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रांची में 229 रुपये किलो तक बिक रही अरहर दाल

महंगाई. खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों से आम लोग परेशान, अरहर दाल की कीमतों पर नियंत्रण नहीं बढ़ती महंगाई ने राज्य के लोगाें का जीना मुहाल कर दिया है़ खाद्य पदार्थों की लगातार बढ़ती कीमतों से लोग परेशान हैं़ सबसे ज्यादा परेशानी दाल व आलू की कीमतें बढ़ने से हो रही हैं रांची : दाल […]

महंगाई. खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों से आम लोग परेशान, अरहर दाल की कीमतों पर नियंत्रण नहीं
बढ़ती महंगाई ने राज्य के लोगाें का जीना मुहाल कर दिया है़ खाद्य पदार्थों की लगातार बढ़ती कीमतों से लोग परेशान हैं़ सबसे ज्यादा परेशानी दाल व आलू की कीमतें बढ़ने से हो रही हैं
रांची : दाल की कीमतों पर राज्य सरकार का काबू नहीं है. स्थानीय प्रशासन भी इस दिशा में ध्यान नहीं दे रहा है. अरहर दाल की कीमत लगातार बढ़ रही है. केंद्र सरकार एक ओर कहती है कि अरहर दाल 120 रुपये प्रति किलो से अधिक कीमत पर न बिके, लेकिन स्थिति यह है कि रांची में अरहर दाल 229 रुपये प्रति किलो तक बिक रही है.
शहर के लालपुर चौक और कोकर में खुदरा अरहर दाल 150-155 रुपये प्रति किलो और बड़े शॉपिंग मॉल में ब्रांडेड कंपनियों की अरहर दाल 179 रुपये से लेकर 229 रुपये प्रति किलो तक बिक रही है, लेकिन इसे देखने वाला कोई नहीं है.
चना 100 रुपये, तो चना दाल 110 रुपये : अरहर दाल समेत चना, चना दाल, मूंग दाल, उड़द दाल, मसूर दाल आदि की कीमत भी बढ़ गयी है. चना 80-90 रुपये से बढ़ कर 100 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गया है. वहीं मसूर दाल 80-85 रुपये से बढ़ कर 90 रुपये प्रति किलो, मूंग दाल 100 रुपये से बढ़ कर 110 से 120 रुपये प्रति किलो तक बिक रही है. विक्रेताओं का कहना है कि पैदावार कम होने के कारण कीमतों में वृद्धि हुई है.
वैसे रिटेलरों को चिह्नित किया जायेगा, जो अधिक दाम पर दाल बेच रहे हैं. वहीं दाल की जमाखोरी के खिलाफ अभियान चलाया जायेगा.
आदित्य कुमार आनंद, एसडीओ, रांची
बीज नहीं मिलने से फेल हो रही है दलहन की योजना, किसानों को भी नहीं मिल रहा लाभ
रांची : दलहन के बीज नहीं मिलने के कारण झारखंड में दलहन उत्पादन की योजना फेल हो रही है. पिछले साल राज्य सरकार को दलहन का बीज नहीं मिल पाया. इस कारण सरकारी स्तर पर किसानों को बीज से मिलने वाला लाभ नहीं मिल पाया. स्थिति यह है कि बीज नहीं मिलने के कारण किसानों को सरकार अनुदान पर बीज नहीं दे पा रही है.
यह हाल तब है जब राज्य सरकार को बीज उत्पादन में अच्छी वृद्धि के लिए कृषि कर्मण पुरस्कार मिल चुका है. वहीं, भारत सरकार पिछले दो साल के राज्य के सभी जिलों में दलहन विकास की योजना पर काम कर रही है.
पिछले साल राज्य सरकार ने 2300 क्विंटल बीज की मांग की थी, जो नहीं मिला. इस बार भी राज्य सरकार ने खरीफ के मौसम में दलहन उत्पादन के लिए बीज की मांग की है. अब तक सभी जिलों में दलहन का बीज नहीं मिल पाया है.
पिछले कुछ सालों की तुलना में उत्पादन घटा
राज्य में नेशनल फूड सिक्युरिटी मिशन (एनएफएसएम) के तहत दलहन की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है. 2010-11 में यह मिशन राज्य के 15 जिलों में शुरु किया गया था. इस वक्त केंद्र सरकार शत प्रतिशत राशि देती थी. पिछले दो साल से यह अनुदान 40 फीसदी रह गया है.
इस बार राज्य सरकार दलहन के उत्पादन के लिए 60 करोड़ रुपये का बजट रखा है. इसमें केंद्र और राज्य सरकार के खर्च का अनुपात 60 और 40 फीसदी होगा. राज्य में पिछले साल करीब 530 एमटी धान का उत्पादन हुआ था. करीब 546 हजार हेक्टेयर में दलहन की खेती हुई थी. इसमें सबसे अधिक उत्पादन अरहर का हुआ था. यह पिछले कुछ साल की तुलना में कम है. 2009-10 में करीब 382 एमटी अरहर का उत्पादन हुआ था.
दलहन का बीज समय पर नहीं मिल पाता है. इस कारण दलहन उत्पादन को गति नहीं मिल पा रहा है. राज्य सरकार कोशिश कर रही है कि किसानों को समय पर अच्छा बीज मिल जाये.
जटाशंकर चौधरी, निदेशक कृषि

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