आदेश़. केंद्रीय बलों के वेतन-भत्ते पर गृह मंत्रालय का पत्र
90 दिन में बकाया राशि देने पर 5% की छूट देने की बात कही
झारखंड में तैनात अर्द्धसैनिक बलों के वेतन-भत्ते के भुगतान के लिए केंद्र ने राज्य को पत्र लिखा है़ राज्य में सीआरपीएफ की करीब 120 कंपनी तैनात है़ दूसरी तरफ हाल यह है िक राज्य की अपनी 50 हजार फोर्स का सही इस्तेमाल नहीं हो रहा है़
सुरजीत सिंह4रांची
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने झारखंड में पदस्थापित अर्द्धसैनिक बलों के वेतन-भत्ते के लिए राज्य सरकार से 4032 करोड़ रुपये की मांग की है़ इसमें समय पर रकम नहीं चुकाने पर 68.35 करोड़ का अर्थदंड भी शामिल है़ बकाया राशि का भुगतान 90 दिन में करने पर पांच प्रतिशत की छूट देने की बात कही है़ गृह मंत्रालय की ओर से भेजे गये पत्र में कहा गया है कि बकाया राशि का भुगतान नहीं होने पर महालेखाकार ने गंभीर आपत्ति की है. राज्य में नक्सलियों के खिलाफ चलाये जा रहे अभियान के नाम पर सीआरपीएफ की 120 कंपनी की तैनाती की गयी है.
भुगतान जल्द करें
गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने बकाया राशि का भुगतान जल्द करने को कहा है़ सीआरपीएफ पर हुए खर्च की 3801 करोड़ रुपये में से 3588.96 करोड़ 30 जून 2015 से पहले का है़ जबकि 212.42 करोड़ रुपये एक जुलाई 2015 से 30 सितंबर 2015 की अवधि का है. बकाया रकम 2005 में जनवरी से मार्च तक, 2013 में अप्रैल से दिसंबर तक, 2014 में जनवरी से दिसंबर तक और 2015 में जनवरी से सितंबर तक का है.
क्या है नियम
राज्य सरकार की मांग पर केंद्र राज्यों में अर्द्धसैनिक बलों की तैनाती करता है. पदस्थापन अवधि में अर्द्धसैनिक बलों के वेतन-भत्तों के भुगतान की राशि राज्य सरकार वहन करती है. केंद्र की ओर इससे संबंधित बिल भेजे जाने के बाद 90 दिनों में राशि का भुगतान करने का प्रावधान है. निर्धारित समय पर भुगतान नहीं करने पर 2.5 प्रतिशत की दर से पेनाल्टी (अर्थदंड लगाने) का प्रावधान है.
राज्य में फोर्स का सही इस्तेमाल नहीं
राज्य गठन के वक्त झारखंड पुलिस में करीब 20 हजार जवान थे़ तब नक्सली समस्या अधिक थी़ आज राज्य पुलिस में में करीब 50 हजार जवान हैं. इसके बाद भी राज्य में तैनात अर्द्धसैनिक बलों की संख्या में भारी बढ़ोतरी की गयी है.
अर्द्धसैनिक बलों पर निर्भरता कम करने के लिए केंद्र ने मदद देकर इंडिया रिजर्व बटालियन की पांच बटालियन का गठन कराया. झारखंड जगुआर का गठन किया गया. जैप की तीन बटालियन का गठन किया गया. नक्सल प्रभावित इलाकों के 109 पिकेट पर जैप व आइआरबी के जवान तैनात हैं. ये नक्सल अभियान में शामिल होते हैं, इसकी जानकारी उनके कमांडेंट तक को नहीं होती.
2013 में जैप के तत्कालीन एडीजी कमल नयन चौबे ने जैप व आइआरबी के जवानों के कार्य दिवस की गणना की थी. पता चला था कि 2012-13 में जवानों को कुल कार्य दिवस का 14.5% दिन ही ड्यूटी पर लगाया गया. 2015 में यह तथ्य सामने आया कि 2014 में जैप व आइआरबी की उपलब्धि सिर्फ एक गोली की बरामदगी थी.
राज्य सरकार ने अपने जवानों को ट्रेनिंग देने के लिए नेतरहाट में जंगल वार फेयर स्कूल खोला. इस स्कूल में पांच साल तक एक भी जवान को जंगल वार फेयर की ट्रेनिंग ही नहीं दी गयी. दो माह पहले पुलिस मुख्यालय ने जंगल वार फेयर ट्रेनिंग का कोर्स तैयार किया है.
झारखंड पुलिस केंद्र की मदद से मिले संसाधनों का रख-रखाव भी सही तरीके से नहीं करती. जनवरी में पलामू में सात जवानों को शहीद होने की घटना के बाद यह तथ्य सामने आया था कि टायर के आभाव में एंटी लैंड माइन वाहन खड़ा है.