यह झारखंड, छत्तीसगढ़ व ओड़िशा में एकमात्र माइनर बसेलिका होगा़ इस तीर्थालय का उदघाटन 12 नवंबर 1995 को हुआ था़ रोमन कैथोलिक चर्च ने राजाउलातू में 1903 में एक प्राथमिक विद्यालय की शुरूआत की थी़ 1907 में कवाली में एक प्रार्थनालय का निर्माण हुआ़ कुछ कारणों से 1948 में इसे वहां से स्थानांतरित किया गया़ तब यह रांची कैथेड्रल पेरिश का हिस्सा था़ 1952 में फादर डफरिन के आगमन के साथ वहां मिशन के कार्यों ने गति पकड़ी़ उन्होंने स्कूल व चर्च के निर्माण का कार्य शुरू किया़.
छोटानागपुर के प्रेरित फादर कांस्टेंट लीवंस ने जब रांची को अपना कार्यस्थल चुना, तब वह जनवरी 1889 में कवाली गये थे और वहां उन्होंने कई लोगों की जान बचायी़ इसके बाद लोगोें का चर्च की ओर उन्मुख होने का सिलसिला चल पड़ा़