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मनमानी, किस मद में करते हैं खर्च इसकी नहीं देते जानकारी, एनुअल फीस के नाम पर 32 करोड़ रुपये की वसूली

रांची: निजी स्कूलों में एनुअल फीस व अन्य चार्ज के नाम पर हर साल करोड़ों रुपये की वसूली की जाती है. प्रत्येक वर्ष सत्र शुरू होने के साथ स्कूलों में एनुअल फीस की वसूली की जाती है. उक्त शुल्क को स्कूल प्रबंधन किस मद में खर्च करता है, इसकी जानकारी नहीं दी जाती है. रांची […]

रांची: निजी स्कूलों में एनुअल फीस व अन्य चार्ज के नाम पर हर साल करोड़ों रुपये की वसूली की जाती है. प्रत्येक वर्ष सत्र शुरू होने के साथ स्कूलों में एनुअल फीस की वसूली की जाती है. उक्त शुल्क को स्कूल प्रबंधन किस मद में खर्च करता है, इसकी जानकारी नहीं दी जाती है.

रांची के निजी स्कूलों में एनुअल फीस के नाम पर बच्चों से 2000 से लेकर 10 हजार रुपये तक लिये जाते हैं. इससे रांची के बड़े-छोटे करीब 80 निजी स्कूल करोड़ों रुपये की अतिरिक्त कमाई करते हैं. सरकारी अधिकारी जिन्हें इस पर रोक लगाने की जिम्मेदारी है, वह कार्रवाई नहीं करते हैं. उनका कहना है कि इसकी कोई शिकायत नहीं करता. वहीं अभिभावक इसलिए शिकायत नहीं करते हैं कि बच्चे पर स्कूल प्रबंधन कार्रवाई कर देगा.
ऐसे होती है कमाई
राजधानी में सीबीएसइ व आइसीएसइ बोर्ड से मान्यता प्राप्त 80 स्कूल है. इनके अलावा लगभग 100 से अधिक प्ले स्कूल हैं, जिन्हें किसी बोर्ड से मान्यता प्राप्त नहीं है. अगर मान लें कि मान्यता प्राप्त एक स्कूल में औसतन दो हजार बच्चे पढ़ते हैं, तो 80 स्कूलों में बच्चों की संख्या 1.60 लाख हुई. एक बच्चे से औसतन एनुअल चार्ज व अन्य चार्ज दो हजार रुपये भी मान लिया जाये, तो प्रति वर्ष सत्र शुरू होने के साथ राजधानी के स्कूल बच्चों के अभिभावकों से लगभग 32 करोड़ रुपये की वसूली कर लेते हैं. प्ले स्कूलों की कमाई इसमें शामिल नहीं है.
वेबसाइट पर डालनी है सभी सूचना
सीबीएसइ ने स्कूलों को सभी सूचनाएं वेबसाइट पर डालने को कहा था. इसमें शिक्षकों के वेतन का विस्तृत ब्योरा, सभी कक्षाओं के शुल्क की संरचना, स्कूल प्रबंधन समिति के सदस्यों का नाम-पता व स्कूल कैंपस के बारे में जानकारी आदि शामिल है. सभी जानकारियों को शैक्षणिक सत्र समाप्त होने के पहले सार्वजनिक करने को कहा गया था. सीबीएसइ ने कहा था कि निर्धारित समय तक सभी सूचना जारी नहीं की गयी, तो कक्षा नौ और दस में विद्यार्थियों का पंजीयन नहीं हो पायेगा. सीबीएसइ के निर्देश के बाद भी राजधानी के अधिकतर स्कूलों ने सूचनाएं वेबसाइट पर नहीं डाली. बावजूद इसके सीबीएसइ की ओर से किसी स्कूल के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गयी.
राशन दुकान की तरह खुल रहे हैं प्ले स्कूल
हर माेहल्ले में राशन दुकान की तरह बिना प्रशासन की जानकारी के तीन से चार प्ले स्कूल खुल गये हैं. कई प्ले स्कूल एक्टिविटी चार्ज के नाम पर तीन से पांच हजार रुपये लेते हैं. इसके अलावा स्मार्ट क्लास के लिए भी प्रति वर्ष बच्चों से 1500 से दो हजार रुपये लिये जाते हैं. स्कूल मैगजीन और आइ कार्ड के नाम पर भी 100 से 150 रुपये लिये जाते हैं. डायरी, बेल्ट, बैच और वार्षिकोत्सव के नाम पर भी अलग से पैसे लिये जाते हैं. बच्चों से एनुअल फीस के अलावा मिसलेनियस चार्ज के नाम पर 500 से एक हजार रुपये तक लिये जाते हैं.
जेट ने लगा रखी है रोक
जेट (झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण) ने शैक्षणिक सत्र शुरू होने पर प्रति वर्ष बच्चों से एनुअल फीस, री-एडमिशन शुल्क और मिसलेनियस चार्ज लेने पर रोक लगा रखी है, लेकिन बच्चों के अभिभावकों से प्रति वर्ष इन मदों में करोड़ों रुपये की वसूली की जा रही है. वहीं प्रशासन की ओर से इस पर रोक लगाने का कोई प्रयास नहीं किया जा रहा.
अलग-अलग स्कूलों का एनुअल फीस
सुरेंद्रनाथ स्कूल 3000
जेवीएम श्यामली 7000
डीपीएस 10000
केराली 4000
टेंडर हर्ट 6000
संत थॉमस 4000
लाला लाजपत राय 2000
गुरुनानक स्कूल 4000
ऑक्सफोर्ड 6000
कैंब्रियन स्कूल 3000
विवेकानंद विद्या मंदिर 3000
बिशप वेस्टकॉट 3560
लेडी केसी रॉय स्कूल 4000
डीएवी ग्रुप 2000
कोई भी स्कूल प्रबंधन वार्षिक शुल्क की बढ़ोतरी नहीं कर सकता है, जब तक की उसे रेगुलेटरी कमेटी की सहमति नहीं मिल जाती. स्कूल को यह बताना होगा कि वह किस कारण से शुल्क में वृद्धि कर रहा है. उपायुक्त की अध्यक्षता में गठित कमेटी के पास प्रस्ताव भेजना होगा. स्कूल प्रबंधनों द्वारा इस प्रक्रिया का पालन किये बिना यदि बढ़ोतरी की जाती है, तो वह उचित नहीं होगा. कार्रवाई की जायेगी. 30 मार्च तक स्कूल प्रबंधनों को प्रस्ताव देने का समय दिया गया है.
जयंत कुमार मिश्रा, जिला शिक्षा अधीक्षक सह नोडल पदाधिकारी आरटीइ रांची

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