रांची: राज्य सरकार 12 साल की कोशिशों के बावजूद जनजातीय परामर्शदातृ परिषद (टीएसी) के नियम को अंतिम रूप नहीं दे सकी है. टीएसी के लिए नियम बनाने की प्रक्रिया वर्ष 2001 में शुरू हुई थी. राज्य गठन के बाद वर्ष 2001 में यहां परामर्शदातृ परिषद के संचालन के लिए नियम बनाने की प्रक्रिया शुरू हुई. 2001 में इससे संबंधित नियमावली का प्रारूप तैयार किया गया.
मंत्रिपरिषद ने नियमावली पर अपनी सहमति दी. हालांकि नियमावली लागू करने से संबंधित अधिसूचना जारी नहीं हो सकी. इस मामले में 10 साल तक चुप्पी साधने के बाद सरकार ने वर्ष 2012 में परामर्शदातृ परिषद से संबंधित नियमावली बनाने की प्रक्रिया फिर शुरू की. इस दौरान 2001 में बनायी गयी नियमावली में कुछ संशोधन कर नयी नियमावली का प्रारूप तैयार किया गया. नियमावली के इस नये प्रारूप को सरकार ने राज्यपाल के पास अनुमोदन के लिए भेजा.
राज्यपाल ने विचार-विमर्श के बाद नियमावली में किये गये संशोधन को अमान्य कर दिया. इसके बाद सरकार ने राज्यपाल के सुझाव के आलोक में नियमावली का प्रारूप तैयार किया है. नियमावली के इस प्रारूप पर मंत्रिपरिषद और राज्यपाल की सहमति ली जायेगी. इसके बाद इसे लागू किया जायेगा. नयी नियमावली में टीएसी की बैठक साल में कम से कम दो बार बुलाने का प्रावधान किया गया है. साथ ही दो बैठकों में छह माह से अधिक का अंतर नहीं होने की बाध्यता तय की गयी है.