता कर फंसाया गया. कुछ पाइप व लेटल (मशीन) तो दिये गये, पर दो डिसमिल जमीन में भी पटवन नहीं हो सकी. […]

रांची: कांके प्रखंड में पड़नेवाले उरुगुटू के हरि प्रसाद महतो को भी खेतों के पटवन के नाम पर शिकार बनाया गया है. 90 फीसदी सब्सिडी वाली योजना को सौ फीसदी सब्सिडी की योजना बता कर फंसाया गया. कुछ पाइप व लेटल (मशीन) तो दिये गये, पर दो डिसमिल जमीन में भी पटवन नहीं हो सकी. पुराने तरीके से ही ये लोग पटवन का काम कर रहे हैं. कहने को सिर्फ कुछ पाइप खेत, तो कुछ घर में पड़े हुए हैं. कुछ टूट भी गये हैं. कुएं के पास ऐसे ही मशीन लगी हुई है, जो किसी काम का नहीं है.

हमलोग को योजना के बारे में सही पता नहीं था. कहा गया कि पटवन का स्कीम आया है. एक भी पैसा नहीं लगेगा, लगवा लो. बाद में स्कीम खत्म हो जायेगा. कितनी की योजना है. क्या-क्या देना है, यह क्लीयर नहीं हुआ. कुछ लोग आये. कहा कि जिला उद्यान कार्यालय से आये हैं. ठाकुरगांव के परिचित लोग भी थे. फॉर्म दिया. हम उस पर साइन किये. खाता नंबर भरे. बाद में पता चला कि बैंक में मेरे नाम से 202056 रुपये जमा हुए थे, जो बाद में एजेंसी को मिल गया. तब हम मामला समङो. हरि प्रसाद महतो

राष्ट्रीय सूक्ष्म सिंचाई मिशन से की गयी आपूर्ति
केंद्र सरकार की राष्ट्रीय सूक्ष्म सिंचाई मिशन के तहत पटवन की सामग्री पूरे राज्य में आवंटित की जा रही है. कृषि विभाग द्वारा संचालित इस योजना की देखरेख जिला उद्यान पदाधिकारी कर रहे हैं.

मशीन चलाने को बिजली भी नहीं
मशीन चलाने के लिए यहां बिजली की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है. किसी तरह ग्रामीणों के घरों में बल्ब जलता है. ग्रामीण इसे जीरो वोल्टेज कहते हैं. ऐसे में मशीन का चलना संभव नहीं है. पटवन सामग्री देने के पहले यह भी नहीं देखा गया कि वहां बिजली पर्याप्त है या नहीं. मशीन का इस्तेमाल होगा या नहीं. कुछ पाइप दिखाने के लिए खेतों में बिछाया तो गया, लेकिन अब तो न मशीन चलती है और न ही पाइप किसी काम का है.

कुछ सामान के लिए दो लाख
पटवन के लिए थोड़ी सी सामग्री दी गयी, पर इसके लिए आपूर्तिकर्ता एजेंसी को 202056 रुपये का भुगतान हुआ. पहले यह राशि एक अगस्त 2013 को हरि महतो के खाता (बैंक ऑफ इंडिया, ठाकुरगांव शाखा) में जमा हुई. फिर 10 अगस्त 2013 को मां लक्ष्मी इंटरप्राइजेज के नाम ट्रांसफर हो गया. मामला प्रकाश में आने के बाद अब ग्रामीण इन सामानों का रेट पता करने में लग गये हैं. वे कहते हैं : 30-40 हजार रुपये का सामान दिया गया, पर इसके लिए करीब दो लाख रुपये ले लिया.

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