ऐसा नहीं हो, इस पर ध्यान रखा जाना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि जब राज्य में आदिवासी युवक-युवतियों को पढ़ाने के लिए फंड उपलब्ध है, तो आदिवासी कल्याण आयुक्त ने समय पर क्यों निर्णय नहीं लिया. योजना का प्रचार-प्रसार करने की आवश्यकता है. इसकी जानकारी झालसा को भी होनी चाहिए. जानकारी रहने पर ग्रामीण क्षेत्र में झालसा लोगों को जानकारी दे सकती है. मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह व जस्टिस एस चंद्रशेखर की खंडपीठ में हुई.
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समय पर अधिकारी क्यों नहीं लेते हैं संज्ञान : हाइकोर्ट
रांची: झारखंड हाइकोर्ट ने बुधवार को लातेहार की गरीब परिवार की दिव्यांग लड़की अनिमा मिंज का मेडिकल में नामांकन लेने में असमर्थ रहने को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि अधिकारी समय पर संज्ञान क्यों नहीं लेते हैं. जब अखबार में मामला छपता है, तब जाकर अधिकारियों की […]
रांची: झारखंड हाइकोर्ट ने बुधवार को लातेहार की गरीब परिवार की दिव्यांग लड़की अनिमा मिंज का मेडिकल में नामांकन लेने में असमर्थ रहने को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि अधिकारी समय पर संज्ञान क्यों नहीं लेते हैं. जब अखबार में मामला छपता है, तब जाकर अधिकारियों की नींद खुलती है.
खंडपीठ ने माैखिक रूप से कहा कि राज्य में कॉरपोरेट लोग आ रहे हैं. फिल्म सिटी बनायी जा रही है. इससे रोजगार मिलेगा. सरकार यहां के लोगों के जीवन स्तर को भी ऊपर उठाये. इससे पहले राज्य सरकार की अोर से बताया गया कि कोर्ट के संज्ञान लेने के पहले ही सरकार ने अनिमा मिंज की सहायता करने का निर्णय लिया था. कोर्ट के आदेश का अनुपालन कर दिया गया है. उसका नामांकन चयनित मेडिकल कॉलेज में हो चुका है. उल्लेखनीय है कि दिव्यांग अनिमा मिंज का नीट में चयन होने के बाद देश के प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेज ग्रांट मेडिकल कॉलेज व जेजे अस्पताल मुंबई से नामांकन लेने के लिए बुलावा आया था, लेकिन वह आर्थिक तंगी की वजह से नामांकन नहीं ले पा रही थी. मीडिया में खबर प्रकाशित होने के बाद हाइकोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए उसे पीआइएल में तब्दील कर दिया था.
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