दीपिका को भारत सरकार पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित करने जा रही है. वर्ष 2009 में महज 15 वर्ष की दीपिका ने अमेरिका में हुई 11वीं यूथ आर्चरी चैंपियनशिप जीत कर यूथ चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया था.
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15 वर्ष की उम्र में दीपिका बन गयी थी यूथ चैंपियन
रांची: कभी पत्थर से आमों पर निशाना साधनेवाली दीपिका कुमारी आज विश्व की नंबर पांच तीरंदाज है. दीपिका का जन्म 13 जून 1994 को झारखंड की राजधानी रांची के रातू नामक स्थान में हुआ था. उसके पिता शिवनारायण महतो पेशे से ऑटो चालक हैं, जबकि मां गीता महतो सरकारी अस्पताल में नर्स. बचपन से ही […]
रांची: कभी पत्थर से आमों पर निशाना साधनेवाली दीपिका कुमारी आज विश्व की नंबर पांच तीरंदाज है. दीपिका का जन्म 13 जून 1994 को झारखंड की राजधानी रांची के रातू नामक स्थान में हुआ था. उसके पिता शिवनारायण महतो पेशे से ऑटो चालक हैं, जबकि मां गीता महतो सरकारी अस्पताल में नर्स. बचपन से ही दीपिका अपने लक्ष्य पर केंद्रित रही, यही वजह है कि आज वह विश्व की शीर्ष तीरंदाजों में से एक है.
दीपिका को भारत सरकार पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित करने जा रही है. वर्ष 2009 में महज 15 वर्ष की दीपिका ने अमेरिका में हुई 11वीं यूथ आर्चरी चैंपियनशिप जीत कर यूथ चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया था.
पार्ट वन की छात्रा है दीपिका
दीपिका कुमारी रांची के बूटी मोड़ स्थित प्रेमचंद महतो कॉलेज में पार्ट वन की छात्रा है. इस कॉलेज से उसने पिछले वर्ष इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की है. इससे पहले दीपिका ने स्कूली शिक्षा अपने गांव रातू चट्टी स्थित सरकारी स्कूल से पूरी की. पार्ट वन की पढ़ाई के साथ-साथ वह टाटा आर्चरी अकादमी की कैडेट भी है, जहां रह कर वह तीरंदाजी का अभ्यास करती है.
2005 से कर रही है तीरंदाजी
दीपिका को तीरंदाजी में पहला मौका वर्ष 2005 में मिला, जब उसने पहली बार तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा द्वारा खरसावां में संचालित आर्चरी अकादमी ज्वाइन की. तीरंदाजी में उसके प्रोफेशनल करियर की शुरुआत 2006 में हुई, जब उसने टाटा तीरंदाजी अकादमी ज्वाइन किया. दीपिका ने यहां तीरंदाजी के दावं-पेंच सीखे. इसके बाद उसने पीछे मुड़ कर नहीं देखा.
वर्ष 2010 में एशियन गेम्स में कांस्य पदक मिला
इस युवा तीरंदाज ने 2006 में मैरीदा मेक्सिको में आयोजित वर्ल्ड चैंपियनशिप में कंपाउंड एकल प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक हासिल किया. ऐसा करनेवाली वह दूसरी भारतीय थी. यहां से शुरू हुए सफर ने दीपिका को विश्व की नंबर वन तीरंदाज का तमगा हासिल कराया. वर्ष 2009 में महज 15 वर्ष की दीपिका ने अमेरिका में हुई 11वीं यूथ आर्चरी चैंपियनशिप जीत कर अपनी उपस्थिति दर्ज करायी. फिर 2010 में एशियन गेम्स में कांस्य हासिल किया. इसके बाद 2010 में ही कॉमनवेल्थ खेलों में महिला एकल और टीम स्पर्धा में दीपिका ने दो स्वर्ण हासिल किये. 2010 कॉमनवेल्थ खेलों में दीपिका ने न सिर्फ व्यक्तिगत स्पर्धा के स्वर्ण जीते, बल्कि महिला रिकर्व टीम को भी स्वर्ण दिलाया. 2011 में इस्तांबुल में और 2012 में टोक्यो में एकल खेलों में दीपिका ने रजत पदक जीता. इसके लिए उसे अर्जुन पुरस्कार भी दिया गया.
दीपिका की उपलब्धियां
कॉमनवेल्थ गेम्स
2010 नयी दिल्ली रिकर्व (व्यक्तिगत) स्वर्ण
2010 नयी दिल्ली रिकर्व (टीम) स्वर्ण
वर्ल्ड चैंपियनशिप
2011 टोरिनो महिला टीम रजत
2015 कोपेनहेगन महिला टीम रजत
वर्ल्ड कप
2011 इस्तानबुल व्यक्तिगत रजत
2012 टोक्यो व्यक्तिगत रजत
2013 शंघाई व्यक्तिगत रजत
एशियन गेम्स
2010 ग्वांग्झू रिकर्व टीम कांस्य
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