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अपना लेबल बेच रही है पुलिस : हाइकोर्ट

रांची: क्रिमिनल अपील याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान झारखंड हाइकोर्ट ने बुधवार को पुलिस के अनुसंधान कार्य पर कड़ी टिप्पणी की. पुलिस के रवैये से नाराज जस्टिस डीएन पटेल व जस्टिस पीपी भट्ट की खंडपीठ ने अपनी मौखिक टिप्पणी में कहा : राज्य में पुलिस कानून के साथ मजाक कर रही है. पुलिस अपने लेबल […]

रांची: क्रिमिनल अपील याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान झारखंड हाइकोर्ट ने बुधवार को पुलिस के अनुसंधान कार्य पर कड़ी टिप्पणी की. पुलिस के रवैये से नाराज जस्टिस डीएन पटेल व जस्टिस पीपी भट्ट की खंडपीठ ने अपनी मौखिक टिप्पणी में कहा : राज्य में पुलिस कानून के साथ मजाक कर रही है. पुलिस अपने लेबल को बेच रही है. बरी करने के आदेशों का अनुपात बढ़ता है, तो प्रतीत होता है कि न्याय प्रदान करने में कहीं न कहीं चूक या गड़बड़ी हो रही है. खंडपीठ ने कहा : राज्य में दया की सीमा पार कर गयी है. अनुसंधान पदाधिकारी की इच्छा के अनुसार गवाही होती है.

अब समय आ गया है कि अनुसंधान पदाधिकारियों को प्रशिक्षित किया जाये, ताकि साक्ष्य के अभाव में आरोपी बरी नहीं हो सके. पुलिस मैनुअल का अनुपालन किया जाये. अनुसंधान पदाधिकारियों को समय-समय पर प्रशिक्षण दिया जाये, ताकि गलतियों की पुनरावृत्ति नहीं हो सके.

गृह सचिव से जवाब तलब : खंडपीठ ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए गृह सचिव को वरीय पुलिस अधिकारियों की स्टैंडिंग कमेटी बनाने का निर्देश दिया. यह कमेटी रिहाई संबंधी आदेशों का तुलनात्मक अध्ययन करेगी. खंडपीठ ने पुलिस पदाधिकारियों को प्रशिक्षण देने की योजना की जानकारी मांगी. 24 फरवरी तक शपथ पत्र के माध्यम से विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया.

गवाही नहीं होती : खंडपीठ ने कहा : पाया गया है कि ट्रायल के दौरान गवाहों की गवाही दर्ज नहीं करायी जाती है. कई मामलों में मेडिकल अफसर की भी गवाही दर्ज नहीं होती है. अनुसंधान पदाधिकारी द्वारा भी अपनी गवाही दर्ज नहीं करायी जाती है. पुलिस हत्या के कई मामलों में प्रत्यक्षदर्शी का बयान भी दर्ज नहीं करती है. साइट मैप भी नहीं बनाया जाता है. अंतत: साक्ष्य के अभाव में आरोपी बरी हो जाते हैं. खंडपीठ ने अनुसंधान पदाधिकारी द्वारा गलती किये जाने पर उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही चलाने का निर्देश दिया. सुनवाई के दौरान पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज के प्राचार्य उपेंद्र कुमार अदालत में सशरीर उपस्थित थे. मामले की अगली सुनवाई 25 फरवरी को होगी.

क्या-क्या कहा

पुलिस कानून के साथ मजाक कर

रही है

ट्रायल के दौरान गवाहों की गवाही दर्ज नहीं करायी जाती

कई मामलों में मेडिकल ऑफिसर की भी गवाही दर्ज नहीं होती

पुलिस हत्या के कई मामलों में प्रत्यक्षदर्शी का बयान भी दर्ज नहीं करती

दिया निर्देश

वरीय पुलिस अधिकारियों की स्टैंडिंग कमेटी बनायें गृह सचिव

पुलिस पदाधिकारियों को प्रशिक्षण देने की योजना की जानकारी दें

अनुसंधान पदाधिकारी की गलती पर विभागीय कार्यवाही हो

अनुसंधान पदाधिकारियों को समय-समय पर प्रशिक्षण दिया जाये, ताकि गलतियों की पुनरावृत्ति नहीं हो

क्या है मामला : क्रिमिनल अपील याचिकाओं पर सुनवाई के क्रम में कोर्ट ने पाया था कि अनुसंधान पदाधिकारी प्रारंभ में गवाही देते हैं, लेकिन कई मामलों में गवाही नहीं दर्ज कराते. मेडिकल ऑफिसर, प्रत्यक्षदर्शी की भी गवाही दर्ज नहीं करायी जाती है. इसे लेकर हाइकोर्ट में सुनवाई हो रही है.

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