रांची: झालको (झारखंड हिल एरिया लिफ्ट एरिगेशन कॉरपोरेशन) को दो साल से योजना मद में एक भी पैसा नहीं मिला है. इसके बावजूद राज्य में मुख्यमंत्री से लेकर मंत्री, विधायक व सांसद तक काम की अनुशंसा कर रहे हैं. झालको का वेतन का पैसा भी सरेंडर हो गया है. जल संसाधन मंत्री अन्नपूर्णा देवी के कार्यकाल ( 2014-15) में झालको को काम कराने के लिए 27 करोड़ 75 लाख रुपये आवंटित किये गये थे. 2015-16 तथा 2016-17 में झालको को अब तक एक भी पैसा नहीं मिला है. झालको का काम जन प्रतिनिधियों की अनुशंसा पर होता है. झालको के गठन के समय ही यह प्रावधान किया गया था.
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सीएम से लेकर मंत्री तक मांग रहे काम
मनोज सिंहरांची: झालको (झारखंड हिल एरिया लिफ्ट एरिगेशन कॉरपोरेशन) को दो साल से योजना मद में एक भी पैसा नहीं मिला है. इसके बावजूद राज्य में मुख्यमंत्री से लेकर मंत्री, विधायक व सांसद तक काम की अनुशंसा कर रहे हैं. झालको का वेतन का पैसा भी सरेंडर हो गया है. जल संसाधन मंत्री अन्नपूर्णा देवी […]
मनोज सिंह
रांची: झालको (झारखंड हिल एरिया लिफ्ट एरिगेशन कॉरपोरेशन) को दो साल से योजना मद में एक भी पैसा नहीं मिला है. इसके बावजूद राज्य में मुख्यमंत्री से लेकर मंत्री, विधायक व सांसद तक काम की अनुशंसा कर रहे हैं. झालको का वेतन का पैसा भी सरेंडर हो गया है. जल संसाधन मंत्री अन्नपूर्णा देवी के कार्यकाल ( 2014-15) में झालको को काम कराने के लिए 27 करोड़ 75 लाख रुपये आवंटित किये गये थे. 2015-16 तथा 2016-17 में झालको को अब तक एक भी पैसा नहीं मिला है. झालको का काम जन प्रतिनिधियों की अनुशंसा पर होता है. झालको के गठन के समय ही यह प्रावधान किया गया था.
रांची: झालको (झारखंड हिल एरिया लिफ्ट एरिगेशन कॉरपोरेशन) को दो साल से योजना मद में एक भी पैसा नहीं मिला है. इसके बावजूद राज्य में मुख्यमंत्री से लेकर मंत्री, विधायक व सांसद तक काम की अनुशंसा कर रहे हैं. झालको का वेतन का पैसा भी सरेंडर हो गया है. जल संसाधन मंत्री अन्नपूर्णा देवी के कार्यकाल ( 2014-15) में झालको को काम कराने के लिए 27 करोड़ 75 लाख रुपये आवंटित किये गये थे. 2015-16 तथा 2016-17 में झालको को अब तक एक भी पैसा नहीं मिला है. झालको का काम जन प्रतिनिधियों की अनुशंसा पर होता है. झालको के गठन के समय ही यह प्रावधान किया गया था.
काम से ही मिलता था वेतन : झालको को मिलने वाले काम से होनेवाली कमाई से कर्मियों को वेतन देने का प्रावधान था. झालको के गठन के बाद से अब तक करीब 120 करोड़ रुपये का काम झालको ने कराया है. इसमें से 10 फीसदी लाभांश से झालको का खर्च चलता है. लाभांश के रूप में करीब 12 करोड़ रुपये प्राप्त हुए, जबकि वेतनमद में खर्च करीब 25 करोड़ रुपये है. पिछले वित्तीय वर्ष में अलग से वेतन मद में 4.30 करोड़ रुपये देने का प्रावधान किया गया था. यह पैसा भी सरेंडर हो गया. इससे पूर्व 2014-15 में झालको को वेतन अनुदान के रूप में 5.59 करोड़ रुपये देने का प्रावधान किया गया था. यह राशि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद बिहार के भालको कर्मियों को भुगतान कर दिया गया था. इस कारण 2014-15 में भी झालको कर्मियों को वेतन नहीं मिल पाया.
किन जन प्रतिनिधियों ने की है अनुशंसा
मुख्यमंत्री (ओएसडी राकेश चौधरी का पत्र) : हजारीबाग के बिष्णुगढ़, चुरचू व दारु प्रखंड की विभिन्न पंचायतों में चेक डैम निर्माण की मांग.
शिबू सोरेन (सांसद) : रानिबहल दुमका, गोलपुर दुमका व बेलियाजोर मसलिया में तालाब का निर्माण.
रणधीर कुमार सिंह (मंत्री, कृषि) : बोचबांध (सारठ), दुमदुमी (सारठ), केराबांक (सारठ), बगदाहा (पालाजोरी) व पालाजोरी (जमुआ) में तालाबों का जीर्णोद्धार.
डॉ इरफान अंसारी (जामताड़ा विधायक ): नारायणपुर व जामताड़ा प्रखंड में 10 तालाबों का जीर्णोद्धार.
विजय कुमार हांसदा (सांसद, राजमहल) : भोगनाडीह (साहेबगंज जिला में तालाबों का जीर्णोद्धार व चेकडैम का निर्माण).
जगरनाथ महतो (विधायक) : चंद्रपुरा व नवाडीह प्रखंड में बांध, तालाब का निर्माण व जीर्णोद्धार.
झालको को पुनर्जीवित करने के लिए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा गया है. झालको की उपयोगिता अभी भी है़ मुख्यमंत्री से अाग्रह किया गया है कि इसको फिर से पुनर्जीवित करने के लिए मिल-जुल कर प्रयास करें. मुख्यमंत्री ने हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया है.
चंद्रप्रकाश चौधरी, जल संसाधन मंत्री
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