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नहीं बनी एक भी इंटीग्रेटेड पुलिस कॉलोनी

जुलाई 2011 में तत्कालीन डीजीपी के समय बनी थी योजना, उनके बाद के अफसरों ने ध्यान नहीं दिया रांची : पुलिस मुख्यालय ने जुलाई 2011 में जिलों में इंटीग्रेटेड पुलिस कॉलोनी बनाने की शुरुआत की थी. तत्कालीन डीजीपी ने इसकी शुरुआत की थी. पहले चरण में रांची, जमशेदपुर व पलामू में इंटीग्रेटेड पुलिस कॉलोनी बनाने […]

जुलाई 2011 में तत्कालीन डीजीपी के समय बनी थी योजना, उनके बाद के अफसरों ने ध्यान नहीं दिया

रांची : पुलिस मुख्यालय ने जुलाई 2011 में जिलों में इंटीग्रेटेड पुलिस कॉलोनी बनाने की शुरुआत की थी. तत्कालीन डीजीपी ने इसकी शुरुआत की थी. पहले चरण में रांची, जमशेदपुर व पलामू में इंटीग्रेटेड पुलिस कॉलोनी बनाने का फैसला लिया गया था.

जीएस रथ के सेवानिवृत्त होने के बाद पुलिस मुख्यालय के अफसरों ने इस पर ध्यान नहीं दिया. इस कारण पांच साल बाद भी किसी भी जिला में इंटीग्रेटेड पुलिस कॉलोनी नहीं बन सका और अफसरों ने इंटीग्रेटेड पुलिस कॉलोनी के नाम पर रांची, जमशेदुपर व पलामू जिला में पुलिसकर्मियों के लिए आठ तल्ला अावासीय क्वार्टर बना दिया है.

क्यों बनी थी योजना : पुलिस अफसरों ने यह सोचा था कि पुलिसकर्मी विपरीत परिस्थिति में काम करते हैं. दुरूह क्षेत्र में ड्यूटी करते हुए वे परिवार से दूर रहते हैं. शहर में ड्यूटी के दौरान भी परिवार को वक्त नहीं दे पाते.

इसलिए पुलिस विभाग व सरकार की जिम्मेदारी है कि उनके परिवार के रहने और उनके बच्चों को बेहतर माहौल दें. यही कारण है कि उन्होंने इंटीग्रेटेड पुलिस कॉलोनी में आवासीय क्वार्टर के साथ-साथ स्कूल, खेल का मैदान, पानी व बिजली की समुचित व्यवस्था और अस्पताल व दवाई की व्यवस्था कराने की बात कही थी. पुलिसकर्मी परिवार से दूर रहते हुए भी चिंतामुक्त रह कर ड्यूटी कर सकें. शहर में पोस्टिंग के लिए दबाव भी कम होगा. इसीलिए उन्होंने इंटीग्रेटेड पुलिस कॉलोनी की योजना तैयार करवायी थी.

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