रांची : सरकार ने 1.54 करोड़ रुपये का चापानल घोटाले में तत्कालीन अभियंता प्रमुख सहित नौ इंजीनियरों व ठेकेदारों पर प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया है. वर्ष 2009 में राष्ट्रपति शासन के दौरान इस मामले की जांच निगरानी को सौंपी गयी थी. निगरानी की तकनीकी सेल ने छह साल तक जांच की. इसके बाद प्राथमिकी दर्ज करने के बदले जांच रिपोर्ट विभाग को भेज दी.
विभाग में तीन साल तक यह फाइल इधर-उधर घूमती रही लेकिन किसी इंजीनियर के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई. मामले के पकड़ में आने के बाद मुख्यमंत्री के आदेश के आलोक में विभागीय सचिव ने इस मामले में कानूनी कार्रवाई करने के लिए एसीबी को फाइल भेज दी है.
मामला वर्ष 2007-08 में जमशेदपुर प्रमंडल में चापानल लगाने में हुई गड़बड़ी से संबंधित है. वर्ष 2009 में राष्ट्रपति शासन के दौरान चापानल लगाने में गड़बड़ी की शिकायत मिली थी. मामले की गंभीरता को देखते हुए इसकी जांच निगरानी को सौंपी गयी थी. 30 अप्रैल 2009 को जारी निगरानी आयुक्त के आदेश के आलोक में निगरानी की तकनीकी सेल ने मामले की जांच शुरू की. तकनीकी सेल ने जांच मे तत्कालीन अभियंता प्रमुख ओम प्रकाश, मुख्य अभियंता सज्जाद हसन सहित नौ इंजीनियरों को दोषी पाया. साथ ही सात ठेकेदारों को भी दोषी करार दिया. जांच के बाद निगरानी ने दोषी अधिकारियों और ठेकेदारों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के बदले जांच रिपोर्ट पेयजल विभाग को भेज दी. नवंबर 2013 में जांच रिपोर्ट मिलने के बाद यह फाइल तीन साल तक इधर-उधर घूमती रही. इस दौरान विभाग ने सातों ठेकेदारों को काली सूची में डालने की प्रक्रिया शुरू की.
विभाग ने सात में से तीन ठेकेदारों को आरोप मुक्त करते हुए सिर्फ चार ठेकेदारों को काली सूची में डालने का आदेश जारी किया. हालांकि किसी इंजीनियर के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं. इस दौरान निगरानी जांच में दोषी करार दिया गये नौ इंजीनियरों से चार सेवानिवृत्त हो गये. कार्यपालक अभियंता नजरे इमाम को दूसरे प्रमंडल में हुई गड़बड़ी के आरोप में निलंबित किया गया है. जमशेदपुर प्रमंडल के मामले के पकड़ में आने के बाद विभागीय सचिव एपी सिंह ने दोषी अधिकारियों और ठेकेदारों के खिलाफ निगरानी जांच के आलोक में कानूनी कार्रवाई करने का प्रस्ताव तैयार कर मुख्यमंत्री रघुवर दास के पास भेजा. उनकी अनुमति के बाद प्राथमिकी दर्ज करने के लिए निगरानी(एसीबी)को फाइल भेज दी गयी है.
जांच में दोषी पाये गये इंजीनियर
ओम प्रकाश अभियंता प्रमुख, सेवानिवृत्त
सज्जाद हसन मुख्य अभियंता, सेवानिवृत्त
मार्टिन खलखो अधीक्षण अभियंता, सेवानिवृत्त
नजरे इमाम कार्यपालक अभियंता,आदित्यपुर
सुरेश प्रसाद कार्यपालक अभियंता, सीडीओ
पंकज कुमार सिन्हा सहायक अभियंता , गुमला
सीता राम सिंह कनीय अभियंता, सेवानिवृत्त
शिव कुमार पाठक कनीय अभियंता,दुमका
प्रदीप माझी कनीय अभियंता, घाटशिला
निगरानी जांच में मिले तथ्य
एक ही दिन में 99 चापानल लगाया
इंजीनियरों ने फर्जी बिल बना कर भुगतान कराया
योजना स्वीकृति के बिना ही अभियंता प्रमुख ने टेंडर निकाला
मुख्य अभियंता ने टेंडर डालने वाले सभी ठेकेदारों के बीच काम बांट कर कार्यादेश दिया
चापानल लगाने की योजना के लिए कार्यपालक अभियंता ने जगह की सूची नहीं बनायी
अस्तित्व विहीन गांव और स्थान पर चापानल लगाने का दावा किया
एक ही स्थान का अलग-अलग नाम बता कर चापानल लगाना दिखाया
कार्यपालक अभियंता से नौ लाख वसूली का आदेश
रांची. जल संसाधन, पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री चंद्रप्रकाश चौधरी ने सिमडेगा जलपथ प्रमंडल संख्या एक के प्राक्कलन पदाधिकारी सह कार्यपालक अभियंता सुक्का उरांव के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया है. उरांव से नौ लाख रुपये की एकमुश्त वसूली व उनके पांच वर्षों तक प्रोन्नति पर रोक लगायी जायेगी. मंत्री ने सुक्का उरांव के तीन वेतन वृद्धि पर भी रोक लगाने का आदेश दिया है. सुक्का उरांव पर ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल नालंदा में बतौर कार्यपालक अभियंता वित्तीय अनियमितता, योजना के क्रियान्वयन में लापरवाही एवं व्यक्तिगत लाभ के लिए संबंधित संवेदक के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने का आरोप था. जांच में आरोपों को सही पाया गया.