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साइंस की स्टेट टाॅपर छोड़ सकती बिट्स पिलानी

।।राहुल गुरू।। रांची: इंटर साइंस की वर्ष 2015 की स्टेट टॉपर साल नौशीन अख्तर पैसे के अभाव में पढ़ाई अधूरी छोड़ सकती है़ झारखंड एकेडमिक काउंसिल द्वारा ली गयी परीक्षा में नौशिन को राज्यभर में सबसे अधिक अंक मिले थे़. उसे कुल पांच सौ अंकों में 447 अंक प्राप्त हुए थे़. स्टेट टॉपर होने की […]

।।राहुल गुरू।।
रांची: इंटर साइंस की वर्ष 2015 की स्टेट टॉपर साल नौशीन अख्तर पैसे के अभाव में पढ़ाई अधूरी छोड़ सकती है़ झारखंड एकेडमिक काउंसिल द्वारा ली गयी परीक्षा में नौशिन को राज्यभर में सबसे अधिक अंक मिले थे़. उसे कुल पांच सौ अंकों में 447 अंक प्राप्त हुए थे़.

स्टेट टॉपर होने की वजह से बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस (बिट्स) के पिलानी राजस्थान कैंपस में डाइरेक्ट एडमिशन तो मिल गया, लेकिन अब वह वहां की फीस देने की स्थिति में नहीं है़ नौशीन ने अपनी इंटर की पढ़ाई उर्सुलाइन इंटर कॉलेज से पूरी की थी़ उसने अपनी फीस के लिए मुख्यमंत्री के पास दो बार पत्र भी लिख चुकी है़ इसके अलावा उसके पिता शमीम अख्तर अल्पसंख्यक आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष शाहिद अख्तर से मिल कर मदद की गुजारिश भी की है, लेकिन अभी तक कहीं से किसी तरह की मदद की संभावना भी नहीं बन पायी है़ इसलिए वे बेटी की आगे की पढ़ाई के प्रति चिंतित हैं.
तीन लाख है सालाना फीस
नौशीन बीट्स पिलानी में कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग कर रही है़ उसे देश के श्रेष्ठतम तकनीकी संस्थान में डाइरेक्ट एडमिशन मिला है़ नौशीन ने बताया कि इस कोर्स की फीस लगभग तीन लाख रुपये सालाना होती है़ उसने बताया कि पिता ने संबंधियों व अन्य से सात लाख पचास हजार रुपये लोन लेकर नामांकन तो करा दिया है, लेकिन अब सेमेस्टर की फीस नहीं दे पा रही है़ नौशीन के पिता शमीम अख्तर की छोटी सी दुकान है़ इसी से उनका पूरा परिवार चलता है़ चार बहन और दो भाइयों में नौशीन सबसे छोटी है़ दो बहनें रांची विवि से मास्टर डिग्री कर रही हैं. वहीं एक बहन कोलकाता के आरसीटी कॉलेज से इंजीनियरिंग कर रही है़ नौशीन के पिता ने बताया कि एक साथ सभी की पढ़ाई कराना संभव नहीं हो पा रहा है़ इसलिए हम उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार हमारी मदद करे.
मुख्यमंत्री से है उम्मीद
पैसे के अभाव में देश की बेहतरीन संस्थान से पढ़ाई छूट न जाये, इसके लिए नौशीन का पूरा परिवार मुख्यमंत्री रघुवर दास से उम्मीद लगाये हुए है़ नौशीन के पिता कहते हैं कि साल 2014 में सरकार ने राज्य के प्रथम, द्वितीय व तृतीय टॉपर को क्रमश: तीन लाख, दो लाख और एक लाख रुपये की आर्थिक मदद दी थी़ वे कहते हैं कि हम भी इसी उम्मीद से मुख्यमंत्री से गुहार लगा रहे हैं कि कम से कम तीन लाख रुपये की मदद करें. वहीं नौशीन का कहना है कि वह पढ़ना चाहती है, लेकिन डर लग रहा है कि कहीं पैसे के अभाव में मेरे सपनों पर पानी न फिर जाये़

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