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आइएएस मनोज कुमार पर कार्रवाई का मामला महाधिवक्ता के पास लटका

रांची: आइएएस अफसर मनोज कुमार के खिलाफ कार्रवाई का मामला महाधिवक्ता के पास लटका है. सरकार ने वित्त विभाग के प्रधान सचिव की रिपोर्ट के आधार पर मनोज कुमार पर कार्रवाई के लिए विधि विभाग की राय मांगी थी. पूछा था कि रिपोर्ट के तथ्यों के आधार पर मनोज कुमार के खिलाफ किस तरह की […]

रांची: आइएएस अफसर मनोज कुमार के खिलाफ कार्रवाई का मामला महाधिवक्ता के पास लटका है. सरकार ने वित्त विभाग के प्रधान सचिव की रिपोर्ट के आधार पर मनोज कुमार पर कार्रवाई के लिए विधि विभाग की राय मांगी थी. पूछा था कि रिपोर्ट के तथ्यों के आधार पर मनोज कुमार के खिलाफ किस तरह की कार्रवाई हो सकती है.

विधि विभाग ने महाधिवक्ता की सलाह के लिए लगभग सभी फाइलें उनके पास भेज दी थी. लगभग दो माह से संबंधित फाइल महाधिवक्ता के पास ही है. मालूम हो कि जल संसाधन विभाग के इस सहायक अभियंता को विशेष गोपनीय चारित्री के आधार पर आइएएस में प्रोन्नति की अनुशंसा की गयी थी. जल संसाधन विभाग के इस इंजीनियर को आइएएस में प्रोन्नति के लिए अनुशंसा में गड़बड़ी का मामला प्रकाश में आने के बाद सरकार ने वित्त विभाग के प्रधान सचिव अमित खरे को जांच का आदेश दिया था. उन्होंने मामले की जांच के बाद जुलाई में ही अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी थी.
स्पेशल सीआर पर हुई थी प्रोन्नति
रिपोर्ट के अनुसार जल संसाधन विभाग ने कार्मिक विभाग के निर्देशों का उल्लंघन कर नियमित वार्षिक गोपनीय चारित्री (एसीआर) के बदले विशेष चारित्री (स्पेशल सीआर) को आधार बनाया था. हालांकि अधिकारियों ने विशेष चारित्री के कारणों का कहीं उल्लेख नहीं किया था. एश्योर्ड कैरियर प्रोमोशन(एसीपी) के लिए लिखे गये विशेष चारित्री का इस्तेमाल आइएएस में नियुक्त करने की अनुशंसा में किया गया था.

स्पेशल एसीआर खुद मनोज कुमार की लिखावट में है या नहीं, इसकी पुष्टि के लिए फॉरेंसिक जांच की आवश्यक्ता बतायी गयी थी. इसमें कहा गया है कि मनोज कुमार 14 मार्च 2007 से पहले बिहार में पदस्थापित थे, पर जल संसाधन विभाग में कार्यरत उप-सचिव सुबोध कुमार ने मनोज कुमार के बिहार मेें (2003-04 से 2006-07 तक) किये गये कार्यों का मूल्यांकन किया और विशेष चारित्री में ‘उत्तम’ लिखा. उन्होंने एक ही साथ छह साल (2003-09) के लिए गोपनीय चारित्री लिखी. मनोज कुमार के दोनों विशेष चारित्री में से किसी पर तीनों स्तर के अधिकारियों (रिपोर्टिंग, रिव्यूइंग, एक्सेपटिंग अॉथोरिटी) का हस्ताक्षर नहीं है.

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