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झारखंड में करुणा परियोजना की लांचिंग, राज्यपाल ने कहा कुपोषण दूर करने के लिए आंदोलन की है जरूरत

रांची: राज्यपाल द्रौपदी मुरमू ने कहा कि राज्य में पोषण सुरक्षा एक गंभीर विषय है. बच्चों का स्वास्थ्य इनके पोषण पर ही निर्भर है. इस दृष्टिकोण से कुपोषण एक अत्यंत ही संवेदनशील मुद्दा है. सबके लिए एक चुनौती भी है. कुपोषण को दूर करने के लिए आंदोलन के रूप में लें. स्वाधीनता के इतने वर्षों […]

रांची: राज्यपाल द्रौपदी मुरमू ने कहा कि राज्य में पोषण सुरक्षा एक गंभीर विषय है. बच्चों का स्वास्थ्य इनके पोषण पर ही निर्भर है. इस दृष्टिकोण से कुपोषण एक अत्यंत ही संवेदनशील मुद्दा है. सबके लिए एक चुनौती भी है. कुपोषण को दूर करने के लिए आंदोलन के रूप में लें. स्वाधीनता के इतने वर्षों बाद भी बच्चों का कुपोषित होना अच्छा संकेत नहीं है. इसके निदान के प्रति हमें गंभीर होना होगा. राज्यपाल शुक्रवार को होटल बीएनआर चाणक्या में करुणा परियोजना की लांचिंग सह कार्यशाला को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रही थीं. यह कार्यशाला विकास भारती व सेव दि चिल्ड्रेन की ओर से आयोजित की गयी.
राज्यपाल ने कहा कि कुपोषण दूर करने के लिए सबकी भागीदारी जरूरी है. बच्चों के स्वास्थ्य एवं पोषण संबंधी मामलों पर महिलाओं के साथ-साथ उनके परिजनों को भी जागरूक करना होगा. उन्हें बताना होगा कि जन्म के बाद मां का दूध बच्चों के लिए सर्वाेत्तम आहार है. गर्भावस्था के दौरान बहुत सी माताएं खानपान का ध्यान नहीं रखती जिससे बच्चा जन्म के साथ ही कुपोषण का शिकार हो जाता है. यहां साग-सब्जी उपलब्ध हैं. उनका खानपान के रूप में कैसे इस्तेमाल करें, इस बारे में गांव के लोगों को मालूम तो है. पर यह सब उनके दैनिक खानपान का हिस्सा नहीं बन पा रहा है. लोगों में भ्रांतियां हैं कि पौष्टिक आहार केवल महंगे खाद्य पदार्थों में ही उपलब्ध है. गरीब तबके के लोग इसका वहन नहीं कर सकते हैं.

हमें इन भ्रांतियों को दूर करना होगा. गर्भवती महिलाओं व धातृ माताओं के स्वास्थ्य में गुणात्मक सुधार लाने के लिए हमें और काम करना होगा. कार्य करने से और भी बेहतर परिणाम मिल सकते हैं. यह विषय केवल कार्यशाला तक सीमित न हो बल्कि, इसे आंदोलन का रूप देना होगा. इस दौरान करुणा परियोजना की भी लांचिंग हुई. कार्यक्रम में विकास भारती के सचिव अशोक भगत ने करुणा परियोजना के बारे में विस्तार से जानकारी दी. मौके पर डॉ उमा सिन्हा व गुमला के तत्कालीन बीडीओ सुनील ने अपने अनुभव बताये. कार्यक्रम में सेव दि चिल्ड्रेन के डॉ राजेश खन्ना, पोषण विशेषज्ञ एमेली केने, डॉ अजय कुमार सिंह, कृषि निदेशक जटाशंकर चौधरी, मनोज कुमार, रतन कुमार, डॉ विद्या सिन्हा, डॉ डीपी तनेजा, बलराम, सुषमा समेत गांव से आयी महिलाओं ने भी हिस्सा लिया.

पांच वर्षों में राज्य होगा कुपोषण मुक्त : निधि खरे
कार्मिक सचिव निधि खरे ने कहा कि इस परियोजना की नींव जब रखी गयी थी, तो फंड की परेशानी थी. लेकिन, आज देख कर काफी खुशी हो रही है कि इस परियोजना का फलाफल दिख रहा है. राज्य को कुपोषण मुक्त करना प्राथमिकता सूची में है. अगर सबकी भागीदारी इसी तरह से मिलती रही, तो अगले पांच वर्षों में झारखंड कुपोषण मुक्त हो जायेगा. सरकार भी पूरी तरह से प्रयासरत है.
सामूहिक प्रयास जरूरी : हांसदा
महादेव हांसदा ने कहा के राज्य में कुपाेषण को दूर करने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी है. उन्होंने कहा कि गुमला जिले के सदर से यह अभियान शुरू हुआ. इसका परिणाम भी सकारात्मक दिखा. सभी विभागों की सहभागिता भी दिखी. अब इसे पूरे राज्य स्तर पर शुरू किये जाने की जरूरत है.

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